मोदी-जिनपिंग की मुलाकात में विकास और सहयोग पर होगी बात, नहीं छिड़ेगा कश्मीर मुद्दा

प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो) - फोटो : bharat rajneeti
खास बातें
- चीन ने की अपने राष्ट्रपति के शुक्रवार को भारत दौरे की आधिकारिक घोषणा
- दोनों नेताओं के बीच पिछले साल हुआ था अनौपचारिक वार्ता का पहला प्रयोग
- सरकार को उम्मीद है कि विवादों के बावजूद कई मसलों पर बनेगा ठोस रोडमैप
- भारत उठाएगा व्यापार घाटे का मुद्दा, पाकिस्तान पर भी हो सकती है बात
चीन ने बुधवार को अपने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे की आधिकारिक घोषणा कर दी। जिनपिंग 11 अक्तूबर यानी शुक्रवार को करीब 24 घंटे लंबे दौरे पर तमिलनाडु के प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध तटीय शहर महाबलीपुरम (ममल्लापुरम) पहुंचेंगे। यहां शुक्रवार और शनिवार को उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता होगी। हालांकि दोनों देशों के संबंधों में तल्खी का सबब बने रहे कश्मीर मुद्दे पर चर्चा नहीं होगी, दोनों नेता विकास की व्यापक राह का खाका खींचने का प्रयास करेंगे।
विदेश मंत्रालय ने भी बुधवार को जिनपिंग के दौरे पर छाए संशय दूर करते हुए इसे दोनों राष्ट्राध्यक्षों की अनौपचारिक मुलाकात बताया और साफतौर पर कहा कि इस दौरान कश्मीर के मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं की जाएगी, क्योंकि यह भारत का संप्रभु मसला है।
हालांकि जिनपिंग की ओर से सवाल करने पर पीएम मोदी उन्हें वर्तमान स्थिति बता सकते हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि अनौपचारिक मुलाकात होने के कारण किसी समझौते या सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर होने और साझा बयान की उम्मीद नहीं है।
विदेश मंत्रालय ने भी बुधवार को जिनपिंग के दौरे पर छाए संशय दूर करते हुए इसे दोनों राष्ट्राध्यक्षों की अनौपचारिक मुलाकात बताया और साफतौर पर कहा कि इस दौरान कश्मीर के मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं की जाएगी, क्योंकि यह भारत का संप्रभु मसला है।
हालांकि जिनपिंग की ओर से सवाल करने पर पीएम मोदी उन्हें वर्तमान स्थिति बता सकते हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि अनौपचारिक मुलाकात होने के कारण किसी समझौते या सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर होने और साझा बयान की उम्मीद नहीं है।
पिछले साल पहली बार हुई थी दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत
दोनों नेताओं ने अनौपचारिक बातचीत का पहला प्रयोग चीन के वुहान में पिछले साल 27-28 अप्रैल को किया था। माना जा रहा है कि उस मुलाकात में एशिया की दो बड़ी ताकतों के बीच अहम वैश्विक और द्विपक्षीय विचारों का बीजारोपण हुआ था।
इसके बाद संबंधों में आए उभार को देखते हुए दोनों नेताओं ने दूसरी अनौपचारिक मुलाकात करने का फैसला किया। सरकार को उम्मीद है कि कई विवादित मसलों के बावजूद यह मुलाकात द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और विश्वस्तरीय मामलों पर ठोस रोडमैप तैयार करेगा।
सूत्रों के मुताबिक मोदी-जिंनपिंग की वन-टू-वन और प्रतिनिधि स्तर की बातचीत होगी। चाय पर दोनों नेता अलग से बात करेंगे। दोनों देशों के बीच व्यापार, सामरिक मामलों और 3500 किमी लंबी भारत-चीन सीमा संबंधी मसलों को शांतिपूर्वक सुलझाने का खाका तैयार होगा।
इसी दौरान दोनों देशों के बीच विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत का समय भी तय होगा। उम्मीद जताई जा रही है कि इस मुलाकात में पाकिस्तान के मुद्दे पर भी दोनों नेता अपना-अपना पक्ष रखेंगे।
इस मुलाकात में राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ चीन के विदेश मंत्री वांग यी और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य भी मौजूद रहेंगे। भारत में चीन के राजदूत सुन वेडॉन्ग ने इस मुलाकात के औपचारिक एलान के बाद कहा कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों की दोस्ती और सामरिक मार्गदर्शन दोनों देशों के रिश्तों को नया आयाम देगा।
इसके बाद संबंधों में आए उभार को देखते हुए दोनों नेताओं ने दूसरी अनौपचारिक मुलाकात करने का फैसला किया। सरकार को उम्मीद है कि कई विवादित मसलों के बावजूद यह मुलाकात द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और विश्वस्तरीय मामलों पर ठोस रोडमैप तैयार करेगा।
सूत्रों के मुताबिक मोदी-जिंनपिंग की वन-टू-वन और प्रतिनिधि स्तर की बातचीत होगी। चाय पर दोनों नेता अलग से बात करेंगे। दोनों देशों के बीच व्यापार, सामरिक मामलों और 3500 किमी लंबी भारत-चीन सीमा संबंधी मसलों को शांतिपूर्वक सुलझाने का खाका तैयार होगा।
इसी दौरान दोनों देशों के बीच विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत का समय भी तय होगा। उम्मीद जताई जा रही है कि इस मुलाकात में पाकिस्तान के मुद्दे पर भी दोनों नेता अपना-अपना पक्ष रखेंगे।
