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शनिवार, 17 अगस्त 2019

एसवाईएल नहर विवाद: आसान नहीं है समाधान, एक सप्ताह में जल शक्ति मंत्रालय दोबारा लेगी बैठक

एसवाईएल नहर विवाद: आसान नहीं है समाधान, एक सप्ताह में जल शक्ति मंत्रालय दोबारा लेगी बैठक

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : bharat rajneeti

खास बातें

  • एसवाईएल नहर समाधान के लिए केंद्र और पंजाब हरियाणा की बैठक
  • हरियाणा ने 3.5 लाख क्यूसेक पानी दिलवाने की मांग को दुहराया
  • पंजाब के अधिकारी ने बताया की पहली बैठक सौहार्दपूर्ण रही है
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय केसाथ सतलुज यमुना लिंक नहर(एसवाई एल) पर पंजाब और हरियाणा की बैठक एक सप्ताह में दुबारा बैठक करने के फैसले पर समाप्त हुई। सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सचिव और पंजाब, हरियाणा के मुख्य सचिवों ने इसकी अध्यक्षता की। इसमें दोनों राज्यों की ओर से तीन तीन अफसरों की टीम थी जिसमें प्रमुख सचिव सिंचाई भी मौजूद थे। 
बैठक में दोनों राज्यों ने अपना पक्ष रखा। इसमें हरियाणा ने 3.5 लाख क्यूसेक पानी दिलवाने की मांग को दुहराया। पंजाब ने तटस्थ प्रतिक्रिया व्यक्त की। इस बैठक में केंद्र सरकार ने दोनों राज्यों केसामने  सुप्रीमकोर्ट के आदेश की रोशनी में विवाद को लेकर एक प्रस्तुतिकरण भी पेश किया।
  
सुप्रीम कोर्ट ने नौ जुलाई को पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से अधिकारियों की एक समिति बनाने के लिए निर्देशित किया था। न्यायालय ने दोनों राज्यों को केंद्र के हस्ताक्षेप से 50 साल पुराने इस विवाद को हल करने और समाधान निकालने के लिए कहा है। अगली सुनवाई नौ सितंबर को होगी। इसमें दोनों राज्यों के मध्य केंद्र के दखल केपरिणामों के आधार पर कोर्ट आगे की कार्रवाई करेगा।  

असल में 1966 में पंजाब के पुर्नगठन के बाद 7.2 लाख क्यूसेक पानी का बंटवारा हुआ। इसमें हरियाणा को अपने हिस्से का 3.5 लाख क्यूसेक पानी लाने के लिए पंजाब से हरियाणा तक 214 किलोमीटर लंबी नहर बननी थी। इसमें 92 किलोमीटर नहर हरियाणा के हिस्से की थी। जिसे हरियाणा ने काफी पहले ही बना दिया था। लेकिन पंजाब ने अपने हिस्से के 125 किलोमीटर लंबे इलाके में नहर बनाने के काम को ही शुरु नहीं किया। तमाम कोर्ट कचेहरी और राजनीतिक दबाव के बाद भी पंजाब हरियाणा को पानी देने के लिए तैयार नहीं हुआ।

हरियाणा सिंचाई विभाग के अधिकारी ने बताया कि कुल 7.2 लाख क्यूसेक में से हमारा हिस्सा 3.5 लाख क्यूसेक हैं, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय भी दो बार 2002 और 2004 में मुहर भी लगा चुका है। पंजाब के अधिकारी ने बताया की पहली बैठक सौहार्द पूर्ण रही है। लेकिन राज्य की स्थिति अभी भी पूर्ववत है। उन्होंने कहा अब केंद्र और दोनों राज्यों को इस समस्या का समाधान करना हैं। क्योंकि इस मसले का हल निकले इसके लिए सब माननीय कोर्ट के आदेश पर मिले हैं तो अगली बैठक से सार्थक पहल की उम्मीद की जानी चाहिए । 

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