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गुरुवार, 4 जुलाई 2019

राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है सरकारी शिक्षा, दिल्ली के स्कूलों पर भाजपा की रिपोर्ट में दावा

राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है सरकारी शिक्षा, दिल्ली के स्कूलों पर भाजपा की रिपोर्ट में दावा

प्रेसवार्ता के दौरान दस्तावेज दिखाते मनोज तिवारी
प्रेसवार्ता के दौरान दस्तावेज दिखाते मनोज तिवारी - फोटो : bharat rajneeti
इन दिनों दिल्ली में सरकारी स्कूलों को लेकर आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच सियासी जंग छिड़ी है। बुधवार को भाजपा ने स्कूलों पर एक शोध रिपोर्ट जारी की, जिसमें दावा किया है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों की हालत राष्ट्रीय औसत से भी काफी कम है। विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने शोध का हवाला दिया कि दिल्ली के निजी स्कूलों में 10वीं कक्षा की औसत पास प्रतिशत 93.18 थी, जबकि दिल्ली के सरकारी स्कूलों की औसत पास प्रतिशत 71.5 थी। दिल्ली के सरकारी स्कूलों की औसत राष्ट्रीय औसत 91.10 प्रतिशत से भी बहुत नीचे है। 

पीपीआरसी द्वारा प्रकाशित ‘दिल्ली गवर्नमेंट स्कूल्स ए फेक्चुअल एनालिसिस’ नामक रिपोर्ट पर गुप्ता का कहना है कि दिल्ली सरकार के बयान धरातल से विपरीत हैं। छात्रों के अंकों को देखें तो 12वीं और 10वीं में छात्रों का प्रदर्शन बहुत निराशाजनक है। 75 प्रतिशत छात्रों ने 60 प्रतिशत से नीचे स्कोर किया। डीयू की साल 2018 की तीसरी कटऑफ सूची के अनुसार 12वीं कक्षा के 95 प्रतिशत छात्र प्रवेश के लिए अयोग्य हैं। 71 प्रतिशत स्कूलों में साइंस नहीं है, यानी 1,029 स्कूलों में से केवल दिल्ली के 301 स्कूलों में ही विज्ञान पढ़ाया जाता है। बायोलॉजी केवल 10 प्रतिशत स्कूलों में है, उपलब्ध है। 73 प्रतिशत स्कूलों में वोकेशनल स्ट्रीम नहीं है।

स्कूलों में प्रिंसिपल के पदों में 70.5 प्रतिशत रिक्तियां हैं, टीजीटी के पदों में लगभग 51 प्रतिशत पद खाली हैं और नियमित कर्मचारियों द्वारा नहीं भरे गए हैं। केजरीवाल सरकार 500 स्कूलों के निर्माण के अपने वादे पर पूरी तरह विफल रही। निर्माण किए 25 नए स्कूलों पर 2015 से पहले ही काम शुरू कर दिया था। साल 2015 से स्कूल निर्माण के लिए 82 खाली प्लॉट्स का अधिकार था

रिपोर्ट पर हैरान आप, एलजी के पास है नियुक्तियों का अधिकार
रिपोर्ट पर चुटकी लेते हुए आप प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा- ‘हमें खुशी है कि भाजपा और उससे जुड़ी थिंक टैंक का ध्यान अब शिक्षा की तरफ भी हुआ है। हैरानी की बात है की उन्हें नहीं पता की दिल्ली के स्कूलों में प्रिंसिपल, अध्यापक आदि की भर्ती एलजी के पास है। भर्ती तो दूर, दिल्ली विधानसभा में इस सवाल का जवाब भी नहीं दिया जाता कि स्कूलों में कितने पद खाली हैं। ना सिर्फ शिक्षा विभाग, बल्कि स्वास्थ्य विभाग में भी एलजी और भाजपा की वजह से खूब पद खाली हैं। इनको दिल्लीवालों को परेशान करने की नीयत से खाली ही रखा गया।

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