जल्द होगा हर केंद्रीय मंत्रालय का अपना डैशबोर्ड, मिलेगी योजनाओं की प्रगति की रियल टाइम जानकारी

खास बातें
- रक्षा खरीद का भी बनेगा डैशबोर्ड
- कर्मचारियों की उपस्थिति भी हो रही दर्ज
- मिलेगी योजनाओं की प्रगति की रियल टाइम जानकारी
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में सबसे अधिक प्रचलित शब्द है, डैशबोर्ड यानी कंप्यूटर स्क्रीन पर एक चार्ट के जरिये जानकारी हासिल करना। हर केंद्रीय मंत्रालय का अपना डैशबोर्ड बन रहा है जिसके जरिये उस मंत्रालय के कामकाज की जानकारी रियल टाइम में मिलेगी। इस डिजिटल क्रांति से शासन करने का तरीका ही बदल जाएगा। मोदी सरकार न सिर्फ अब नई योजनाओं का एलान कर रही है बल्कि पहले से चल रही अधिकतर योजना की प्रगति की निगरानी भी कर रही है, वह भी डैशबोर्ड के जरिये रियल टाइम में। वन एवं पर्यावरण, विदेश, रेल, ग्रामीण विकास, ऊर्जा, कोयला, वाणिज्य, सड़क परिवहन, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय और रक्षा खरीद जैसे अहम विभागों ने अपने डैशबोर्ड बना लिए हैं। कई अन्य मंत्रालयों के डैशबोर्ड लांच होने वाले हैं। केंद्र की तर्ज पर कई राज्य सरकारें भी अपना डैशबोर्ड तैयार करा रही हैं।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के डैशबोर्ड पर मौजूद 50 स्क्रीन के जरिए 20 मंत्रालयों से संबंधित 42 योजनाओं की रियल टाइम प्रगति के बारे में पता लगाया जा सकता है। इस डैशबोर्ड पर 3.5 अरब डाटा मौजूद है लेकिन बहुत सलीके से किए गए वर्गीकरण की वजह से अपनी जरूरत की जानकारी सेकंडों में मिल जाती है। इन पर नई जानकारी हर सेकंड अपलोड होती रहती है।
पूरे देश में चल रही सभी ट्रेनों की जानकारी रेल मंत्रालय के डैशबोर्ड पर मौजूद है। कौन सी ट्रेन कितनी देरी से चल रही है, किस गति से चल रही है और किस में कितनी सीटें खाली हैं, यह सारी जानकारी रियल टाइम में मिल रही है।
यही नहीं, मंत्रालय ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत सभी बड़े स्टेशनों पर सफाई की स्थिति पता करने के लिए प्लेटफार्म ही नहीं बल्कि वहां की रेल पटरियों और शौचालयों के फोटो हर घंटे अपलोड करने के आदेश दिए हैं। साथ ही चलती ट्रेन के भी फोटो हर कुछ घंटे पर अपलोड किए जा रहे हैं।
पर्यावरण मंत्रालय के डैशबोर्ड पर सभी प्रमुख नदियों में प्रदूषण के स्तर, सभी प्रमुख शहरों में प्रदूषण के रियल टाइम आंकड़े मौजूद हैं। इसके लिए मंत्रालय ने जगह जगह पर प्रदूषण मापने के यंत्र स्थापित कर उनके डाटा को लगातार कंप्यूटर में फीड करते रहने की व्यवस्था की है। सड़क परिवहन मंत्रालय ने डिजिटल गवर्नेंस के तहत सड़कों के निर्माण की गति की निगरानी के अलावा सड़कों पर ट्रैफिक के दबाव की जानकारी भी पाने का प्रबंध किया है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के डैशबोर्ड पर मौजूद 50 स्क्रीन के जरिए 20 मंत्रालयों से संबंधित 42 योजनाओं की रियल टाइम प्रगति के बारे में पता लगाया जा सकता है। इस डैशबोर्ड पर 3.5 अरब डाटा मौजूद है लेकिन बहुत सलीके से किए गए वर्गीकरण की वजह से अपनी जरूरत की जानकारी सेकंडों में मिल जाती है। इन पर नई जानकारी हर सेकंड अपलोड होती रहती है।
