अपने जबरदस्त भाषणों से अटल बिहारी वाजपेयी ने सबको हिला दिया था..
आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की पहली पुण्यतिथि है। पिछले साल एक लंबी बीमारी से जूझने के बाद अटल जी ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली थीं। उनका निधन 93 वर्ष की उम्र में हुआ था।
अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि पर पार्टी के नेता उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए शुक्रवार सुबह उनके स्मारक सदैव अटल पर पहुंचे। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, यूपी प्रदेश अध्यक्ष और अन्य नेता शामिल हुए।
अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार देश का नेतृत्व किया है। इस दौरान उन्होंने अपने भाषणों से सबको हिलाकर रख दिया। वे पहली बार साल 1996 में 16 मई से 1 जून तक, 19 मार्च 1998 से 26 अप्रैल 1999 तक और फिर 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे हैं। एक बार अटल बिहारी वाजपेयी पर विरोधी पार्टियों ने आरोप लगाया था कि उनको सत्ता का लोभ है।
इस पर अटल जी ने लोकसभा में खुलकर बात की और अपने भाषण से सभी को हिलाकर रख दिया था। उन्होंने न सिर्फ विरोधियों को जवाब दिया, बल्कि भगवान राम का दिया हुआ श्लोक पढ़ते हुए कहा था- भगवान राम ने कहा था कि 'मैं मरने से नहीं डरता, डरता हूं तो सिर्फ बदनामी से डरता हूं.' जिसके बाद विरोधियों ने कभी उन पर ऐसा आरोप नहीं लगाया। उन्होंने ये भाषण 28 मई 1996 में आत्मविश्वास प्रस्ताव के दौरान दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों को सुनने के लिए विपक्ष भी शांत बैठा करता था। उनके भाषण हमेशा ही मजेदार होते थे। लोग तो यहां तक कहते हैं कि अब उन सा भाषण देने वाला कोई नेता रहा ही नहीं।
अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर ये भी सुनने को मिलता है कि एक बार अटल जी के भाषण को सुनने के लिए लोग भीषण ठंड और बारिश में भी लंबे समय तक एक ही जगह पर डटी रही। इमरजेंसी के दौरान वाजपेयी जेल में बंद थे। फिर इंदिरा गांधी ने चुनाव की घोषणा कर दी। उसके बाद सब लोग छूट गए। चुनाव प्रचार के लिए कम वक्त मिला था। दिल्ली में जनसभा हो रही थी। जनता पार्टी के नेता आकर स्पीच देते थे। पर सब थके हुए से लगते थे। फिर भी जनता हिल नहीं रही थी। ठंड थी, और बारिश भी हल्की-हल्की होने लगी थी। तभी एक नेता ने बगल वाले से पूछा कि लोग जा क्यों नहीं रहे। बोरिंग स्पीच हो रही है और ठंड भी है। तो जवाब मिला कि अभी अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण होना है, इसीलिए लोग रुके हुए हैं।
अटल जी के भाषण की कुछ ऐसी रहती थी शैली-
बाद मुद्दत के मिले हैं दिवाने, कहने सुनने को बहुत हैं अफसाने।
खुली हवा में जरा सांस तो ले लें, कब तक रहेगी आजादी कौन जाने।
इस तरह की जुगलबंदी में अटल जी माहिर थे, इन पंक्तियों को सुनाने के बाद उन्होंने खुद बताया था कि दूसरी लाइन उन्होंने तुरंत बना दी थी। जिससे जनता मंत्रमुग्ध हो गई थी। याद दिला दें कि इंदिरा गांधी ने एक बार अटल जी की आलोचना की थी कि वो बहुत हाथ हिला-हिलाकर बात करते हैं। इस पर अटल जी ने जवाब में कहा कि वो तो ठीक है, आपने किसी को पैर हिलाकर बात करते देखा है क्या।
