आरओ सिस्टम पर रोक के आदेश पर पुनर्विचार से एनजीटी का इनकार

एनजीटी के 20 मई को दिए इस आदेश के खिलाफ वाटर क्वालिटी इंडिया एसोसिएशन ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि उस आदेश में कोई ऐसी कोई बात नजर नहीं आती कि इसमें बदलाव करना पड़े। संबंधित पक्षों को सुनने और एनजीटी की बनाई विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में आए वैज्ञानिक पक्ष पर विचार कर वह आदेश दिया गया था।
समिति की सिफारिशों के अनुसार अधिकारियों को उचित निर्देश जारी करने के लिए कहा गया है। मौजूदा याचिका में ऐसा कोई दस्तावेज भी प्रस्तुत नहीं किया गया है जो सिफारिशों को नकारे। ऐसे में इसे खारिज किया जाता है।
आरओ यानी : रिसर्च ऑस्मोसिस, वह प्रक्रिया जिसमें पानी में घुले से तत्व निकाले जाते हैं।
पेयजल के डब्ल्यूएचओ मानक : विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 300 मिग्रा टीडीएस तक का पानी पीने के लिए अच्छा है। 900 मिग्रा का पानी खराब और 1200 से अधिक मिग्रा टीडीएस का पीने योग्य नहीं है।
एनजीटी का आदेश यह था
- जहां पानी में टीडीएस 500 मिग्रा से कम है, वहां आरओ सिस्टम पानी से जरूरी खनिज निकाल देता है। पानी की बरबादी भी होती है। वहां वन एवं पर्यावरण मंत्रालय इन सिस्टम पर रोक लगाए।
- केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के साथ विशेषज्ञ समिति बनाए, जो प्रमुख 21 शहरों में भूजल उपलब्धता व उपयोग का डाटा जमा कर एक महीने में एनजीटी को सौंपे।
- क्षेत्रीय निकाय पानी की क्वालिटी व टीडीएस की जानकारी प्रमुख स्थानाें पर प्रदर्शित करें।