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गुरुवार, 8 अगस्त 2019

दिल्ली: अनुच्छेद 370 का जश्न मनाने की थी तैयारी, सुषमा की मौत के बाद रद्द हुआ कार्यक्रम

दिल्ली: अनुच्छेद 370 का जश्न मनाने की थी तैयारी, सुषमा की मौत के बाद रद्द हुआ कार्यक्रम

सुषमा स्वराज
सुषमा स्वराज - फोटो : bharat rajneeti
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन की खबर से देश में भी शोक की लहर दौड़ गई। दिल्ली में भाजपा कार्यकर्ताओं ने बुधवार के तमाम कार्यक्रम रद्द कर दिए। अनुच्छेद 370  खत्म करने को लेकर दिल्ली भाजपा के युवा मोर्चा ने बुधवार को केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन पर जश्न मनाने की तैयारी की थी। साथ ही, छह जुलाई से शुरू सदस्यता अभियान भी जोरों से चल रहा था, लेकिन सुषमा स्वराज के निधन के चलते भाजपा को ये कार्यक्रम स्थगित करने पड़े।
दिल्ली भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि सुषमा स्वराज ने एक कुशल राजनीतिज्ञ के तौर पर देश-विदेश में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई। उनके निधन पर शब्द कम पड़ गए हैं। भावनाओं से ही संवेदना व्यक्त की जा सकती है। विदेश मंत्री के तौर पर उन्होंने आम लोगों की समस्याओं से सीधे तौर पर खुद को जोड़ा और उसके निवारण के लिए हर संभव प्रयास किए।

वह एक कुशल वक्ता और विशाल व्यक्तित्व की धनी थीं। उनका जितना सम्मान भारतीय जनता पार्टी में होता था, उतना ही विपक्ष के नेता भी करते थे। क्योंकि, वह अपनी बातों को तथ्यों के आधार पर रखती थीं। उन्होंने मुझे बड़ी बहन की तरह हमेशा आशीर्वाद दिया है। उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है।

भारत की राजनीति का एक दैदीप्यमान चिराग बुझ गया

दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि सुषमा स्वराज के निधन से भारत की राजनीति का एक दैदीप्यमान चिराग बुझ गया है। वे एक विलक्षण सांसद थीं, जिनकी बात को हर कोई सांस रोककर सुनता था। उन्होंने राजनीति की सीमाओं से ऊपर उठकर हर पार्टी के व्यक्ति के दिल में जगह बनाई। सभी ने उन्हें दिल से मान-सम्मान और प्यार दिया। विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने भारत की विदेश नीति को नई उड़ान दी। दिल्ली से उनका गहरा रिश्ता रहा।

उन्होंने 51 दिनों के अल्पकाल में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने कानून व्यवस्था को अधिक चुस्त-दुरुस्त बनाने का विशेष प्रयास  किया। महिला सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया। वे मुख्यमंत्री के रूप में आधी रात को थाने में भी पहुंच जाती थीं। दो बार दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतकर वे अपनी योग्यता के बल पर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री बनीं।

भाजपा ने बड़ा चेहरा खोया

भाजपा सूत्रों की मानें तो भले ही सुषमा स्वराज ने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया, लेकिन फिर भी वे पार्टी के लिए अंदरूनी ताकत के रूप में कार्य कर रही थीं। दिल्ली में भी आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान सुषमा स्वराज एक बड़ा चेहरा हो सकती थीं, जो भाजपा ने अब खो दिया।

हरियाणा और पंजाब से भी पहुंचे कार्यकर्ता

पूर्व विदेश मंत्री के अंतिम दर्शन के लिए बुधवार को दिल्ली के अलावा हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और राजस्थान तक से कार्यकर्ता भाजपा मुख्यालय पहुंचे। उन्होंने सुषमा स्वराज के साथ की अपनी यादों को भी साझा किया।

रोहतक से आए कपिल मिश्रा दीदी के फोटो के साथ मुख्यालय के एक कोने में खड़े थे। उनसे सुषमा स्वराज के बारे में पूछा तो वे रो पड़े। उनके होंठ कांप रहे थे और आंखें लाल थीं। उन्होंने बताया कि वे लंबे समय से पार्टी से जुड़े हैं।

जब भी सुषमा स्वराज का उन जैसे कार्यकर्ताओं के साथ मिलना होता था, वे हमेशा पार्टी के प्रति समर्पण भाव की सीख देती थीं। उन जैसी महिला नेता अब तक देश में नहीं हुई है। पंजाब के अमृतसर से आए करतार सिंह ने कहा कि टीवी पर दीदी के निधन की खबर देखते ही वे तत्काल रवाना हो गए थे।

मैनपुरी से आए विकास यादव का भी यही कहना था। वे बताते हैं कि सुषमा स्वराज से प्रेरित होने के चलते ही वे राजनीति में आए थे। मुख्यालय में मौजूद महिमा सिंह ने बताया कि वे जयपुर से रात में ही चल दी थीं और सुबह ही मुख्यालय पहुंचीं। वे सुषमा स्वराज से पहली बार एक सभा में मिली थीं।

लाखों लोगों के बीच जब उन्होंने सुषमा को आवाज लगाई तो वे रुकीं। इसके बाद उन्होंने उनके कंधे पर हाथ रखते हुए हालचाल पूछा। इसके बाद वे दो से तीन बार दिल्ली आकर भी उनसे मिल चुकी हैं। महिमा का कहना था कि सुषमा स्वराज जैसा जमीनी नेता उन्होंने कभी नहीं देखा और शायद ही कभी देखने को मिले।

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