Rajneeti News: बाढ़ क्षेत्र में जल संचय प्रोजेक्ट को दिल्ली कैबिनेट की मंजूरी

दिल्ली सरकार ने प्रोजेक्ट पर रिपोर्ट बनाने के लिए एक अंतर विभागीय कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। कैबिनेट ने कमेटी की सिफारिशों को मंजूर कर लिया।
इसके लिए अपनी जमीन पट्टे पर देने वाले किसानों को प्रति एकड़ प्रति वर्ष 77,000 रुपये मिलेंगे। दिलचस्प यह कि केंद्र सरकार की तरफ से प्रोजेक्ट को मिल रहे सहयोग पर मुख्यमंत्री ने फोन करके केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को धन्यवाद भी दिया है।
सरकार का मानना है कि इस प्रोजेक्ट से दिल्ली में पानी की कमी की समस्या दूर होगी। प्रोजेक्ट के तहत येमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में जल संचय के लिए पल्ला और वजीराबाद के बीच एक बड़ा जलाशय बनाया जाएगा। साथ ही छोटे-बड़े गड्ढे बनेंगे। इसमें यमुना नदी की बाढ़ का पानी इकट्ठा किया जाएगा। इससे भूजल के स्तर में भी सुधार होगा।
अधिकारियों का कहना है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) कमेटी की दो मंजूरी को छोड़कर प्रोजेक्ट से जुड़ी ज्यादातर मंजूरियां मिल गई हैं। बचे दो मामलों में जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
केंद्रीय मंत्री को मुख्यमंत्री ने दिया धन्यवाद
कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से इस मसले पर बातचीत की। केंद्र सरकार की तरफ से इस प्रोजेक्ट की जल्द मंजूरी मिलने पर मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को धन्यवाद दिया। केंद्र ने प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने में हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया है।
प्रोजेक्ट पर हर दिन रहेगी मुख्यमंत्री निगरानी
दिल्ली के जल संकट को दूर करने के लिए तैयार हो रहे प्रोजेक्ट पर मुख्यमंत्री की सीधी निगरानी है। मुख्यमंत्री निजी तौर पर इस पर नजर बनाए हुए हैं। मुख्यमंत्री का मानना है कि प्रोजेक्ट दिल्ली के लिए गेमचेंजर साबित होगा। मुख्यमंत्री इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि पानी के शोधन व रिचार्ज से ही दिल्ली में जल संकट दूर हो सकता है।
अपने तरह का पहला पायलट प्रोजेक्ट
यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में जल संचय का यह अपनी तरह का देश में पहला प्रोजेक्ट है। इसके लिए किसानों से किराए पर जमीन ली जाएगी। अंतर विभागीय कमेटी ने इस परियोजना के लिए लीज पर अपनी जमीन देने वाले किसानों को प्रति एकड़ प्रति वर्ष 77,000 रुपये देने की संस्तुति दी है। इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए किसानों को उनकी जमीन के हिसाब से रकम दी जाएगी।