महाराष्ट्र चुनाव: 144 बागी उम्मीदवारों में से 114 को मनाने में सफल रही भाजपा-शिवसेना

BJP-Shivsena : bharat rajneeti
खास बातें
- 144 बागियों के संकट से जूझते हुए भाजपा-शिवसेना ने 114 को किया राजी
- भाजपा-शिवसेना को मराठवाड़ा में बगावत पूरी तरह रोकने में कामयाबी मिली
- कुछ अहम विधानसभाओं में बागी उम्मीदवार निर्दलीय के रूप में सामने होंगे
करीब 144 बागियों के संकट से जूझते हुए भाजपा-शिवसेना ने 114 को महाराष्ट्र चुनाव मैदान से हटने के लिए राजी कर लिया है। अब 30 बागी सामने रह गए हैं, जिनका उन्हें जम कर मुकाबला करना पड़ेगा। सोमवार को चुनाव से नाम वापस लेने की समय सीमा खत्म होने के बाद राज्य में मुकाबले का मैदान साफ है। भाजपा उम्मीदवार के विरुद्ध ज्यादातर जगहों पर शिवसेना नेताओं ने बगावत की है तो कहीं-कहीं इसके उलट हुआ। कुछ जगहों पर भाजपा-शिवसेना के नेता व कार्यकर्ता ही पार्टी के खिलाफ खड़े हो गए हैं। बगावत करके चुनाव में उतरने वालों ने अपने नेताओं को तर्क दिया कि पहले आपने ही चुनाव की तैयारी के लिए कहा था, हम दो साल से लगे हैं। अब हमने जीत की जमीन तैयार कर ली है तो पीछे हटने को कहा जा रहा है। इन बागियों में कुछ कांग्रेस-एनसीपी से आए नेता भी हैं जिन्हें टिकट नहीं मिला।
करीब 50 विधानसभा क्षेत्रों में 144 बागी उम्मीदवारों को मनाने के लिए भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राज्य अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल और शिवसेना की तरफ से अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और केंद्रीय मंत्री सुभाष देसाई खुद लगे थे। ज्यादातर मामलों में इन्हें कामयाबी मिली। लेकिन कुछ अहम विधानसभाओं में बागी उम्मीदवार निर्दलीय के रूप में सामने होंगे, जो भाजपा-शिवसेना के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। ये मुंबई समेत विदर्भ, उत्तर महाराष्ट्र, पश्चिम महाराष्ट्र, कोंकण में सिंधुदुर्ग, ठाणे, रायगढ़ में चुनौती पेश करेंगे। भाजपा-शिवसेना को मराठवाड़ा में बगावत पूरी तरह रोकने में कामयाबी मिली है।
करीब 50 विधानसभा क्षेत्रों में 144 बागी उम्मीदवारों को मनाने के लिए भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राज्य अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल और शिवसेना की तरफ से अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और केंद्रीय मंत्री सुभाष देसाई खुद लगे थे। ज्यादातर मामलों में इन्हें कामयाबी मिली। लेकिन कुछ अहम विधानसभाओं में बागी उम्मीदवार निर्दलीय के रूप में सामने होंगे, जो भाजपा-शिवसेना के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। ये मुंबई समेत विदर्भ, उत्तर महाराष्ट्र, पश्चिम महाराष्ट्र, कोंकण में सिंधुदुर्ग, ठाणे, रायगढ़ में चुनौती पेश करेंगे। भाजपा-शिवसेना को मराठवाड़ा में बगावत पूरी तरह रोकने में कामयाबी मिली है।
मुंबई में रोचक मुकाबला
मुंबई में तीन सीटों पर बागियों के कारण रोचक मुकाबला होगा। ये सीटें हैं बांद्रा पूर्व, वर्सोवा और अंधेरी पूर्व। शिवसेना को खुद अपने गढ़ बांद्रा पूर्व में बगावत देखनी पड़ी। यहीं उद्धव ठाकरे का निवास मातोश्री है। शिवसेना ने यहां मुंबई के मेयर विश्वनाथ महाडे़श्वर को टिकट दिया परंतु वर्तमान विधायक तृप्ति सावंत ने निर्दलीय परचा भर दिया। वरिष्ठ नेताओं को मनाने के बावजूद पीछे नहीं हटी।
