दिलचस्प है जुड़वां भाइयों के सैनिक बनने की कहानी, इंजीनियरिंग में बिछड़े फिर देश सेवा में साथ जुड़े Bharat Rajneeti

अभिनव का कहना है, "कई बार ड्रिल इंस्ट्रक्टर परिनव की बजाय मुझे बुलाते थे। कई बार मैं अपना खाना खाकर बाहर आता था, तो रसोइया मुझे परिनव समझकर कहता था, 'अरे साबह खाना तो खा लीजिए।' इससे मुझे काफी हंसी आती थी।"
वहीं परिनव ने भी कई कहानियां बताईं कि अपने भाई के कम भीड़ वाले मेस में वो आराम से खाना खाकर आ जाते थे। उन्होंने कहा, "कभी-कभी जब मैं देखता था कि मेरी कंपनी की मेस टेबल पर बहुत भीड़ है, तो मैं अपने भाई के मेस में चला जाता था, क्योंकि वहां बहुत कम कैडेट ही खाना खा रहे होते थे। कोई भी मुझे नहीं पहचानता था।"
अभिनव का कहना है कि उन दोनों की पहचान तभी होती थी जब वो अपनी-अपनी वर्दी पहनते थे। और अपने बैच लगाते थे। अभिनव आर्मी एयर डिफेंस कॉर्पस का हिस्सा बने हैं जबकि परिनव आर्मी एविएशन कॉर्पस का। परिनव का कहना है, "हमने जो कुछ भी हासिल किया है, एक साथ किया है। हमें इसपर बेहद गर्व होता है।"
कुछ ऐसी ही कहानी कर्नाटक के सुदर्शन एलएम और वरुण चन्नाल्ली की भी है। 21 साल की आयु के ये दोनों दोस्त बीते 11 साल से साथ हैं। बीजापुर के सैनिक स्कूल में दोनों एक ही बेंच पर बैठते थे। सुदर्शन का कहना है, "हम दोनों कक्षा छह में मिले और दोस्त बन गए। हम 12वीं कक्षा तक एक ही बेंच पर साथ बैठते थे। स्कूल के बाद, हमने एक साथ एनडीए की तैयारी की और यहां आए।"
वहीं वरुण का कहना है, "जब हम स्कूल में एक ही बेंच पर बैठते थे, तभी हम सेना में शामिल होने के लिए समान रूप से प्रेरित हुए। हालांकि, अब प्रशिक्षण के बाद हमें अपनी अलग-अलग रेजिमेंटों में जाना होगा।"