सिर्फ 15 जिले नहीं, कुपोषण से जूझ रहे देशभर के गरीबों को मिलेगा 'फोर्टिफाइड' चावल
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : bharat rajneeti
खास बातें
- 2,500 करोड़ रुपये का बढ़ेगा अतिरिक्त बोझ
- योजना को लागू करने के लिए बनाया जा रहा कैबिनेट नोट
- सरकार फरवरी, 2019 में ही योजना लागू करने की दे चुकी है मंजूरी
सरकार गरीबी और कुपोषण से जूझ रहे लोगों को खरीफ मौसस की धान कटाई के बाद विटामिन और खनिज पदार्थों से युक्त (फोर्टिफाइड राइस) उपलब्ध कराएगी। इस योजना को लागू करने के लिए मंत्रिमंडल की स्वीकृति लेनी होगी। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इस संबंध में कैबिनेट नोट बनाया जा रहा है। उम्मीद है कि अगले पखवाड़े तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहले फैसला हुआ था कि 15 राज्यों के एक-एक जिले में फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति होगी। लेकिन नीति आयोग के हस्तक्षेप के बाद इस योजना को देशभर के सभी जिलों में लागू करने का फैसला किया गया।
दरअसल, फोर्टिफाइड चावल के वितरण पर मंत्रालय और नीति आयोग की बैठक हुई थी। इसमें नीति आयोग ने सवाल उठाया कि जब फोर्टिफाइड राइस का वितरण गरीबों के बीच करना है तो इसकी शुरुआत सिर्फ 15 जिलों से क्यों? बैठक में इसके लिए कोष की व्यवस्था करने को लेकर भी सवाल उठा? तमाम पहलुओं पर विचार करने के बाद फैसला हुआ कि शुरुआत से ही यह योजना पूरे देश में लागू होगी।
पहले से भी हो रही आपूर्ति
सामान्य चावल को फोर्टिफाइड चावल बनाने के लिए उस पर आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए और विटामिन बी12 का लेप किया जाता है। इस पर प्रति किलो 60 पैसे का खर्च आता है। देशभर के अंत्योदय राशन कार्ड धारकों को फोर्टिफाइड चावल उपलब्ध कराने पर कुल 2,500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसके लिए वित्त मंत्रालय से राशि मिलेगी। अधिकारियों के मुताबिक, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से आंगनवाड़ी केंद्रों और मध्यान्ह भोजन योजना में कुछ जगहों पर पहले से ही फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति की जा रही है।
केंद्र और राज्य मिलकर उठाएंगे खर्च
अधिकारियों ने बताया कि इस योजना को लागू करने में जो खर्च आएगा, उसका भार केंद्र और राज्य दोनों मिलकर उठाएंगे। सामान्य राज्यों में कुल खर्च का 75 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार वहन करेगी, जबकि राज्य सरकारों को 25 फीसदी हिस्सा देना होगा। वहीं, पूर्वोत्तर राज्यों में केंद्र सरकार कुल खर्च का 90 फीसदी हिस्सा वहन करेगी, जबकि राज्यों की हिस्सेदारी 10 फीसदी होगी।
नीति आयोग की है योजना
केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने बीते शनिवार को ही बताया कि पोषक तत्वों से भरपूरचावलों की आपूर्ति आगामी खरीफ मौसम की धान कटाई के बाद से होगी। इस योेजना का खाका नीति आयोग ने खींचा है ताकि देश को कुपोषण मुक्त किया जा सके। सरकार ने इस योजना को 14 फरवरी, 2019 को ही मंजूरी दे दी थी। इसे लागू करने की कार्ययोजना भी बना ली गई है।