अयोध्या मामला: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, दलीलें रखने के लिए कितना समय चाहिए, कोर्ट रूम लाइव
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : bharat rajneeti
खास बातें
- सुप्रीम कोर्ट ने सभी वकीलों को मिल बैठकर अनुमानित समय बताने के लिए कहा
- सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- विश्वास है कि राम का जन्म वहां हुआ था, तो क्या और किसी दावे की जरूरत है
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अयोध्या मामले के पक्षकारों के वकीलों को यह बताने के लिए कहा है कि वे दलीलें पेश करने में और कितना वक्त लेंगे। कोर्ट ने सभी वकीलों को एकसाथ बैठक कर अनुमानित समय बताने के लिए कहा है। अब तक अयोध्या मामले में 25 दिन सुनवाई हो चुकी है। गत छह अगस्त से नियमित सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस रंजन गोगई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को सभी पक्षकारों के वकीलों से पूछा कि उन्हें अपनी दलीलों को पेश करने में और कितना वक्त लगेगा। सभी वकीलों को मिल बैठकर अनुमानित समय बताने के लिए कहा गया है। अनुमानित समय मिलने के बाद पीठ इस पर अपना निर्णय लेगी। मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने भी कहा कि वह भी चाहते हैं कि जल्द फैसला हो।
विश्वास है कि राम का जन्म वहां हुआ था, तो क्या और किसी दावे की जरूरत है: सुप्रीम कोर्ट
मंगलवार को सुनवाई के दौरान संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस अशोक भूषण ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन से सवाल किया कि ऐसी मान्यता या विश्वास है कि भगवान राम का जन्म उस जगह पर हुआ था। तो क्या इस दावे के लिए और किसी चीज की जरूरत है, अगर है तो वह क्या है?
जवाब में धवन ने कहा कि, भगवान राम की पवित्रता को लेकर कोई विवाद नहीं है। साथ ही इसमें कोई विवाद नहीं है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। लेकिन सवाल है कि इस तरह की पवित्रता किसी स्थान को न्यायिक व्यक्ति में तब्दील किया जा सकता है? धवन ने कहा कि इसके लिए कैलाश पर्वत की तरह वास्तविक स्वरूप होनी चाहिए। इसमें आस्था या विश्वास की निरंतरता होनी चाहिए। साथ ही यह दर्शाना होगा कि किसी तरीके से वहां प्रार्थना होती थी।
इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने धवन से कहा, आपके कहने का मतलब है कि कुछ भौतिक स्वरूप होना चाहिए? क्या इससे स्थान को न्यायिक व्यक्ति बनाने के लिए मापदंडों को निर्धारित करना मुश्किल नहीं हो जाएगा?
सुनवाई के दौरान धवन ने यह भी कहा कि, अयोध्या को किसी ने तीर्थ का नाम नहीं दिया। विश्वास और पवित्रता पर्याप्त नहीं है। ऐसा कोई ग्रंथ या किताब नहीं है जिसमें भगवान राम के जन्म का सटीक स्थल बताया गया हो। न तो वाल्मीकि रामायण में और न ही इतिहास की किताबों में।