सुप्रीम कोर्ट ने कहा- खरीदारों से नहीं वसूल सकते बकाया, फ्लैट पर उनका अधिकार, अथॉरिटी व बैंक का नहीं
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सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली मामले में मंगलवार को दो टूक कहा कि फ्लैट पर सिर्फ खरीदारों का हक है। शीर्ष अदालत ने कहा कि नोएडा व ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और बैंकों को समूह से अपनी बकाया रकम वसूलने के लिए आम्रपाली समूह की संपत्तियों को बेचने का कोई अधिकार नहीं होगा।
खरीदारों द्वारा जमा की गई रकम में अथॉरिटी की देय रकम भी शामिल है, लिहाजा अथॉरिटी और बैंक खरीदारों से बकाया नहीं वसूल सकते। वे समूह की जब्त संपत्तियों को बेचकर बकाया वसूल कर सकेंगे।
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने आम्रपाली समूह के अधूरे प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए एनबीसीसी को नियुक्त किया है। इसके लिए एनबीसीसी को आठ फीसदी का कमीशन दिया जाएगा।
पीठ ने खरीदारों को प्रमोटर्स से हुए करार के तहत बची रकम तीन महीने में कोर्ट में यूको बैंक की शाखा में जमा करने को कहा। कोर्ट ने समूह के विभिन्न प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदने वालों की याचिकाओं पर 10 मई को सुनवाई पूरी की थी।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने कोर्ट को बताया था कि वे समूह के अधूरे प्रोजेक्ट पूरे करने में असमर्थ हैं। प्राधिकरणों का कहना था कि आम्रपाली समूह पर मूलधन और ब्याज के रूप में करीब 5000 करोड़ रुपये बकाया हैं।
हालांकि नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना था कि पट्टे का राशि का भुगतान नहीं करने पर उसने समूह की सात प्रोजेक्ट को अपने अधिकार में ले लिया था और इससे 505 करोड़ रुपये की वसूली हुई। वहीं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने पांच परियोजना को अधिकार में लिया और 363 करोड़ की वसूली की।
अथॉरिटी और बैंकरों ने जनता का विश्वास तोड़ा
पीठ ने कहा कि समूह के पास 2015-18 के बीच का कोई लेखा-जोखा नहीं है। इस दौरान खरीदारों के पैसे को डायवर्ट किया गया। समूह के ऑडिटर अनिल मित्तल न सिर्फ अपना कर्तव्य निभाने में विफल रहे बल्कि वह भी इस गड़बड़ी का हिस्सेदार बने। बैंक से लिए लोन को निदेशकों द्वारा निजी संपत्तियां बनाने में खर्च किया गया। बैंक पूरी तरह मूकदर्शक बनी रहीं। अथॉरिटी और बैंकों जनता का विश्वास तोड़ा। कोर्ट ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया को मित्तल के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने और छह माह में रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
खरीदारों की रकम एक महीने में सौंपने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फोरेंसिक ऑडिर्ट्स की रिपोर्ट के तहत समूह व उसके निदेशकों के पास खरीदारों के जो भी पैसे हैं, वह रकम एक महीने के भीतर कोर्ट में जमा हो जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यह आखिरी मौका है। समय पर रकम न जमा कराने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।