सुषमा ने जब मनमोहन पर किया था कटाक्ष- ये बता काफिला क्यों लुटा...
सुषमा स्वराज - फोटो : bharat rajneeti
पूर्व विदेश मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज के असामयिक निधन से पूरा देश स्तब्ध है। सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि देने के लिए जंतर मंतर स्थित उनके आवास पर लोगों का तांता लगा हुआ है। 1960 के दशक में जब सुषमा स्वराज पंजाब यूनिवर्सिटी में लॉ की पढ़ाई कर रहीं थीं, तभी से वो अपने भाषणों के लिए जानी जाती थीं। सुषमा स्वराज के निधन पर लोग उनके ओजस्वी भाषणों को याद कर रहे हैं। चाहें वो संसद में दिया गया भाषण हो या फिर संयुक्त राष्ट्र महासभा में।
मार्च 2011 में यूपीए-2 के दौरान लोकसभा में सांसदों को खरीदकर सरकार बचाने के खुलासे पर संसद में घमासाना मचा हुआ था। उस दौरान लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से एक शेर के जरिए सवाल किया था कि 'तू इधर-उधर की बात न कर, ये बता कि काफिला क्यों लुटा, मुझे रहज़नों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है।
सुषमा के इस शेर के जवाब में अगले दिन मनमोहन सिंह ने भी शेर के जरिए ही इसका जवाब दिया था कि, ‘माना कि तेरे दीद के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक देख, मेरा इंतजार देख।’
संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देकर जब सुषमा ने उड़ाई पाक की धज्जियां
sushma swaraj : bharat rajneeti
सितंबर 2018 में बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण दिया था। इस दौरान उन्होंने अपने भाषण से पाकिस्तान की धज्जियां उड़ा दी। उन्होंने कहा, 'पाक आतंकवाद छोड़ दे। जब सीमा पर जनाजे उठ रहे हों, तो बातचीत की आवाज अच्छी नहीं लगती।' उनके इस भाषण की तारीफ पूरी दुनिया ने की।
उनसे जुड़ा एक ऐसा ही वाकया लोगों के जेहन में अब भी ताजा है। साल 2004 के लोकसभा चुनाव के समय तत्कालीन अटल सरकार की हार हो गई थी और सोनिया गांधी ने नेतृत्व में यूपीए की जीत हुई थी। तब सुषमा स्वराज ने कहा था कि यदि सोनिया गांधी पीएम बनती हैं तो वे अपना सिर मुंडवां लेंगी। सफेद साड़ी पहनेंगी। भिक्षुणी की तरह जमीन पर सोएंगी। सूखे चने खाएंगी।
ज्ञात हो कि यूपीए 1 में तब सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए व्यापक स्तर पर मुहिम चलाई गई थी। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया के प्रधानमंत्री बनने का समर्थन भी किया था। लेकिन ऐन वक्त पर सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री बनने से मना कर दिया और मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने।