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गुरुवार, 25 जुलाई 2019

वाहन उद्योग में मंदी से 10 लाख नौकरियों पर खतरा, कुछ स्थानों पर छंटनी की प्रक्रिया शुरू

वाहन उद्योग में मंदी से 10 लाख नौकरियों पर खतरा, कुछ स्थानों पर छंटनी की प्रक्रिया शुरू

auto component industry fears loss of 10 lakh jobs due to prolonged slowdown
देश में वाहनों की मांग में कमी आने से वाहन उद्योग कई महीनों से सुस्ती की चपेट में है। इस कारण वाहनों के लिए कलपुर्जे बनाने वाला उद्योग भी मंदी के दौर से गुजर रहा है, जिससे आने वाले समय में करीब 10 लाख नौकरियों पर खतरा है। 
वाहन कलपुर्जा विनिर्माताओं को अखिल भारतीय संगठन एसीएमए ने बुधवार को सरकार से वाहन उद्योग के लिए जीएसटी की दर एक समान 18 फीसदी करने का अनुरोध किया ताकि मांग में कमी से मंदी के दौर से गुजर रहे वाहन उद्योग को उबरने और 10 लाख नौकरियों को बचाने में मदद मिले। उन्होंने सरकार से इलेक्ट्रिक वाहनों (ई-वाहन) पर अपनी नीति स्पष्ट करने की मांग की। वाहन कलपुर्जा उद्योग करीब 50 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। 

एसीएमए अध्यक्ष राम वेंकटरमानी ने कहा कि वाहन उद्योग अभूतपूर्व मंदी के दौर से गुजर रहा है। पिछले कई महीनों से सभी प्रकार के वाहनों की बिक्री में गिरावट आई है। वाहन कलपुर्जा उद्योग पूरी करह वाहन उद्योग पर निर्भर है। मौजूदा स्थिति में वाहन उत्पादन में 15-20 फीसदी की कटौती से कलपुर्जा उद्योग के सामने संकट की स्थति पैदा हो गई है। अगर ऐसे ही हालात रहे तो करीब 10 लाख लोग बेरोजगार हो सकते हैं। कुछ स्थानों पर छंटनी की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। 

उद्योग में अनिश्चितता का माहौल
वेंकटरमानी ने कहा कि जीएसटी प्रणाली के तहत पहले से ही करीब 70 फीसदी वाहन कलपुर्जों पर 18 फीसदी जीएसटी लग रहा है। बाकी बचे 30 फीसदी पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है। इसके अलावा 28 फीसदी जीएसटी के साथ वाहनों की लंबाई, इंजन के आकार-प्रकार के आधार पर वाहनों पर एक से 15 फीसदी का उपकर भी लग रहा है। उन्होंने कहा कि मांग में कमी, बीएस-4 से बीएस-6 उत्सर्जन मानकों के लिए हाल ही में किए गए निवेश, ई-वाहन नीति पर अस्पष्टता से वाहन उद्योग में अनिश्चितता का माहौल है। इस वजह से भविष्य के सभी निवेश रुक गए हैं। 

 सरकारी हस्तक्षेप जरूरी

 उन्होंने कहा कि उद्योग को तत्काल सरकारी हस्तक्षेप की जरूरत है। ई-वाहनों के लिए एक स्थिर नीति की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि ई-वाहनों को पेश करने के लक्ष्य में और कोई भी बदलाव करने से देश के आयात बिल में वृद्धि होगी और मौजूदा कलपुर्जा उद्योग को भारी नुकसान होगा। इससे नौकरियों को भी काफी नुकसान होगा। 

जुलाई-दिसंबर में नौकरी परिदृश्य सकारात्मक

इस साल अगले छह महीने (जुलाई-दिसंबर) के दौरान कंपनियां नए कर्मचारियों की भर्ती को लेकर उत्साहित हैं। इनमें ज्यादातर नियुक्तियां तीन से पांच साल के अनुभव वाले लोगों की होगी। सूचना प्रौद्योगिकी, बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं, बीमा तथा बीपीओ क्षेत्र में सबसे ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी।

बुधवार को जारी नौकरी डॉट कॉम के छमाही सर्वे के मुताबिक, 78 फीसदी ने उम्मीद जताई है कि जुलाई-दिसंबर के दौरान नियुक्ति गतिविधियों का परिदृश्य बेहतर होगा। सर्वे में रोजगार सृजन को लेकर सकारात्मक संकेत मिलता है, लेकिन नियोक्ताओं को बेहतर प्रतिभा पाने को लेकर अब भी कुछ चिंताएं हैं।

41 फीसदी नियोक्ता मानते हैं कि इस अवधि में प्रतिभाओं की कमी सामने आ सकती है। 16 फीसदी ने कहा कि नियुक्तियां नौकरी छोड़ने वालों के स्थान पर ही होंगी, जबकि पांच फीसदी ने कहा कि कोई नई नियुक्ति नहीं होगी। 


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