पूरे देश में चल रही सभी ट्रेनों की जानकारी रेल मंत्रालय के डैशबोर्ड पर मौजूद है। कौन सी ट्रेन कितनी देरी से चल रही है, किस गति से चल रही है और किस में कितनी सीटें खाली हैं, यह सारी जानकारी रियल टाइम में मिल रही है।
यही नहीं, मंत्रालय ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत सभी बड़े स्टेशनों पर सफाई की स्थिति पता करने के लिए प्लेटफार्म ही नहीं बल्कि वहां की रेल पटरियों और शौचालयों के फोटो हर घंटे अपलोड करने के आदेश दिए हैं। साथ ही चलती ट्रेन के भी फोटो हर कुछ घंटे पर अपलोड किए जा रहे हैं।
पर्यावरण मंत्रालय के डैशबोर्ड पर सभी प्रमुख नदियों में प्रदूषण के स्तर, सभी प्रमुख शहरों में प्रदूषण के रियल टाइम आंकड़े मौजूद हैं। इसके लिए मंत्रालय ने जगह जगह पर प्रदूषण मापने के यंत्र स्थापित कर उनके डाटा को लगातार कंप्यूटर में फीड करते रहने की व्यवस्था की है। सड़क परिवहन मंत्रालय ने डिजिटल गवर्नेंस के तहत सड़कों के निर्माण की गति की निगरानी के अलावा सड़कों पर ट्रैफिक के दबाव की जानकारी भी पाने का प्रबंध किया है।
जिओटैगिंग से रोकी धोखाधड़ी
यही नहीं वनीकरण अभियान के तहत प्रतिदिन हुए वृक्षारोपण के आंकडे़ तो हैं ही साथ ही पहले हुए वृक्षारोपण में से कितने पेड़ जीवित बचे हैं, ये आंकडे़ भी वन मंत्रालय के पास मौजूद हैं। यह जिऔटैगिंग के जरिए मालूम किया जा रहा है। जिओटैगिंग के इस्तेमाल से मनरेगा के तहत हो रहे फर्जीवाड़े को भी रोकने में मदद मिली है। इससे जीपीएस के जरिए मालूम चल जाता है कि कोई भी काम किस जगह पर हुआ है।
रक्षा खरीद का भी डैशबोर्ड
पिछले महीने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा खरीद जैसे संवेदनशील विभाग का डैशबोर्ड लांच किया। इस डैशबोर्ड पर रक्षा सामग्री के निर्माण का लक्ष्य और उसे पाने की प्रगति, निर्यात आदि सभी जानकारी दी गई है।
कर्मचारियों की उपस्थिति भी हो रही दर्ज
मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही सभी केंद्रीय कार्यालयों में बायोमैट्रिक उपस्थिति यंत्र लगा दिए थे। अब उसने इन्हें एक सेंट्रल सर्वर के जरिए डैशबोर्ड से जोड़ दिया है। इस तरह हर सेकंड मालूम किया जा सकता है कि किस कार्यालय में कितने कर्मचारी काम कर रहे हैं। मसलन 29 अगस्त बृहस्पतिवार को सुबह 11.50 बजे केंद्र सरकार के दिल्ली स्थित सभी कार्यालयों में कुल मिलाकर 1,32,484 कर्मचारी काम कर रहे थे। यह सिस्टम झारखंड कैडर के पूर्व मुख्य सचिव आरएस शर्मा ने तैयार कराया। उनका कहना था कि इस सिस्टम से पारदर्शिता आएगी और कामचोरों की पहचान होगी।