वर्सोवा में भाजपा ने अपनी सहयोगी शिव संग्राम पार्टी को यह सीट देते हुए वर्तमान विधायक भारती लव्हेकर को उतरा। उनके विरुद्ध सेना की पार्षद राजुल पटेल मैदान में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतर गईं। उनका कहना है कि वह किसी पार्टी के विरुद्ध नहीं बल्कि लव्हेकर के खिलाफ लड़ रही हैं क्योंकि उन्होंने पिछली बार जीतकर भी क्षेत्र में कोई काम नहीं किया। वहीं अंधेरी पूर्व से भाजपा के पूर्व पार्षद मुरजी पटेल ने सेना के रमेश लटके के विरुद्ध निर्दलीय मैदान में उतरने का फैसला किया है।
वर्सोवा में भाजपा ने अपनी सहयोगी शिव संग्राम पार्टी को यह सीट देते हुए वर्तमान विधायक भारती लव्हेकर को उतरा। उनके विरुद्ध सेना की पार्षद राजुल पटेल मैदान में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतर गईं। उनका कहना है कि वह किसी पार्टी के विरुद्ध नहीं बल्कि लव्हेकर के खिलाफ लड़ रही हैं क्योंकि उन्होंने पिछली बार जीतकर भी क्षेत्र में कोई काम नहीं किया। वहीं अंधेरी पूर्व से भाजपा के पूर्व पार्षद मुरजी पटेल ने सेना के रमेश लटके के विरुद्ध निर्दलीय मैदान में उतरने का फैसला किया है।
कांग्रेस-एनसीपी भविष्य में हो सकते हैं एक : शिंदे
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी अब थक चुके हैं। राजनीति में अलग-अलग लड़ने की उनकी ताकत खत्म हो चुकी है, इसलिए भविष्य में वे एक हो सकते हैं। शिंदे सोलापुर में एक सभा को संबोधित कर रहे थे।
मालूम हो कि महाराष्ट्र चुनाव से पहले भी ये बातें सामने आई थीं, लेकिन एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने इनका खंडन किया था। हालांकि कांग्रेस ने शिंदे के बयान को उनका व्यक्तिगत मत बताया है। कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि वर्तमान राजनीतिक हालात में दोनों दलों का साथ मिलकर लड़ना जरूरी है। शिंदे की इस बात के बाद एक बार फिर एनसीपी-कांग्रेस में विलय की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
शिंदे ने सोलापुर में बेटी प्रणीति शिंदे की चुनाव सभा में कहा कि कांग्रेस-एनसीपी को भविष्य में एक होना ही है। उन्होंने कहा कि मेरी और शरद पवार की उम्र में केवल आठ माह का फर्क है। हम एक ही मां की गोदी में पलकर बड़े हुए हैं। जो हुआ, उसे लेकर हमारे मन में खेद है और पवार के मन में भी। लेकिन वक्त आएगा जब वह मन की बात कह देंगे।
मालूम हो कि महाराष्ट्र चुनाव से पहले भी ये बातें सामने आई थीं, लेकिन एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने इनका खंडन किया था। हालांकि कांग्रेस ने शिंदे के बयान को उनका व्यक्तिगत मत बताया है। कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि वर्तमान राजनीतिक हालात में दोनों दलों का साथ मिलकर लड़ना जरूरी है। शिंदे की इस बात के बाद एक बार फिर एनसीपी-कांग्रेस में विलय की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
शिंदे ने सोलापुर में बेटी प्रणीति शिंदे की चुनाव सभा में कहा कि कांग्रेस-एनसीपी को भविष्य में एक होना ही है। उन्होंने कहा कि मेरी और शरद पवार की उम्र में केवल आठ माह का फर्क है। हम एक ही मां की गोदी में पलकर बड़े हुए हैं। जो हुआ, उसे लेकर हमारे मन में खेद है और पवार के मन में भी। लेकिन वक्त आएगा जब वह मन की बात कह देंगे।