येदियुरप्पा और शिवकुमार, सुप्रीम कोर्ट में एक साथ आए धुर विरोधी, ये है पूरा मामला

अब एक हस्तक्षेपकर्ता ने याचिका दाखिल की है जिसका इस मामले से कोई लेनादेना नहीं है। वहीं पीठ ने मामले को बंद किए जाने पर सवाल उठाए। पीठ ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में कोई भी व्यक्ति आवेदन कर सकता है। हालांकि पीठ ने किसी तरह का आदेश पारित किए बिना सुनवाई टाल दी।
जमीन से संबंधित है पूरा मामला
मामला 4.20 एकड़ जमीन से संबंधित है। इस जमीन को तत्कालीन शहरी विकास मंत्री डीके शिवकुमार ने बीके श्रीनिवासन से अधिगृहीत की थी। यह नोटिफाइड जमीन थी जिसका पूर्व में बंगलूरू विकास प्राधिकरण ने अधिग्रहण किया था। कर्नाटक भूमि कानून के तहत सरकार द्वारा अधिगृहीत जमीन को हस्तांतरित करने पर रोक है। बाद में येदियुरप्पा की सरकार ने इस जमीन को डिनोटिफाई कर दिया था यानी येदियुरप्पा ने शिवकुमार को लाभ पहुंचाया।
इन दोनों नेताओं सहित अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा शुरू किया गया था लेकिन दिसंबर, 2015 में हाईकोर्ट ने इन लोगों के खिलाफ चल रहे मुकदमे को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट के इस आदेश को समाजसेवी काबलेगौड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
गत वर्ष फरवरी में याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस करने की इजाजत मांगी थी जिसे स्वीकार कर लिया गया था। अब समाज परिवर्तन समुदाय नामक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर गत वर्ष फरवरी महीने के आदेश को वापस लेने के लिए आवेदन दाखिल किया है।