Bharat ki Rajneeti News: वियना संधि और मानवाधिकार उल्लंघन पर 'पाक' चित, जाधव की फांसी पर रोक, अब आगे क्या?
kulbhushan jadhav - फोटो : bharat rajneeti
भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से विवाद का विषय बने रहे कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) ने अंतिम फैसला सुनाते हुए फांसी की सजा पर रोक लगा दी। भारत के पक्ष में आए इस फैसले के अनुसार, जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस सुविधा दी जाएगी। इस मामले पर आज संसद में विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर अपने मंत्रालय की ओर से बात रखेंगे।
सवाल यह है कि अब आगे क्या? क्या कुलभूषण जाधव की रिहाई होगी? अंतरराष्ट्रीय अदालत में मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान का जाधव पर क्या रुख होगा? ऐसे कई सवालों के जवाब भविष्य के गर्भ में हैं, लेकिन कुछ स्थितियां जो बन रही हैं, वह जाधव के लिए राहत भरी है।
एक नजर इन संभावनाओं पर
- आईसीजे के फैसले में जाधव की सजा की कारगर समीक्षा और उस पर पुनर्विचार करने को कहा गया है। इससे स्पष्ट है कि उन्हें कॉन्सुलर एक्सेस मिलेगी।
- हरीश सॉल्वे के अनुसार, यदि पाकिस्तान अभी भी इस मामले में निष्पक्ष सुनवाई नहीं करता है, तो भारत एक बार फिर आईसीजे जा सकता है।
- सॉल्वे के अनुसार, अगर पाकिस्तान सैन्य कोर्ट में ही दोबारा जांच कराता है तो इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। ऐसे में बाहरी वकील का प्रवेश नहीं होगा, जो कि न्याय के सिद्धांतों के विपरीत होगा।
- पाकिस्तान मामले को आम अदालत में ले जा सकता है। ऐसी स्थिति में भारत जाधव को कानूनी मदद मुहैया कराएगा।
- पाकिस्तान जाधव की रिहाई नहीं करता तो भारत, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का रुख कर सकता है।
- आईसीजे का फैसला बाध्यकारी है। इसके खिलाफ अपील कठिन है। हालांकि अमेरिका जैसे देश आईसीजे के फैसले से किनारा कर चुके हैं, लेकिन पाकिस्तान के लिए ऐसा कर पाना कठिन होगा। कारण कि वह सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य नहीं है।
आईसीजे ने पाक को लताड़ा, इस आधार पर सुनाया फैसला
अंतरराष्ट्रीय अदालत, हेग - फोटो : bharat rajneeti
भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव मामले में में अंतरराष्ट्रीय अदालत ने बुधवार को पाकिस्तान को वियना कन्वेंशन के तहत भारत को जाधव तक कॉन्सुलर एक्सेस मुहैया कराने और फांसी की सजा की समीक्षा का आदेश दिया है। आईसीजे ने कहा, कोर्ट ने इस बात पर संज्ञान लिया है कि पाकिस्तान ने वियना कन्वेंशन के आर्टिकल 36 का उल्लंघन किया है। उसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रावधानों का पालन करना चाहिए। पाकिस्तान ने अपनी दलील में भारत व पाक के बीच 2008 में काउंसलर पहुंच देने के मुद्दे पर एक समझौता किया था। मगर हमने परीक्षण में पाया कि पाक ने इस समझौते के उलट व्यवहार किया।
पाकिस्तान की दलील
अंतरराष्ट्रीय अदालत, हेग - फोटो : bharat rajneeti
पाकिस्तान का कहना है कि जासूसी के मामले में वियना कन्वेंशन का यह प्रावधान लागू नहीं होता है। जबकि आर्टिकल 36 के व्यापक संदर्भों में देखें तो काउंसलर पहुंच तो देनी ही चाहिए। पाकिस्तान ने जाधव को उनके अधिकारों के बारे में नहीं बताया जो कि वियना संधि का घोर हनन है। इसके अलावा वियना संधि के मुताबिक पाक को भारत को फौरन गिरफ्तारी की सूचना देनी चाहिए थी। पाक को मानवाधिकार कानूनों के तहत भी जाधव को उनका हक देना चाहिए था। जाधव के मामले में मानवाधिकार कानूनों का भी उल्लंघन किया गया।
आईसीजे की 'पाक' को नसीहत- प्रतिशोध जैसी बात न हो
अंतरराष्ट्रीय अदालत, हेग - फोटो : bharat rajneeti
आईसीजे ने पाकिस्तान को नसीहत देते हुए कहा, यह अंतरराष्ट्रीय कानून का सिद्धांत है कि किसी भी मामले में पुनर्विचार होना ही चाहिए। नियमों के पालन करने में प्रतिशोध जैसी बात नहीं होनी चाहिए। पाकिस्तान को जाधव की सजा पर पुनर्विचार और समीक्षा करनी चाहिए। पाकिस्तान की सैन्य अदालत का फैसला अंतरराष्ट्रीय कानूनों और नियमों का उल्लंघन है।