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बुधवार, 7 अगस्त 2019

सड़क से संसद और यूनाइटेड नेशन तक दिखा सुषमा स्वराज का हिंदी प्रेम, उनके भाषणों की कायल रही दुनिया

सड़क से संसद और यूनाइटेड नेशन तक दिखा सुषमा स्वराज का हिंदी प्रेम, उनके भाषणों की कायल रही दुनिया

sushma swaraj
sushma swaraj - फोटो : bharat rajneti
सुषमा स्वराज एक प्रखर नेता होने के साथ एक मुखर वक्ता भी थीं। सड़क से लेकर संसद तक और चुनावी मंचों से लेकर यूनाइटेड नेशन तक उनके भाषणों ने करोड़ों लोगों का दिल जीता। सुषमा स्वराज जितनी राष्ट्रवाद की समर्थक रहीं, उतना ही हिंदी के प्रति उनका प्रेम रहा। देशवासियों को एक सूत्र में पिरोने की बात हो या फिर पाकिस्तान जैसे आतंकवाद समर्थक देशों को बेनकाब करने की बात,  हिंदी में दिए गए भाषणों के जरिए उन्होंने हर अवसर को साधा।
यूं तो वह हिंदी और अंग्रेजी के अलावा कई और भाषाएं जानती थीं। यहां तक कि सोनिया गांधी के खिलाफ कर्नाटक के बेल्लारी से चुनाव लड़ने वाली सुषमा ने लोगों से जुड़ाव के लिए कन्नड़ भाषा सीख ली थी। एक रैली के दौरान सुषमा स्वराज ने कन्नड़ भाषा में जबरदस्त भाषण दिया था और सोनिया गांधी पर जमकर निशाना साधा था। उनके कन्नड़ में भाषण देने पर अटल बिहारी वाजपेयी ने उनकी जमकर तारीफ की थी।

शुद्ध हिंदी में सजे और सधे हुए शब्दों से संसद से लेकर यूनाइटेड नेशन तक में उनके भाषणों ने करोड़ों लोगों के मन को छुआ। हिंदी में उनकी भाषा शैली इतनी कमाल की थी, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोकसभा में वह जब भी संबोधन करतीं तो पक्ष में या विपक्ष में हर कोई उनकी बातों को ध्यान से सुनता था। 

हिंदी के जरिए बदली विदेश मंत्रालय की छवि

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sushma swaraj : bharat rajneeti
सुषमा स्वराज की वक्तृत्व योग्यता, नेतृत्व क्षमता पहचानते हुए जल्दी ही उन्हें पार्टी प्रवक्ता बनाया गया। फिर महासचिव बनीं। मुखर और प्रखर वक्ता रहीं सुषमा ने संसद से सड़क तक अपने भाषणों से हर आम खास का दिल जीता। वह 1996 से लेकर 2014 तक बनी भाजपा की सभी सरकारों में मंत्री रहीं। वह सूचना और प्रसारण मंत्री भी रहीं तो वहीं मोदी सरकार में विदेश मंत्री भी बनाई गईं। देश की मजबूत छवि बनाने के साथ-साथ उन्होंने दुनिया में हिंदी का भी महत्व बढ़ाया। 

सुषमा स्वराज के विदेश मंत्री बनने से पहले तक विदेश मंत्रालय अंग्रेजीदां हुआ करता था, लेकिन सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्री बनने के बाद मंत्रालय का पुराना ढर्रा बदला और हिंदी को जगह दी। देश-दुनिया में फंसे भारतीयों को मदद पहुंचाने के लिए ट्वीटर पर उनके प्रयास काफी असरदार साबित हुए। वह हिंदी में भी किए गए एक-एक ट्वीट का खुद जवाब दिया करती थीं। उनके प्रयास से ही विदेश मंत्रालय के ढंग-ढर्रे में काफी बदलाव आए। मंत्रालय में हिंदी का चलन बढ़ा। 

यूएन में हिंदी में दिया भाषण, पाकिस्तान पर खूब बरसी थीं

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sushma swaraj : bharat rajneeti
सितंबर 2017 में बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज संयुक्त राष्ट्र महासभा पहुंचीं तो आतंकवाद पर पाकिस्तान पर खूब बरसीं। हिंदी में ही दिए गए भाषण में सधे हुए शब्दों से उन्होंने पाकिस्तान की खबर ली थी। सुषमा ने तीखे अंदाज में कहा था कि हम गरीबी से लड़ रहे हैं, हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान हमसे लड़ रहा है। उन्होंने कहा था-
हमने आईआईटी, आईआईएम बनाए, पाकिस्तान ने आतंकी ठिकाने बनाए। हमने डॉक्टर बनाए, पाकिस्तान ने जेहादी बनाए।
पाकिस्तान को नसीहत देते हुए उन्होंने यूएन सभा में कहा कि आतंक का पैसा भलाई पर खर्च करो, उन्होंने पाकिस्तानी नेताओं से कहा कि वे इस पर आत्ममंथन करें कि भारत क्यों वैश्विक आईटी महाशक्ति के तौर पर जाना जाता है और पाकिस्तान की पहचान 'आतंकवाद के निर्यात के कारखाने' की है। 

मध्य प्रदेश में करवाया 10वां विश्व हिंदी सम्मेलन

sushma swaraj
sushma swaraj : bharat rajneeti
सुषमा स्वराज ने 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन के लिए मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को चुना। साल 1975 में नागपुर से शुरु हुए विश्व हिंदी सम्मेलन के 10वें आयोजन में भोपालवासियों को मेजबानी का सौभाग्य मिला। दक्षिण अफ्रीका, मॉरिशस आदि देशों में आयोजित हो चुके इस आयोजन के लिए भोपाल को चुनने पर सुषमा स्वराज ने कहा था मध्यप्रदेश हिंदी के लिए समर्पित राज्य है और भोपाल सफल आयोजन के लिए विख्यात है।

उन्होंने कहा कि इसी वजह से 32 साल के अंतराल के बाद यह भारत में हो रहा है और इसके लिए भोपाल चुना गया है। उन्होंने ही सम्मेलन का स्वरूप बदला। पहले के सम्मेलन साहित्य केंद्रित होते थे, लेकिन सुषमा का हिंदी प्रेम ही था कि 10वां सम्मेलन भाषा की उन्नति पर केंद्रित रहा। देश-दुनिया में हिंदी के बढ़ते महत्व और चलन पर सुषमा बहुत खुश हुआ करती थीं। हिंदी केंद्रित आयोजनों में आमंत्रण मिलने पर वह शामिल होने का पूरा प्रयास करती थीं। 

इसी साल फरवरी में अबू धाबी न्यायिक विभाग (एडीजेडी) ने अरबी और अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी को शहर की अदालत में बोली जाने वाली तीसरी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी, तो सुषमा स्वराज ने विशेष तौर पर अबुधाबी का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि अबू धाबी द्वारा अपनी अदालतों में हिंदी को एक आधिकारिक भाषा के तौर पर घोषित करने से उस देश में रहने वाले भारतीयों के लिए न्याय अधिक आसान और सुलभ बनेगा।


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