येदियुरप्पा के सामने अभी कई चुनौतियां, मुख्यमंत्री पद की शपथ से पहले किया यह काम
येदियुरप्पा ने ली सीएम पद की शपथ - फोटो :bharat rajneeti
खास बातें
कब-कब रहे मुख्यमंत्री
- 12 नवंबर 2007 से 19 नवंबर 2007
- 30 मई 2008 से 31 जुलाई 2011
- 17 मई 2018 से 19 मई 2018
कर्नाटक में 14 महीने बाद एक बार फिर सत्ता हासिल करने वाले भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। पिछली बार सीएम पद की शपथ लेने के बावजूद सत्ता नहीं पा सके येदियुरप्पा के सामने फिर बहुमत साबित करना पहली चुनौती होगी।
तीन विधायकों के अयोग्य घोषित होने के बाद विधानसभा सदस्यों की संख्या 222 रह गई है। वहीं, बागी 14 विधायकों के इस्तीफे पर स्पीकर को फैसला करना है। ऐसे में येदियुरप्पा को बहुमत के लिए 112 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी। भाजपा के पास अपने 104 और दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। जरूरी है कि 14 विधायक या तो येदियुरप्पा के समर्थन में वोट करें या सदन से अनुपस्थित रहें। इन विधायकों की अनुपस्थिति से बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा 105 होगा, जिसे भाजपा आसानी से हासिल कर लेगी।
अगर स्पीकर 14 विधायकों को अयोग्य ठहराते हैं या इस्तीफा स्वीकार करते हैं तो उन सीटों पर उपचुनाव होंगे। ऐसे में भाजपा के सामने चुनौती होगी, इन 17 सीटों में से कम से कम आठ पर जीत दर्ज करना। ऐसा नहीं होता है तो उसके लिए सरकार बचाना मुश्किल हो जाएगा। विधायकों में संतुलन बनाना एक और चुनौती होगी। पार्टी विधायकों में अगर असंतोष हुआ तो इस सरकार का भी हश्र कुमारस्वामी सरकार की तरह हो सकता है।
शपथ से पहले नाम की स्पेलिंग बदली येदियुरप्पा ने शपथ लेने से पहले इंग्लिश में अपने नाम की स्पेलिंग में बदलाव किया। वह पहले अपने नाम में येदियुरप्पा दो बार ‘डी’ लिखा करते थे, लेकिन अब उन्होंने एक डी को हटाकर ‘आई’ जोड़ा है। राज्यपाल को सरकार बनाने का दावा पेश करने को लेकर लिखे गए पत्र से इस बदलाव का पता चला। 2007 में सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद येदियुरप्पा ने पहली बार अपने नाम की स्पेलिंग बदली थी, तब उन्होंने आई हटाकर अतिरिक्त डी लगाया था। माना जा रहा है कि अंक ज्योतिष की सलाह पर उन्होंने दोबारा इसमें बदलाव किया है।
जुलाई में जारी आदेशों पर अमल न करने का निर्देश शपथ लेने से पहले येदियुरप्पा ने सभी विभागों के प्रमुखों को नई परियोजनाओं को लेकर पूर्व सरकार द्वारा जुलाई में जारी आदेशों पर अगली समीक्षा तक अमल नहीं करने का निर्देश दिया। साथ ही उन्होंने सभी ट्रांसफर पर रोल लगा दी, जिन्हें मंजूरी मिल गई थी, लेकिन क्रियान्वित नहीं किया गया था। मुख्य सचिव टीएम विजय भास्कर ने सभी विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और सचिव को पत्र लिखकर इस बारे में सूचित कर दिया है।
15 साल की उम्र में संघ से जुड़े
येदियुरप्पा महज 15 साल की उम्र में संघ से जुड़ते थे। 1970 के दशक की शुरुआत में वह गृहनगर शिमोगा के शिकारीपुरा तालुक के जनसंघ प्रमुख बने। येदियुरप्पा शिमोगा की शिकारीपुरा सीट से 1983 में पहली बार विधायक चुने गए। तब से आठ बार वह यहां से जीत दर्ज कर चुके हैं। येदियुरप्पा आपातकाल के दौरान जेल भी गए। समाज कल्याण विभाग में क्लर्क की नौकरी करने के बाद शिकारीपुरा में चावल मिल में क्लर्क का काम किया। उन्होंने शिमोगा में हार्डवेयर की दुकान भी खोली।
2004 में नहीं बन थे पाए सीएम
2004 के चुनाव में भाजपा के सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद येदियुरप्पा सीएम नहीं बन पाए। तब भी कांग्रेस और जदएस ने गठबंधन कर उन्हें सत्ता तक पहुंचने से रोक दिया था। धरम सिंह मुख्यमंत्री बने। खनन घोटाले में धरम सिंह पर अभियोग लगाने के बाद 2006 में येदियुरप्पा ने कुमारस्वामी से हाथ मिलाकर सरकार गिरा दी। तब समझौते के तहत पहले कुमारस्वामी सीएम बने। येदियुरप्पा के सीएम बनने पर जदएस ने समर्थन वापस ले लिया और येदियुरप्पा सात दिन ही सीएम रह सके।
अवैध खनन घोटाले ने ली कुर्सी
2008 में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने के बाद अवैध खनन घोटाले में येदियुरप्पा पर अभियोग लगा और 31 जुलाई 2011 को उनको सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। जमीन घोटाले में वारंट जारी होने के बाद उन्होंने 15 अक्टूबर को लोकायुक्त अदालत के समक्ष समर्पण किया। वह एक हफ्ते जेल में रहे। इसके बाद येदियुरप्पा ने भाजपा छोड़कर नई पार्टी कर्नाटक जनता पक्ष बनाई। 2013 के चुनावों में उन्होंने छह सीटें और दस फीसदी वोट हासिल कर भाजपा को सत्ता में आने से रोक दिया।
भाजपा में फिर वापसी
2014 के लोकसभा चुनावों में येदियुरप्पा की भाजपा में वापसी हुई। येदियुरप्पा ने 9 जनवरी को अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया और भाजपा ने 28 में 17 सीटें जीतीं। 26 अक्टूबर 2016 को सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें अवैध खनन मामले में बरी कर दिया। जनवरी 2016 में लोकायुक्त पुलिस की ओर से येदियुरप्पा पर सभी एफआईआर रद्द कर दी गई।