मुफ्त सफर... तो नई सरकार तय करेगी योजना का भविष्य
दरअसल, किराया निर्धारण समिति के गठन की अपनी औपचारिक प्रक्रिया है। दिल्ली सरकार योजना को मेट्रो के प्रस्ताव के हिसाब से एफएफसी में ले जाने को तैयार होती है तो उसके गठन के लिए डीएमआरसी प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजेगी। इसके बाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की तलाश कर केंद्र उसकी अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन करेगा।
कमेटी में केंद्र व दिल्ली सरकार के एक-एक प्रतिनिधि भी होंगे। केंद्र सरकार से गठन की अधिसूचना जारी होने केबाद कमेटी काम शुरू करेगी। मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि कमेटी के गठन व उसकी सिफारिशें आने की प्रक्रिया काफी लंबी है। अब तक की चार एफएफसी ने गठन के बाद सिफारिशें देने में न्यूनतम तीन महीने का समय लगाया है।
इस बीच वह मेट्रो के सभी शेयरधारकों व विशेषज्ञों से भी चर्चा करती है। कमेटी का प्रस्ताव डीएमआरसी बोर्ड में जाता है। बोर्ड की मंजूरी के बाद कमेटी की सिफारिशें लागू होती हैं। इसी कारण मेट्रो ने अपने प्रस्ताव में दिल्ली सरकार से 8 महीने का समय मांगा है।
देरी की आशंका को देखते हुए दिल्ली सरकार योजना को एफएफसी कमेटी में ले जाने की बात पर सवाल उठा रही है। सब्सिडी का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कमेटी में जाने की जरूरत उन्हें लगती। फिर भी, इसे औपचारिकता बताते हुए पहले दिन ही वह डीएमआरसी के प्रस्ताव पर किसी तरह के टकराव से बचते दिखे।
उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि केंद्र को इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उधर, केजरीवाल सरकार के सिर्फ साढ़े सात महीने बचे हैं। तयशुदा समय के हिसाब से विधानसभा चुनाव हुआ तो जनवरी में इसकी अधिसूचना जारी हो जाएगी। ऐसे में दिल्ली सरकार के पास दिसंबर तक सिर्फ छह महीने का समय है। योजना का भविष्य बहुत कुछ इस पर टिका है कि कमेटी के गठन में केंद्र कितनी तेजी दिखाता है।