1994 में यूएन के एक अधिवेशन में पाकिस्तान ने कश्मीर पर भारत को घेर लिया था। उस दौरान प्रधानमंत्री नरसिंहा राव ने भारत का पक्ष रखने के लिए नेता प्रतिपक्ष अटल बिहारी वाजपेयी को भेजा था।वहां पर पाक के नेता ने कहा कि कश्मीर के बगैर पाकिस्तान अधूरा है। तो जवाब में वाजपेयी ने कहा कि पाकिस्तान के बगैर हिंदुस्तान अधूरा है।
पाकिस्तान के ही मुद्दे पर अटल बिहारी की बड़ी आलोचना होती कि ताली दोनों हाथ से बजती है। अटल जी अकेले ही उत्साहित हुए जा रहे हैं। तो वाजपेयी ने जवाब में कहा कि एक हाथ से चुटकी तो बज ही सकती है।
अटल जी सबको हंसाते हुए भाषण शुरू किया करते थे-
अटल बिहारी वाजपेयी जिस वक्त देश के प्रधानमंत्री बने थे, उस समय संसद में विश्वास मत के दौरान उन्होंने बहुत प्रभावी भाषण दिया था। उन्होंने सदन में भारतीय जनता पार्टी को व्यापक समर्थन हासिल नहीं होने के आरोपों को लेकर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था कि ये कोई आकस्मिक चमत्कार नहीं है कि हमें इतने वोट मिल गए हैं। ये हमारी 40 साल की मेहनत का नतीजा है। हम लोगों के बीच गए हैं और हमने मेहनत की है। हमारी 365 दिन चलने वाली पार्टी है, ये चुनाव में कोई कुकुरमुत्ते की तरह पैदा होने वाली पार्टी नहीं है। उन्होंने कहा था कि आज हमें सिर्फ इसलिए कटघरे में खड़ा कर दिया गया क्योंकि हम थोड़ी ज्यादा सीटें नहीं ला पाए।
15 अगस्त 2003 को लाल किले की प्राचीर से दिया अटल जी का अंतीम भाषण
प्यारे देशवासियो आज देश ऐसे मोड़ पर है जहां से देश एक लंबी छलांग लगा सकत है, भारत को 2020 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के बड़े धेय्य को हासिल करने की तमन्ना सारे देश में बल पकड़ रही है। जरा पीछें मुड़कर देखिए, बड़े बड़े संकटों का सामना करके भारत आगे बढ़ रहा है।
ये बाबरी मस्जिद का विवादास्पद भाषण-
1992 को भाजपा नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बड़ी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि वहां (अयोध्या) नुकीले पत्थर निकले हैं। उन पर तो कोई नहीं बैठ सकता तो जमीन को समतल करना पड़ेगा, बैठने लायक करना पड़ेगा। यज्ञ का आयोजन होगा तो कुछ निर्माण भी होगा। कम से कम वेदी तो बनेगी। मैं नहीं जानता कल वहां क्या होगा। मेरी अयोध्या जाने की इच्छा है, लेकिन मुझे कहा गया है कि तुम दिल्ली रहो।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिया था ऐतिहासिक भाषण
अटल जी को हिंदी भाषा से काफी लगाव है। इस लगाव का असर उस वक्त भी देखा जा सकता था जब 1977 में जनता सरकार में विदेश मंत्री के तौर पर काम कर रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपना पहला भाषण हिंदी में देकर सभी के दिल में हिंदी भाषा का गहरा प्रभाव छोड़ दिया था।
पोखरण के परमाणु परीक्षण पर भाषण-अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते हुए भारत ने पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किया था, जिसके बाद पाकिस्तान से लेकर अमेरिका तक की नींद उड़ गई थी। इस परीक्षण को रोकने के लिए अमेरिका ने भारत पर नजर गड़ाए हुई थी, लेकिन सबको मात देते हुए भारत ने यह कर दिखाया। इस पर वाजपेयी का दिया भाषण ऐतिहासिक साबित हुआ था।