आर्थिक मंदी से कराहती मुंबई में भी अनुच्छेद 370 भारी
खास बातें
- पीएम मोदी ने विपक्ष को अनुच्छेद 370 पर चुनौती देकर बैकफुट पर ला दिया है
- भाजपा शिवसेना गठबंधन का 30 से ज्यादा सीटों पर जीत का दावा
- अनुच्छेद 370 ने बेरोजगारी और दूसरे सारे मुद्दों को पीछे धकेल दिया है
- कांग्रेस और एनसीपी का अनुच्छेद 370 पर रुख साफ नहीं
आथिर्क मंदी से कराह रही देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में विधानसभा चुनावों में अर्थव्यवस्था की सुस्ती के ऊपर जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के बदले जाने का मुद्दा भारी पड़ रहा है। कुछ समय पहले तक आर्थिक नगरी मुंबई में पीएमसी बैंक घोटाले की गूंज थी, बाजार में छाई मंदी और आर्थिक गतिविधियों की सुस्ती को लेकर आम चर्चा थी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार की शुरुआत करके चुनावी एजेंडा ही बदल दिया है।
मोदी ने विपक्ष को अनुच्छेद 370 फिर से बहाल करने का वादा करने की चुनौती देकर इस मुद्दे पर कांग्रे्स एनसीपी गठबंधन को बैकफुट पर ला दिया है। चुनावों में अब आर्थिक मंदी नहीं अनुच्छेद 370 औ्रर मोदी के 56इंच सीने की चर्चा है, जिसे अपनी हर चुनाव सभा में भाजपा शिवसेना के नेता लगातार हवा दे रहे हैं और कांग्रेस एनसीपी के लिए उसका जवाब देना भारी पड़ रहा है।सत्ताधारी भाजपा शिवसेना गठबंधन का पलड़ा खासा भारी
यही वजह है कि मुंबई की 36 विधानसभा सीटों पर जहां भाजपा शिवसेना के नेता तीस से ज्यादा सीटों पर अपने गठबंधन की जीत का दावा कर रहे हैं। जबकि दबी जुबान से खुद कांग्रेसी भी मान रहे हैं कि कांग्रेस एनसीपी गठबंधन ज्यादा से ज्यादा एक दर्जन सीटों पर ही मुकाबले में है, बाकी 24 सीटों पर सत्ताधारी भाजपा शिवसेना गठबंधन का पलड़ा खासा भारी है।स्वभाव से कांग्रेसी और प्रियंका वर्ड पत्रिका के संपादक अभिलाष अवस्थी भी मानते हैं कि जिस तरह लोकसभा चुनावों में बालाकोट में आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमले के मुद्दे ने सारे मुद्दों को दरकिनार कर दिया था और मोदी सरकार से नाराजगी राष्ट्रवाद की आंधी में हवा हो गई थी, उसी तरह अब जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेष राज्य के दर्जे की समाप्ति ने आर्थिक मंदी किसानों की तबाही बेरोजगारी और दूसरे सारे मुद्दों को पीछे धकेल दिया है।
अब लोगों की दिलो दिमाग पर सिर्फ 370 छाया हुआ है। अवस्थी की तकलीफ यह भी है कि कांग्रेस और एनसीपी इस मुद्दे पर अपना स्पष्ट रुख भी नहीं रख पाए हैं जबकि आज कश्मीर का अधिकांश हिस्सा अगर भारत के पास है और पाक अधिकृत कश्मीर पर भारत का दावा है तो उसका श्रेय जवाहर लाल नेहरू और अनुच्छेद 370 को ही जाता है। लेकिन कांग्रेस इस तथ्य को जनता के सामने सही तरीके से नहीं रख सकी और भाजपा व नरेंद्र मोदी ने इसे भावनात्मक रंग देकर लोगों में राष्ट्रवाद का ज्वार पैदा कर दिया है।
370 का मुद्दा गेमचेंजर बन रहा है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीब माने जाने वाले मुस्लिम व्यवसायी और सामाजिक कार्यकर्ता जफर सरेशवाला भी मानते हैं कि जैसे लोकसभा चुनावों में बालाकोट गेमचेंजर साबित हुआ उसी तरह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अनुच्छेद 370 का मुद्दा गेमचेंजर बन रहा है।सरेशवाला के मुताबिक हालाकि महाराष्ट्र की जनता को अनुच्छेद 370 से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है,लेकिन जिस तरह मोदी और शाह ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और कश्मीर के भारत के साथ विलय से जोड़ दिया है, उससे बाकी सारे मुद्दे लोग भूल गए हैं और इसका सीधा चुनावी फायदा भाजपा शिवसेना गठबंधन को मिलने जा रहा है।
अनुच्छेद 370 हटाया जाना एतिहासिक कदम
व्यापारी, उद्योगपति, नौकरीपेशा लोग. छात्र, महिलाएं जिस वर्ग के लोगों से बात कीजिए एक बात साफ नजर आती है कि लोगों में अर्थव्यवस्था की हालत और बेरोजगारी को लेकर पीड़ा तो बढी है लेकिन अभी वह पीड़ा मोदी सरकार के खिलाफ गुस्से में तब्दील नहीं हुई है।टैक्सी चलाने वाले संजय माने का कहना है कि उन्होंने पहले कभी भाजपा शिवसेना को वोट नहीं दिया, लेकिन 2019 में दिया था और इस बार भी देंगे। संजय कहते हैं कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद उनकी आमदनी में कमी तो हुई है, लेकिन अगर मोदी को वोट न दें तो किसे दें। सामने तो कोई है ही नहीं और फिर मोदी से अभी उम्मीद है।
प्रापर्टी डीलिंग के व्यवसाय से जुड़े अंधेरी निवासी रमन कहते हैं कि उनका धंधा तो लगातार मंदा चल रहा है, लेकिन जब मोदी को दोबारा मौका दिया है तो कुछ इंतजार करना होगा। रमन और संजय दोनों ही अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को एक एतिहासिक काम मानते हैं और एसा मानने वाले ये दोनों न अकेले हैं और न अपवाद।