पाकिस्तान का हर दांव बेकार, बियारेत्ज से कूटनीति की बड़ी कामयाबी लेकर लौटे प्रधानमंत्री मोदी
PM Modi - फोटो : bharat rajneeti
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की यात्रा के बाद सोमवार देर रात भारत लौट आए। पीएम मोदी फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन की यात्रा पर गुरुवार (22 अगस्त) को रवाना हुए थे। पीएम मोदी ने फ्रांस के बियारेत्ज शहर में जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। सोमवार को फ्रांस का बियारेत्ज शहर ऐतिहासिक पलों का गवाह बना है। राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता और बयान ने कूटनीति की नई ऊंचाई को छुआ है।
द्विपक्षीय बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने बड़ी कूटनीतिक कामयाबी हासिल करते हुए कश्मीर को भारत का आंतरिक और पाकिस्तान के साथ सभी मामलों को द्विपक्षीय बताया। प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि भारत और पाकिस्तान अपने सभी आंतरिक मामले सुलझा लेंगे, लेकिन भारत को इसमें किसी तीसरे देश की मध्यस्थता मंजूर नहीं है। इस कूटनीतिक कामयाबी का सबसे अहम पक्ष यह है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री के वक्तव्य से बिना किसी किंतु-परंतु के सहमति जताई है।
ट्रंप ने तीन बार की थी मध्यस्थता की पेशकश
राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री इमरान खान की इस महीने हुई पाकिस्तान यात्रा के बाद से लगातार तीन बार कश्मीर मामले में मध्यस्थता पर जोर दिया था। राष्ट्रपति ट्रंप के पहली बार मध्यस्थता का बयान सामने आने के बाद भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। भारत की प्रतिक्रिया के पक्ष में अमेरिकी राजनयिकों ने भी बयान दिया था, लेकिन कुछ समय बाद राष्ट्रपति ने फिर मध्यस्थता की बात कही। पिछले सप्ताह भी उन्होंने तीसरी बार मध्यस्थता की पेशकश पर ट्रंप ने कश्मीर में हिन्दू-मुस्लिम आबादी को आधार बनाकर कहा था कि वह लोगों के हित में हस्तक्षेप करेंगे।
विदेश मंत्री और विदेश सचिव की सफल रणनीति
राजनीतिक और राजनयिक गलियारों में इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रभाव और विदेश मंत्री एस. जयशंकर और विदेश सचिव विजय गोखले के सफल रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। बताते हैं विदेश मंत्री और विदेश सचिव ने कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य की वैधानिक स्थिति में बदलाव पर अंतरराष्ट्रीय जनसमर्थन पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त करने और राज्य की वैधानिक स्थिति में बदलाव को भारत का आंतरिक मामला तथा पाकिस्तान से सभी मु्ददे का समाधान द्विपक्षीय तरीके से शिमला समझौता और लाहौर घोषणा पत्र के अनुसार होने की भारत की दृढ़ता ने पाकिस्तान के सारे दांव बेअसर कर दिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांस, यूएई और बहरीन की यात्रा के दौरान लगातार इसी रुख को बनाए रखा।
कहां फेल हुआ पाकिस्तान?
पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर समेत अन्य का मानना है कि पाकिस्तान की कोशिश कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की थी। हालांकि पाकिस्तान के हुक्मरानों को यह रास्ता आसान नहीं लग रहा था, लेकिन उन्होंने अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी। चीन ने भी पाकिस्तान का काफी हद तक साथ दिया। कूटनीतिक गलियारे में भारत के राजनयिक पाकिस्तान की इस चाल से वाकिफ थे। बताते हैं राष्ट्रपति ट्रंप के बार-बार कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के बयान से थोड़ी चिंता जरूर पैदा हुई थी। भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को भी कश्मीर में मानव अधिकार से जुड़े संभावित खतरे परेशान कर रहे थे। लेकिन भारत की ठोस रणनीति के चलते ऐसा कुछ नहीं हो पाया। धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर में जन-जीवन पटरी पर लौट रहा है, ऐसे में भारत की संयमित तरीके से सतर्क कोशिशों के चलते पड़ोसी देश के प्रयासों पर पानी फिर गया।
कौन जीता ट्रंप या मोदी?
सवाल भले ही हल्का लग रहा हो, लेकिन यह साउथ ब्लाक में तैनात अधिकारियों को भी मुस्कराने पर मजबूर कर रहा है। चीन से लौटने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर से जब कश्मीर पर राष्ट्रपति ट्रंप की मध्यस्थता को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने हल्के अंदाज में मुस्कराते हुए कहा कि आप लोग राष्ट्रपति ट्रंप को इतनी गंभीरता से लेते हैं? बियारेत्ज की यात्रा के बाद जहां अमेरिकी राष्ट्रपति का कद कश्मीर में मध्यस्थता को लेकर बहुत हल्का नजर आ रहा है, वहीं प्रधानमंत्री मोदी सफल शिखर नेता की पहचान के तौर पर ट्रेंड कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी प्रधानमंत्री मोदी के लिए अच्छे शब्द लिखे जा रहे हैं।