कोलकाता: छात्रों का आरोप, विश्वविद्यालय ने 'राम के नाम' डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने से रोका
प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय - फोटो : bharat rajneeti
खास बातें
- पश्चिम बंगाल के कोलकाता में प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के छात्र संघ ने लगाया आरोप।
- इंस्टीट्यूट के अधिकारियों ने 'राम के नाम' की स्क्रीनिंग करने से रोका।
- ये 1992 में बनी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म है, जो बाबरी मस्जिद विध्वंस पर आधारित है।
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के छात्र संघ ने आरोप लगाया है कि उन्हें इंस्टीट्यूट के अधिकारियों ने 'राम के नाम' की स्क्रीनिंग करने से रोका है। ये 1992 में बनी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म है, जो बाबरी मस्जिद विध्वंस पर आधारित है। आनंद पटवर्धन द्वारा बनाई गई इस फिल्म को ऑडिटोरियम में दिखाने की संघ ने सोमवार को योजना बनाई थी। इस बात की जानकारी छात्र संघ के प्रवक्ता सयान चक्रवर्ती ने दी है।
चक्रवर्ती ने कहा, "हालांकि, विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मौखिक रूप से छात्रों को कार्यक्रम में ना जाने के लिए कहा था। हम कल कार्रवाई के बारे में सोचेंगे।" विश्वविद्यालय के अधिकारी ने कहा, "यदि छात्रों को स्क्रीनिंग आयोजित करने के लिए आवश्यक अनुमति दी गई थी, तो हमें इसकी पुष्टि करनी होगी। प्रेसीडेंसी ने कभी भी छात्रों के अधिकार का अतिक्रमण नहीं किया है और हमेशा उदार विचारों को बढ़ावा दिया है।"
वहीं चक्रवर्ती ने दावा करते हुए कहा है कि डॉक्यूमेंट्रीज की स्क्रीनिंग और विभिन्न समकालीन मुद्दों पर चर्चा पिछले कुछ समय से विश्वविद्यालय में बिना किसी बाधा के हुई हैं। "राम के नाम" डॉक्यूमेंट्री अयोध्या में बाबरी मस्जिद स्थल पर राम मंदिर बनाने के लिए विश्व हिंदू परिषद द्वारा चलाए गए अभियान पर आधारित है।