खास बातें
- हरियाणा में दुष्यंत चौटाला और महाराष्ट्र में अजित पवार के समर्थन से भाजपा ने बनाई सरकार
- दोनों को ही राज्य के उप-मुख्यमंत्री का पद दिया गया
- दोनों नेता राज्य के विपक्षी पार्टी के भतीजे हैं
इस साल दो राज्यों हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव के बाद 24 अक्तूबर को जो परिणाम आए वह भाजपा के लिए चौकाने वाले थे। दोनों ही राज्यों में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। लेकिन आज दोनों ही राज्यों में भाजपा सरकार बनाने में सफल रही। इन दोनों राज्यों में भाजपा के सरकार बनाने में जो एक जैसी बात है वह यह की दोनों राज्यों में भाजपा के लिए विपक्षी पार्टी के भतीजे लकी साबित हुए हैं।
हरियाणा में विपक्षी पार्टी इनेलो के नेता अभय चौटाला से विवाद के बाद उनके भतीजे और इनेलो के सांसद रहे दुष्यंत चौटाला ने अलग पार्टी जजपा बना ली थी। चुनाव से पहले भाजपा और जजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। लेकिन जब हरियाणा में बहुमत के लिए भाजपा को संख्या बल कम पड़ गया तो दुष्यंत चौटाला से गठबंधन कर भाजपा ने सरकार बना ली और दुष्यंत चौटाला को उप मुख्यमंत्री बना दिया। वहीं, महाराष्ट्र में भी शनिवार को भाजपा ने बड़ा सियासी उलटफेर करते हुए राकांपा नेता शरद पवार के भतीजे अजीत पवार के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली। यहां भी अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री का पद दिया गया है।
महाराष्ट्र में फडणवीस ने ऐसे बनाई सरकार
महाराष्ट्र में सियासी रस्साकस्सी के बीच भाजपा ने बाजी मारते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ मिलकर सरकार बना ली है। देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार सुबह राजभवन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में दोबारा शपथ ली। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एनसीपी के अजित पवार को भी उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। राज्यपाल ने फडणवीस सरकार को 30 नवंबर तक बहुमत साबित करने का समय दिया है।
इससे पहले शुक्रवार तक कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था और शरद पवार ने यह घोषणा कर दी थी कि मुख्यमंत्री के नाम पर उद्धव ठाकरे के नाम पर सहमति बन चुकी है। अचानक रातों-रात सियासी उलटफेर हुआ और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने फडणवीस सरकार के साथ मिलकर सरकार बना ली।
अजित पवार शरद के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं। अजित के पिता वी. शांताराम के राजकमल स्टूडियो में काम करते थे। अजित अपने चाचा शरद की अगुवाई में राजनीति में आए थे। अजित पवार 1991 से अब तक सात बार विधायक चुने गए हैं। नवंबर 1992 से फरवरी 1993 तक कृषि और बिजली राज्य मंत्री रहे। वे 29 सितंबर 2012 से 25 सितंबर 2014 महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। अक्टूबर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला था, लेकिन दोनों के बीच सीएम पद को लेकर विवाद हुआ और 30 वर्षों से भाजपा-शिवसेना की दोस्ती में दरार आ गई।
हरियाणा में मनोहर लाल ने ऐसे बनाई सरकार
भाजपा ने 40 सीटें जीतीं। उन्हें सरकार बनाने के लिए 6 विधायकों की जरूरत थी, इसी बीच गोपाल कांडा एक बार फिर सक्रिय होकर निर्दलीय विधायकों को एकजुट करने में लग गए। निर्दलीय जीतकर आए छह उम्मीदवारों का समर्थन मिल भी गया, लेकिन इसके बाद भी भाजपा ने 10 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली जजपा का समर्थन लिया। जजपा के समर्थन से हरियाणा में सरकार बनी। मनोहर लाल खट्टर दोबारा मुख्यमंत्री बने और दुष्यंत चौटाला को उप मुख्यमंत्री बनाया गया।
इस वजह से दुष्यंत ने बनाई थी नई पार्टी
अक्टूबर 2018 में चौधरी देवीलाल के जन्मदिन समारोह में चौटाला परिवार की अंदरूनी रार सामने आई थी। अभय चौटाला के खिलाफ हूटिंग होने पर विवाद शुरू हुआ और इसका आरोप सीधे-सीधे दुष्यंत चौटाला और उनके छोटे भाई दिग्विजय चौटाला पर लगा। इनेलो के मुखिया ओम प्रकाश चौटाला ने सख्ती दिखाते हुए अपने ही दोनों पोतों के खिलाफ नोटिस जारी करने का आदेश दिया। इसके बाद उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया। चाचा-भतीजों की लड़ाई में इनेलो में दो-फाड़ हो गई और जजपा (जननायक जनता पार्टी) अस्तित्व में आई।
दुष्यंत चौटाला ने नौ दिसंबर 2018 में जजपा का गठन किया। पार्टी ने जींद उपचुनाव में पहली बार चुनाव लड़ा। जींद का लोकसभा चुनाव जजपा-आप ने मिलकर लड़ा था। लेकिन दिग्विजय चौटाला को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद दुष्यंत चौटाला ने पार्टी की रणनीति बनाई और ताऊ देवीलाल के विचारों को सामने कर जन-जन तक अपनी पहुंच बनाई। इसके बाद लोकसभा चुनाव लड़ा, जिसमें 10 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए, लेकिन सभी हार गए। पर दुष्यंत ने हार नहीं मानी। विधानसभा चुनाव में फिर पूरी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और 10 सीटों पर जीत दर्ज कर किंगमेकर बन गए।