प्रदूषण की मार से मुक्ति के लिए करना होगा 2024 तक इंतजार
प्रदूषण (सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : bharat rajneeti
बढ़ता प्रदूषण केंद्र सरकार के लिए भी चिंता का सबब है। इसलिए केंद्र सरकार ने एलान किया है कि अगले पांच साल में वायु प्रदूषण में 20 से 30 फीसदी की कमी की जाएगी, यानि हवा से मोटे और महीन धूल कणों जिन्हें पीएम 2.5 और पीएम 10 भी कहा जाता है को घटाया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार देश भर में प्रदूषण से निपटने की कार्ययोजना पर युद्ध स्तर पर काम कर रही है। यानि सरकार की मंशा 2024 तक देश की हवा को अधिकतम साफ करने की है।
नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पर्यावरण केंद्र सरकार के एजेंडे में सबसे अहम है। मंत्रालय का दावा है कि देश में तेजी से पांव पसार रहे प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार तेजी से सक्रिय हो गई है। क्योंकि प्रदूषण के चलते देश के 20 बड़े शहरों में साल के कुछ महीनों में तो सांस लेना तक मुशक्लि हो जाता है। इसके तहत देश भर में स्वच्छ वायु कैंपन शुरू किया गया है। जनवरी 2019 से देश के सबसे गंदे 102 शहरों को चिन्हित किया गया है। इसमें 86 शहरों की सफाई के लिए विशिष्ठ कार्य योजना को मंजूरी भी दे दी गई है। शुक्रवार को लोकसभा में केंद्रीय मंत्री पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन ने एक लिखित प्रश्न के जवाब में भी बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जाहिर की और सरकार की ओर से इससे निजात दिलाने के संकल्प को दोहाराया। जावड़ेकर ने कहा है मंत्रालय की पूरी कोशिश है कि आने वाले 5 सालों में देश का वातावरण वायु से लेकर जल तक इतना स्वस्थ और साफ हो जाए जिससे आम आदमी की सांसों पर प्रदूषण की मार कम से कम पड़े। सदन में रखे गए आकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार ने 2024 तक देश में वायु की गुणवत्ता में 30 फीसदी तक सुधार करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा 2024 तक ही जल प्रदूषण को भी न्यूतन करने की कवायद की जा रही है।
वायु प्रदूषण के लिए रोकथाम नियंत्रण और उन्मूलन केलिए व्यापक प्रबधंन योजना को सुनिश्चित किया गया है। इसकेलिए वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क को बढ़ाया और विकसित किया जा रहा है, जबकि जल प्रदूषण के लिए नदियों से लेकर भूजल संरक्षण, संचयन के साथ हर घर नल योजना शुरू की गई है। वायु प्रदूषण के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम एनएएमपी के तहत देश भर के 29 राज्यों 6 केंद्र शासित प्रदेशों 339 शहरों को कवर करने वाले 779 स्थानों पर परिवेशी वायु गुणवत्ता की निगरानी की जा रही है।
इसके अलावा 18 राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों में 102 शहरों के 170 स्थानों पर वास्तविक समय की निगरानी हो रही है। राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक की शुरुआत की गई है। दिल्ली में अक्टूबर 2018 से वायु गुणवत्ता को लेकर चेतावनी प्रणाली शुरू कर दी गई है। देश में ईधन के मानकों में बीएस 4 से बीएस -5 को 1 अप्रैल 2018 से प्रभावी कर दिया गया है। इसके अलावा वैकल्पिक ईधन जिसमें सीएनजी, एलपीजी, इथेनॉल जैसे साफ ईधनोंको बढ़ावा दिया जा रहा है।
सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जा रहा है। सड़क मार्गों में सुधार, पुलों का निर्माण बड़े पैमाने पर हो रहा है। ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफेरल बन जाने से अनावश्यक वाहनों का प्रवेश दिल्ली समेत एनसीआर के कई शहरों में प्रतिबंधित हो गया है। प्रदूषण नियंत्रण केलिए प्रमाणपत्र प्रक्रिया को व्यवस्थित किया गया है। दिल्ली एनसीआर में 2000 सीसी के डीजल इंजन वाहनों पर पर्यावरण संरक्षण शुल्क लगाया गया है।
