सीवीसी को तीन मामलों में मिली थी पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की गलत भूमिका

कैबिनेट सचिव को 24 अगस्त, 2018 को लिखे पत्र में अस्थाना ने इनकी विस्तार से जानकारी दी थी। आलोक वर्मा पर लगे आरोप इतने गंभीर थे कि सीवीसी को पिछले साल 23 अक्तूबर को एक आदेश पारित करना पड़ा था। जिसमें सीबीआई निदेशक के तौर पर उन्हें मिली सभी शक्तियों, कार्यों और कर्तव्यों को वापस ले लिया गया था। उस समय अस्थाना की ओर से वर्मा और वर्मा की ओर से अस्थाना पर लगाए गए आरोपों ने एजेंसी को दो हिस्सों में बांट दिया था। जिसके बाद सरकार ने दोनों को सीबीआई से हटा दिया था।
सीबीआई के निदेशक पद से हटाने के बाद वर्मा को होमगार्ड का महानिदेशक बनाया गया था। हालांकि उन्होंने कार्यभार संभालने से मना कर दिया और अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं अस्थाना को नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो भेज दिया गया था। वह वर्तमान में नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के प्रणुख हैं। सीवीसी की रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने आठ जनवरी को सीवीसी के 23 अक्तबूर को पास किए आदेश को खारिज करते हुए वर्मा को केवल रूटीन ड्यूटी करने की इजाजत दी थी।