इस मुलाकात में राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ चीन के विदेश मंत्री वांग यी और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य भी मौजूद रहेंगे। भारत में चीन के राजदूत सुन वेडॉन्ग ने इस मुलाकात के औपचारिक एलान के बाद कहा कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों की दोस्ती और सामरिक मार्गदर्शन दोनों देशों के रिश्तों को नया आयाम देगा।
भारत उठाएगा व्यापार घाटे का मुद्दा
दोनों नेताओं की मुलाकात चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक मसले पर बढ़ रही तकरार के दौरान हो रही है। ऐसे में मोदी और जिनपिंग आपसी व्यापारिक संबंधों के विस्तार के नए तरीके खोजने पर सहमत हो सकते हैं। लेकिन सूत्रों ने यह भी कहा है कि भारत की तरफ से दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार में व्यापार घाटे का संतुलन चीन के पक्ष में होने का मुद्दा भी उठाएगा।
इस तरह है दौरे का संभावित कार्यक्रम
- शी जिनपिंग शुक्रवार को दोपहर 1.20 बजे चेन्नई पहुंचेंगे
- एयरपोर्ट पर पारंपरिक नृत्य व संगीत के साथ होगा स्वागत
- होटल में कुछ देर आराम के बाद सड़क मार्ग से महाबलीपुरम रवाना होंगे
- महाबलीपुरम में जिनपिंग को पीएम मोदी अपने साथ प्रसिद्ध तटीय मंदिर समूह ले जाएंगे
- मंदिर परिसर में ही दोनों नेता थोड़ी देर के लिए बैठक करेंगे
- इसके बाद दोनों नेता वहीं पर सांस्कृति समारोह में शामिल होंगे
- रात में पीएम मोदी चीनी राष्ट्रपति के लिए डिनर होस्ट करेंगे
- देर रात जिनपिंग चेन्नई में अपने होटल वापस लौट आएंगे
- 12 अक्तूबर को जिनपिंग सुबह नौ बजे महाबलीपुरम रवाना होंगे
- यहां दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता आयोजित की जाएगी
- जिनपिंग दोपहर एक बजे चेन्नई लौटेंगे और 2.20 बजे नेपाल रवाना होंगे
दौरे से पहले सामने आया चीन का दोहरा चेहरा
चीनी राष्ट्रपति के भारत दौरे से पहले एक बार फिर चीन का दोहरा चेहरा सामने आ गया है। मंगलवार को भारत और पाकिस्तान को आपसी वार्ता से कश्मीर मुद्दा हल करने की दुहाई दे रहे चीन ने बुधवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की अपने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद नया ही रुख अपना लिया।
चीनी समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, मुलाकात के बाद जिनपिंग ने कहा कि वह कश्मीर के हालात पर नजर बनाए हुए हैं और पाकिस्तान के मूल हितों से जुड़े मुद्दों पर उसका समर्थन करेंगे। जिनपिंग के इस बयान को कश्मीर मुद्दे पर उसे पुराने रुख से ही जोड़कर देखा जा रहा है, जिसके तहत उसने कश्मीर के बंटवारे का विरोध करने के साथ ही पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी कश्मीर पर पाकिस्तानी रुख का समर्थन किया था।
चीनी समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, मुलाकात के बाद जिनपिंग ने कहा कि वह कश्मीर के हालात पर नजर बनाए हुए हैं और पाकिस्तान के मूल हितों से जुड़े मुद्दों पर उसका समर्थन करेंगे। जिनपिंग के इस बयान को कश्मीर मुद्दे पर उसे पुराने रुख से ही जोड़कर देखा जा रहा है, जिसके तहत उसने कश्मीर के बंटवारे का विरोध करने के साथ ही पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी कश्मीर पर पाकिस्तानी रुख का समर्थन किया था।
नेपाल भी जाएंगे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग
दो दिवसीय भारत के दौरे पर आ रहे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नेपाल भी जाएंगे। राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी के आमंत्रण पर नेपाल आ रहे शी जिनपिंग शनिवार 12 अक्तूबर को काठमांडू पहुंचेंगे। चीनी राष्ट्रपति के नेपाल दौरे में केरुड-काठमाडू रेलवे सहित बेल्ट एण्ड रोड इनिसिएटिव (बीआरआई) के कुछ नेपाल प्रस्तावित परियोजना पर समझौता होने की सम्भावना है।
राष्ट्रपति के साथ आने वाले विशिष्ट प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के साथ रविवार को द्विपक्षीय वार्ता भी करेगे। इस दौरान दोनो देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों सहित समझौता पत्र पर हस्ताक्षर होंगे। राष्ट्रपति भंडारी शनिवार को चीनी राष्ट्रपति के सम्मान में रात्रिभोज का आयोजन करेंगी। शी जिनपिंग रविवार को दोपहर बीजिंग लौट जाएंगे।
राष्ट्रपति के साथ आने वाले विशिष्ट प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के साथ रविवार को द्विपक्षीय वार्ता भी करेगे। इस दौरान दोनो देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों सहित समझौता पत्र पर हस्ताक्षर होंगे। राष्ट्रपति भंडारी शनिवार को चीनी राष्ट्रपति के सम्मान में रात्रिभोज का आयोजन करेंगी। शी जिनपिंग रविवार को दोपहर बीजिंग लौट जाएंगे।