यमन में गृहयुद्ध का दंश झेलने वालों के लिए भारत बना संजीवनी, दिल्ली में हुआ घायलों का उपचार
प्रतीकात्मक तस्वीर : bharat rajneeti
खास बातें
- यमन के गृहयुद्ध में घायलों का दिल्ली में हुआ उपचार
- भारत सरकार की पहल से कई लोगों को मिली मदद
- यूएई दूतावास से आए अधिकारियों ने दी जानकारी
यमन में गृहयुद्ध का दंश झेलने वालों के लिए भारत संजीवनी बना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार से सहायता मिलने के बाद यमन से दिल्ली आए मरीजों को उपचार दिया जा रहा है। 21 वर्षीय अब्दुल्ला सालेह हसन पर बम गिरने के बाद उनकी जांघ की हड्डी टूट गई थी। लाचार बिस्तर पर लेटे हसन अपनी पीड़ा से इस कदर परेशान थे कि उनकी आंखें हमेशा नम रहती थी। अपने देश में उपचार के बाद भी उन्हें आराम नहीं मिला।
ठीक इसी तरह 23 साल की फातिमा मोहम्मद अली मोहसिन एक बम विस्फोट में घायल हो गई थी। उनका कई स्थानों पर असफल उपचार किया गया और कई सर्जिकल प्रक्रियाओं को अंजाम दिया गया था, लेकिन दर्द कम नहीं हुआ। उनके कूल्हे के जोड़ में हड्डी की चोट के साथ कई बोनी टुकड़े थे। उन्होंने अपने कूल्हे की समस्या के लिए हिप सर्जरी कराई।
गृहयुद्ध में घायल इन मरीजों का दिल्ली के मेडिओर अस्पताल में उपचार किया गया। एम्स के पूर्व निदेशक और वर्तमान में मेडिओर अस्पताल के निदेशक डॉ. पीके दवे हड्डी रोग के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास युद्ध में घायलों के बेहद मुश्किल मामले सामने आते हैं। कई मामले ऐसे हैं, जिनका पहला यूएई में इलाज हो चुका है, फिर भी वे सही इलाज के लिए वे भारत आए।
जून में ही 21 यमन मरीजों का बैच आया, जो विस्फोट, गोली और अन्य चोट के शिकार थे। इनका विभिन्न विभागों जैसे आर्थोपेडिक्स, न्यूरोसर्जरी, जनरल सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, और आंखों की सर्जरी से डॉक्टरों और कर्मचारियों की एक विशेषज्ञ टीम ने रोगियों का इलाज किया।
729 मरीजों का हुआ उपचार
डॉ. दवे ने बताया कि यमन में सरकार और हूती विद्रोहियों के बीच 2015 में शुरू हुए गृह युद्ध में घायल हुए 729 लोगों का इलाज दिल्ली के मेडिओर अस्पताल में हुआ है। मंगलवार को नई दिल्ली के होटल ली मेरिडियन में हुई प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान डॉ. दवे ने बताया कि यमन से उनके पास जमीर नामक मरीज आया, जिसका परिवार अदन शहर छोड़कर अबियन पहुंच गया है। उसने उपचार करने वाले डॉक्टरों को बताया था कि अदन शहर में दहशत इस तरह फैली थी कि कब और कहां विस्फोट होगा? कोई नहीं जानता था।