पीएम मोदी से मुलाकात के बाद ट्रंप ने खत्म कर दी मदद पाने की पाकिस्तान की आखिरी उम्मीद
बिअरित्ज में पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात - फोटो : bharat rajneeti
जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में भारत के निर्णय पर चौतरफा मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान की आखिरी उम्मीद फ्रांस में होने वाली पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात पर टिकी थी। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि ट्रंप कश्मीर के मुद्दे पर भारत को कुछ सख्त हिदायत देंगे। उम्मीद की वजह कश्मीर पर ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश थी। हालांकि मोदी-ट्रंप मुलाकात ने पाकिस्तान की इस आखिरी उम्मीद पर भी पलीता लगा दिया।
दरअसल, पाकिस्तान को लगा था कि अफगानिस्तान मामले में वह ब्लैकमेल का सहारा लेकर अमेरिका को अपने पक्ष में कर लेगा। चौतरफा निराशा हाथ लगने के बाद पाकिस्तान ने इस दांव का इस्तेमाल किया था। पाकिस्तान अमेरिका को बार-बार यह संदेश दे रहा था कि कश्मीर मुद्दे के कारण अपनी सेना को अफगानिस्तान सीमा के इतर एलओसी पर तैनात करना उसकी मजबूरी है। इसके साथ ही पाकिस्तान बार-बार भारत की ओर से हमला होने की आशंका व्यक्त कर रहा था। हालांकि फ्रांस में ट्रंप-मोदी मुलाकात में पाकिस्तान के हाथ कुछ नहीं आया। इस मुलाकात में मोदी ने साफ तौर पर कश्मीर में तीसरे देश के दखल की संभावना को सिरे से खारिज किया तो ट्रंप ने भी कहा कि भारत और पाकिस्तान इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझा लेंगे।
सवाल उठता है कि चीन से सहयोग मिलने के बावजूद पाकिस्तान को अनुच्छेद-370 और 35ए खत्म करने पर किसी देश का साथ क्यों नहीं मिल रहा। कभी पाकिस्तान के पैरोकार रहे मुस्लिम देश भारत के खिलाफ आवाज बुलंद करने के बदले पीएम मोदी को अपने सर्वोच्च सम्मान से क्यों नवाज रहे हैं? जवाब सीधा सा है। पूरी दुनिया वर्तमान में आतंकवाद और आतंकी खतरे के प्रति बेहद चिंतित है। दुनिया को पता है कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसकी नीतियों में आतंकवाद को प्रत्यक्ष और परोक्ष समर्थन हासिल है।
इस धारणा के मजबूत होने का कारण दुनिया में आतंकी घटनाओं के तार परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान से जुड़ा हुआ पाया जाना है। दूसरा भारत के इस तर्क में दम है कि जब जम्मू-कश्मीर का विलय भारत में हुआ तब बहुत बाद में राज्य में अनुच्छेद-370 लागू किया गया। इस दृष्टि से यह विशुद्ध रूप से भारत का आंतरिक मामला है। इसके अलावा विवादित पीओके में चीन-पाकिस्तान के कॉरिडोर निर्माण योजना ने इन दोनों देशों को कश्मीर मुद्दे पर अलग-थलग कर दिया है।
(शशांक, पूर्व विदेश सचिव के साथ अमर उजाला की बातचीत पर आधारित)