बिजली संयंत्रों के लिए सख्त उत्सर्जन मानदंड को अधिसूचित किया गया है। सभी ईंट भट्टों को दिल्ली एनसीआर में जिग जैग तकनीक में ट्रांसफर कर दिया गया है। बदरपुर थर्मल प्लांट को अक्टूबर 2019 से बंद कर दिया गया है। दिल्ली और एनसीआर के सभी वायु प्रदूषण केहिसाब से संवेदनशील माने जाने वाले उद्योगों की लगातार निगरानी की जा रही है।
पैट कोक और फार्नेस ऑयल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। ठोस अपशिष्ट को सरकार ने बकायदा नीति बनाकर काम किया है पराली जलाने के बजाए कृषि यंत्रीकरण की मदद से उसे खेती के काम में लाकर अवशेष प्रबंधन किया जा रहा है। 2018-19 से 2020 तक पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के लिए यह योजना चलाई जा रही है। कचारा जलाने पर रोक लगा दी गई है।
कचरे से बिजली बनाने के अकले दिल्ली में ही 3 संयत्र चलाए जा रहे हैं। इसमें हर दिन 5100 टन कूड़े का निस्तारण हो रहा है। छह तरह के अपशिष्ट निस्तारण केलिए नियमों को अधिसूचित किया कर दिया गया है। धूल के प्रबंधन के लिए सख्त उपाय किए गए हैं। इसमें मशीनों से सफाई निर्माण और विध्वंस में एतिहात बरतने के नियम बनाए गए हैं। ग्रीन गुड्स डीड की मदद से आन जन की भागेदारी पर्यावरण संरक्षण में सुनिश्चित की जा रही है। इसके अलावा मंत्रालय जल प्रदूषण को लेकर सक्रिय प्रयास कर रहा है।
20 राज्यों की राजधानियों में विशेष कार्ययोजना के तहत स्थानीय निकायों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। इसके अलावा औद्योगिक इकाइयों की जल निकासी और मल-जल शोधन को लेकर सक्रिय निगरानी तंत्र विकसित किया गया है। पर्यावरण से जुड़ी शिकायतों के निवारण के लिए भी प्रभावी तंत्र विकसित किया गया है। इसमें समीर एप के अलावा सोशल मीडिया प्लेटफार्म और एअरकंप्लेंटसीपीसीबी एट द रेट ऑफ जीओवी.इन पर ऑन लाइन शिकायत कर तय समय में निवारण कराया जा सकता है।
पर्यावरण मंत्रालय ने कहा यूं तो मंत्रालय पूरे देश में काम कर रहा है लेकिन देश की राजधानी और एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण की मार के चलते बढ़ती बदहाली पर पर्यावरण मंत्रालय ने 2016 से काम शुरू किया था। जिसके परिणाम अब मिल रहे हैं। 2018 से दिल्ली की वायु की गुणवत्ता में सुधार शुरू हो गया है। 2017 में 152 अच्छे वायु गुणवत्ता वाले दिनों के मुकाबले 2018 में यह 159 दिन तक पहुंच गया है जबकि खराब गुणवत्ता वाले दिनों में लगातार कमी आ रही है।
यह दिन 2018 में घटकर 206 दिन रह गए जबकि 2017 में यह 213 दिन और 2016 में 246 दिन थे। मंत्रालय ने दिल्ली समेत समूचे एनसीआर के लिए 2017 से ही ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू कर दिया है। यह सामान्य, खराब, बहुत खराब, अति गंभीर और आपात श्रेणियों में मांपता है। केंद्र सरकार ने 2018 से दिल्ली समेत समूचे एनसीआर में पर्यावरण खासतौर पर वायु प्रदूषण को लेकर दीपावली से पहले और बाद में मुहिम चलाने एक अलावा लगातार निगरानी तंत्र को विकसित किया है।
नोट- पीएम 2.5 दिल्ली में 2016-17 में 14.8 फीसदी तय मानकों से अधिक था। जबकि 2018 में यह 7.3 फीसदी तक घटा। जबकि पीएम 10 का स्तर 2017 से 16 में 16.5 फीसदी था। यह 2018 में 8.6 फीसदी तक घटा है।
नोट- पीएम 2.5 का न्यूनतम 47 से 80 और पीएम 10 न्यूनतम 76 से 119 होना चाहिए लेकिन देश के 102 शहरो में कहीं अधिक
नोट- 20 शहर है दिल्ली, पटना, लुधियाना, ग्वालियर, रायपुर, अहमदाबाद, लखनऊ, कानपुर, फिरोजाबाद, आगरा, खन्ना अमृतसर