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मंगलवार, 16 जुलाई 2019

चार साल तक की उम्र के बच्चों के लिए बाइक पर हेलमेट और कार में बूस्टर सीट जरूरी

चार साल तक की उम्र के बच्चों के लिए बाइक पर हेलमेट और कार में बूस्टर सीट जरूरी

Nitin Gadkari
Nitin Gadkari - फोटो : सांकेतिक
दोपहिया की सवारी में अब बच्चों को भी हेलमेट पहनना पड़ेगा। इसका प्रावधान केंद्रीय मोटर वाहन संशोधन विधेयक 2019 में कर दिया गया है। इस विधेयक को सोमवार को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में पेश किया। इसी के साथ विधेयक में प्रवधान किया गया है कि यदि आपने एंबुलेंस या फायर ब्रिगेड जैसे आपात सेवा के वाहनों को रास्ता रोका तो 10 हजार रुपये के जुर्माने के साथ साथ छह महीने की कैद भी हो सकती है।
केंद्रीय मोटर वाहन कानून 1988 में संशोधन के लिए जो विधेयक पेश किया गया, उसमें एक नई धारा 129 जोड़ी गई है जिसमें प्रावधान किया गया है कि दोपहिया वाहन की सवारी करने वाले चार साल से ऊपर के सभी बच्चों को हेलमेट पहनना पड़ेगा। 

वह हेलमेट भी कोई आम नहीं बल्कि आईएसआई मार्क का होना चाहिए। सवारी करने वाला बच्चा यदि सिख परिवार का है, तो भी उन्हें हेलमेट पहनना पड़ेगा। विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि सिख धर्म के व्यक्ति को तभी हेलमेट पहनने से छूट मिलेगी, जबकि वह पगड़ी बांधे हुए हो। 

कार में बच्चों के लिए बूस्टर सीट जरूरी

सड़क सुरक्षा से जुड़े संगठन सेव माई लाइफ के संस्थापक पीयूष तिवारी का कहना है कि यह बेहद जरूरी प्रावधान है, जिसका इंतजार किया जा रहा है। देखा जाए तो सड़क दुर्घटना में दोपहिया वाहन पर बैठा व्यक्ति चाहे पुरूष हो, महिला हो या बच्चे, सभी हताहत होते हैं। इसलिए सभी के लिए हेलमेट जरूरी होना चाहिए। 

उनका कहना है कि इस विधेयक में बच्चों के लिए दो और महत्वपूर्ण कदम उठाये गए हैं। अब कार की पिछली सीट पर बैठे बच्चों के लिए भी चाइल्ड रिस्ट्रेंन सिस्टम जरूरी किया जा रहा है। इसके तहत कार में एक बूस्टर या चाइल्ड सीट होती है जिसमें बिठा कर बच्चों को बेल्ट लगा दिया जाता है। 

इसमें बच्चों के लिए एडल्ट अकाउंटिबिलिटी भी तय कर दी गई है। इसमें स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि यदि बच्चे अपने अभिभावक, वैन वाला या रिक्सा वाला, जिनके साथ भी जा रहा है, उनके सुरक्षा की जिम्मेदारी अभिभावन, वैन का ड्राइवर या रिक्सा वाले की होगी।

एंबुलेंस की राह रोकी तो छह महीने की कैद

मोटर वाहन विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि अग्निशमन विभाग के वाहन, एंबुलेंस या इसी तरह के अन्य वाहनों को रास्ता नहीं देने वाले वाहन चालकों पर 10 हजार रुपये का जुर्माना किया जाएगा। ऐसा करने वालों को छह महीने के कैद की सजा भी हो सकती है। यदि सक्षम प्राधिकार को लगता है कि रास्ता नहीं देने वाले का अपराध कुछ ज्यादा ही गंभीर है तो उनके ऊपर जुर्माना तो लगाया ही जाएगा, साथ ही साथ उनको कैद की भी सजा हो सकती है।

साइलेंस जोन में हार्न बजाया तो 1000 रुपये का जुर्माना

विधेयक में प्रावधान किया गया है कि कोई व्यक्ति मोटर वाहन चलाते हुए साइलेंस जोन में अनावश्यक और बार बार हार्न बजा रहा है तो उनके ऊपर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाए। यही नहीं, यदि वह इस तरह की हरकत दूसरी या बार-बार करता है तो फिर उनके ऊपर लगाये जाने वाले जुर्माने की राशि दो हजार रुपये हो जाएगी। 

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