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रविवार, 9 जून 2019

दिलचस्प है जुड़वां भाइयों के सैनिक बनने की कहानी, इंजीनियरिंग में बिछड़े फिर देश सेवा में साथ जुड़े Bharat Rajneeti

दिलचस्प है जुड़वां भाइयों के सैनिक बनने की कहानी, इंजीनियरिंग में बिछड़े फिर देश सेवा में साथ जुड़े Bharat Rajneeti

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : Bharat Rajneeti
भारतीय सेना का हिस्सा बने दो भाई परीनव पाठक और अभिनव पाठक बीते 22 साल के एक दूसरे के साथ हैं। कुछ मिनट के अंतर पर दोनों का जन्म हुआ, अमृतसर के एक ही स्कूल से दोनों ने पढ़ाई की। लुधियाना और जालंधर के कॉलेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए इनकी राह अलग हुई, लेकिन फिर भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून में सेना में सेवा करने के अपने सपनों को आगे बढ़ाने के लिए दोनों फिर मिले। 
अब दोनों एक बार फिर अलग होने वाले हैं क्योंकि दोनों की आर्मी यूनिट अलग हैं। 457 अन्य कैडेटों के साथ इनकी पोस्टिंग हुई है। एक साथ देश सेवा के लिए खुद को समर्पित करने वाले जुड़वां भाई आईएमए से पासआउट हैं। इन दोनों भाईयों ने आईएमए के समारोह में एक दूसरे को लेकर दिलचस्प बातें बताईं।

अभिनव का कहना है, "कई बार ड्रिल इंस्ट्रक्टर परिनव की बजाय मुझे बुलाते थे। कई बार मैं अपना खाना खाकर बाहर आता था, तो रसोइया मुझे परिनव समझकर कहता था, 'अरे साबह खाना तो खा लीजिए।' इससे मुझे काफी हंसी आती थी।"

वहीं परिनव ने भी कई कहानियां बताईं कि अपने भाई के कम भीड़ वाले मेस में वो आराम से खाना खाकर आ जाते थे। उन्होंने कहा, "कभी-कभी जब मैं देखता था कि मेरी कंपनी की मेस टेबल पर बहुत भीड़ है, तो मैं अपने भाई के मेस में चला जाता था, क्योंकि वहां बहुत कम कैडेट ही खाना खा रहे होते थे। कोई भी मुझे नहीं पहचानता था।"

अभिनव का कहना है कि उन दोनों की पहचान तभी होती थी जब वो अपनी-अपनी वर्दी पहनते थे। और अपने बैच लगाते थे। अभिनव आर्मी एयर डिफेंस कॉर्पस का हिस्सा बने हैं जबकि परिनव आर्मी एविएशन कॉर्पस का। परिनव का कहना है, "हमने जो कुछ भी हासिल किया है, एक साथ किया है। हमें इसपर बेहद गर्व होता है।"

कुछ ऐसी ही कहानी कर्नाटक के सुदर्शन एलएम और वरुण चन्नाल्ली की भी है। 21 साल की आयु के ये दोनों दोस्त बीते 11 साल से साथ हैं। बीजापुर के सैनिक स्कूल में दोनों एक ही बेंच पर बैठते थे। सुदर्शन का कहना है, "हम दोनों कक्षा छह में मिले और दोस्त बन गए। हम 12वीं कक्षा तक एक ही बेंच पर साथ बैठते थे। स्कूल के बाद, हमने एक साथ एनडीए की तैयारी की और यहां आए।"

वहीं वरुण का कहना है, "जब हम स्कूल में एक ही बेंच पर बैठते थे, तभी हम सेना में शामिल होने के लिए समान रूप से प्रेरित हुए। हालांकि, अब प्रशिक्षण के बाद हमें अपनी अलग-अलग रेजिमेंटों में जाना होगा।" 

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