लापता एएन-32 विमान का नहीं मिला सुराग, इन वजहों से ढूंढना हो रहा मुश्किल

उत्तर पूर्वी इलाका अमूमन बादलों से घिरा रहता है। रिसैट सैटेलाइट बादलों के बीच से आसानी से देख सकती है और क्षेत्र को स्कैन करके विमान के मलबे का पता लगा सकती है। रीसैट को खोजी अभियान के लिए चुना गया है। यह सैटेलाइट दिन और रात में काम कर सकती है और इसका एक्स बैंड सिनेथिक अपर्चर रडार किसी चीज के रिसोल्यूशन को एक मीटर तक जूम कर सकता है। जिससे यह धरती की किसी भी वस्तु की साफ तस्वीर भेज सकती है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के एक सूत्र ने कहा, सैटेलाइट किसी वस्तु की दिन में दो से तीन बार तस्वीर ले सकती है। हालांकि इस सैटेलाइट की एक ही कमजोरी है कि यह घने वृक्षों के बीच में नहीं देख सकती है। यदि विमान का मलबा खुली पहाड़ियों पर होगा तो वह आसानी से इसका पता लगा लेगी। सैटेलाइट के अलावा सुरक्षाबलों की तैनाती, जासूसी ड्रोन और वायुसेना और नौसेना के टोही विमानों को भी खोज में लगाया गया है।
सोमवार को वायुसेना का एएन-32 विमान अरुणाचल प्रदेश के मेंचुका के पास लापता हो गया था। विमान ने असम के जोरहाट से चीन की सीमा के पास मेंचुका के लिए उड़ान भरी थी। सोमवार दोपहर को उड़ान भरने के करीब 33 मिनट बाद विमान लापता हो गया, जिसमें 13 लोग सवार थे। जिसमें वायुसेना के छह अधिकारी और सात अन्य जवान सवार थे। विमान का पता लगाने के लिए वायुसेना ने सी-130जे, सी 130 हरक्यूलिस, सुखोई एसयू-30 लड़ाकू विमान को लगाया है।