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सोमवार, 29 जुलाई 2019

हाईवे पर ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करना पड़ेगा मंहगा, रिटायर फौजी रखेंगे कड़ी नजर

हाईवे पर ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करना पड़ेगा मंहगा, रिटायर फौजी रखेंगे कड़ी नजर

फाइल फोटो
फाइल फोटो : bharat rajneeti
ट्रैफिक नियमों के बढ़ते उल्लंघन पर नजर रखने के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय एक अनोखी पहल शुरू करने वाला है। मंत्रालय सेनानिवृत्त कर्मियों को राष्ट्रीय राजमार्ग पर तैनात करेगा। इनके शरीर पर कैमरा लगा होगा। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और बिहार के 11 राजमार्गों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। सेनानिवृत्त कर्मी जहां ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन को रिकॉर्ड करेंगे। वहीं हर पांच किलोमीटर पर लगे सीसीटीवी कैमरा विशेष स्थानों पर होने वाले उल्लंघनों को रिकॉर्ड करने का काम करेगा।
सड़क परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना में इस्तेमाल होने वाले कैमरा जिसमें बॉडी कैमरा भी शामिल है, वह नियंत्रण कक्ष को सीधे फीड भेजेंगे। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'इन्हें पुलिस नियंत्रण कक्ष से लिंक किया जाएगा ताकि यह ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन को रिकॉर्ड और चालान जारी कर सके या आवश्यक कार्रवाई की जा सके। इस पूरी परियोजना को स्थानीय पुलिस और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के साथ मिलकर अंजाम दिया जाएगा। एनआईसी के पास सभी वाहन और ड्राइवरों का डाटा मौजूद है। पुलिस को एनआईसी के डाटाबेस से वाहन के मालिक और उल्लंघनकर्ताओं की सारी जानकारी मिल जाएगी।'

यह पायलट परियोजना राष्ट्रीय राजमार्ग कॉरिडोर के 1,550 किलोमीटर के हिस्से को कवर करेगी। जिनकी पहचान उन क्षेत्रों के तौर पर हुई है जहां सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं। इसपर 300 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।  इस परियोजना के लिए विश्व बैंक आर्थिक मदद प्रदान करेगा। योजना के अनुसार सेनानिवृत्त कर्मियों की एक टीम को 60 किमी के अंतराल पर चौबीसों घंटे तैनात किया जाएगा। एक अधिकारी ने कहा, 'उनके शरीर पर कैमरा लगाने का मकसद सभी घटनाओं और ट्रैफिक उल्लंघनकर्ताओं के दुर्व्यवहार को रिकॉर्ड करना है। जहां सीसीटीवी तेज रफ्तार, ओवरटेकिंग और जिग-जैग ड्राइविंग जैसे उल्लंघनों को रिकॉर्ड करने का काम करेगा। वहीं सेनानिवृत्त कर्मी गलत पार्किंग और गलत ड्राइविंग जैसे उल्लंघनों को रिकॉर्ड करेंगे।'

इस पायलट परियोजना को ऐसे समय पर अंजाम दिया जा रहा है कि जब सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों में से 33-35 प्रतिशत केवल राजमार्गों पर होती हैं। यातायात नियमों का प्रबंधन और उन्हें लागू करना स्थानीय पुलिस की जिम्मेदारी है लेकिन वह अमूमन मैनपावर की कमी के कारण राष्ट्रीय राजमार्गों पर ऐसा नहीं कर पाते। इसके अलावा राजमार्ग केंद्र सरकार के अंतर्गत आते हैं। दूसरे देशों की तरह भारत में नेशनल हाईवे पुलिस पेट्रोल सिस्टम नहीं है। 

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