तीन विधायकों ने येदियुरप्पा को लिखा पत्र, हिंदू कार्यकर्ताओं पर दर्ज केस वापस लेने की मांग की

खास बातें
बच्ची की मौत और पुलिस शिकायत ने उस समय राजनीतिक रूप ले लिया जब भाजपा ने सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था। भाजपा ने आरोप लगाया था कि पुलिस संदिग्धों को बचाने की कोशिश कर रही है क्योंकि वह अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। सरकार ने मामले की जांच राज्य की साआईडी को दे दी थी जबकि भाजपा सीबीआई जांच कराने की मांग कर रही थी।
सीआईडी ने अपने बयान में कहा था कि जांच से पता चला है कि लड़की ने आत्महत्या की है क्योंकि वह अपने ग्रेड से नाखुश थी। आरोप के अनुसार उसका अपहरण के बाद दुष्कर्म नहीं किया गया था। सीआईडी ने कहा, 'न ही उसका अपहरण हुआ था और न ही उसके साथ दुष्कर्म हुआ था।' भाजपा विधायक बोपैय्या ने नंवबर 2015 में टीपू जयंती समारोह को लेकर कोडागु में हुए विरोध प्रदर्शन को लेकर हिंदू कार्यकर्ताओं पर दर्ज हुए केस वापस लेने की गुहार लगाई है।
कोडागु में टीपू सुल्तान की जयंती के उत्सव ने कई दक्षिणपंथी हिंदुत्व संगठनों के साथ टकराव की स्थिति पैदा कर दी थी। 18 वीं शताब्दी के मैसूर शासक को अत्याचारी माना जाता है। मुख्यमंत्री के तौर पर पदभार संभालने के बाद येदियुरप्पा ने टीपू जयंती उत्सव को रद्द कर दिया है। करवार के विधायक ने नाइक ने 2018 में होन्नावर में 18 वर्षीय परेश मेस्ता की मौत के बाद हुए सांप्रदायिक हिंसा को लेकर हिंदू कार्यकर्ताओं पर दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग की है।
होन्नावर में विवादित स्थल को लेकर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हुई झड़प के बाद मेस्ता तालाब में मृत पाए गए थे। तब सोशल मीडिया पर प्रोपेगैंडा चला था कि वह संघ कार्यकर्ता थे जिसकी मुस्लिमों ने हत्या कर दी थी। जबकि फोरेंसिक जांच में यह बात सामने आई थी कि उनकी मौत डूबने से हुई थी। घटना के बाद क्षेत्र लगभग छह दिनों तक अशांत था। दक्षिणपंथी लोगों ने अल्पसंख्यकों पर हमले किए थे।