समय से न्याय न मिलना लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक : मेनन
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन (फाइल फोटो) - फोटो : bharat rajneeti
खास बातें
-मुख्य न्यायाधीश ने अपने विदाई समारोह में कहीं अपने मन की बात
अगर समय से न्याय नहीं मिलता है तो यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है। यह बात दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन ने अपने विदाई समारोह के दौरान कहीं। उन्होंने लंबित मामलों के निबटारे में देरी पर उन्होंने अपनी चिंता व्यक्त की। राजेंद्र मेनन छह जून को अपने पदभार से मुक्त हो जाएंगे। उनके स्थान पर डीएन पटेल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालेंगे। राजेंद्र मेनन 10 माह तक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे। इससे पहले वह पटना व मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।
न्यायमूर्ति मेनन ने 9 अगस्त 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पद ग्रहण किया था। उन्होंने कहा आधारभूत ढांचे के लिहाज से दिल्ली हाईकोर्ट देश का अग्रणी कोर्ट है। बार की भूमिका पर उन्होंने कहा कि न्यायिक संस्थाओं का वजूद बार से मिलने वाले सहयोग व जजों की योग्यता पर टिका है। जजों व वकीलों पर देश के नागरिकों के प्रति जिम्मेदारी है और इन पर अंतिम शख्स तक न्याय पहुंचाने की संवैधानिक जिम्मेदारी है।
हालांकि पिछले कुछ दशकों में देश में लंबित मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ी है और इससे उनके निबटारे में बड़ी परेशानी हो रही है। जब तक प्रत्येक शख्स को न्याय नहीं मिलता तो इस तंत्र में उनका विश्वास डगमगाएगा और यह हमारे लोकतंत्र के बेहद घातक साबित होगा। उन्होंने इस मौके पर कहा कि अपने साथी जजों, वकीलों व स्टाफ के विचारों से गदगद हैं। अपने पूरे कार्यकाल का सबसे सुखद समय इस हाईकोर्ट में बिताया है। यहां से जाना अपने आप में दुख का विषय है।
न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी ने इस मौके पर कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने पद ग्रहण करने के बाद पहले ही दिन अनाधिकृत निर्माण के खिलाफ एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह ऐसी कोई जनहित याचिका नहीं सुनेंगे जिससे जनहित नहीं जुड़ा है। इससे लोगों को फर्जी याचिका दाखिल न करने का कड़ा संदेश मिला।