
न्यायमूर्ति सैयद मजहर अली अकबर नकवी, न्यायमूर्ति मोहम्मद अमीर भट्टी और न्यायमूर्ति चौधरी मसूद जहांगीर की पीठ का सोमवार का यह फैसला मुशर्रफ की याचिका पर आया है। मुशर्रफ ने उनके खिलाफ देशद्रोह के मामले की सुनवाई के लिए विशेष अदालत के गठन को चुनौती दी थी।
अपनी याचिका में मुशर्रफ ने लाहौर उच्च न्यायालय ने विशेष अदालत के फैसले को अवैध, क्षेत्राधिकार से बाहर और असंवैधानिक करार देते हुए उसे खारिज करने की मांग की थी। उन्होंने उनकी इस याचिका पर फैसला आने तक विशेष अदालत के निर्णय को निलंबित रखने की भी मांग की है।
जियो टीवी की खबर है कि लाहौर उच्च न्यायालय ने यह भी व्यवस्था दी कि मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का मामला कानून के अनुसार तैयार नहीं किया गया।
अतिरिक्त अटार्नी जनरल इश्तियाक अहमद खान ने अदालत से कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत मुशर्रफ के खिलाफ सुनवाई के लिए विशेष अदालत का गठन तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार की संघीय कैबिनेट बैठकों के एजेंडे का हिस्सा नहीं था। खान ने अदालत में कहा कि विशेष अदालत मंत्रिमंडल की औपचारिक मंजूरी के बगैर ही गठित कर दी गई।
उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ लगाए गए आरोपों में दम नहीं है क्योंकि कार्यकारी की आपात शक्तियों के तहत मौलिक अधिकार निलंबित किये जा सकते हैं।
अपनी याचिका में मुशर्रफ ने लाहौर उच्च न्यायालय ने विशेष अदालत के फैसले को अवैध, क्षेत्राधिकार से बाहर और असंवैधानिक करार देते हुए उसे खारिज करने की मांग की है। उन्होंने उनकी इस याचिका पर फैसला आने तक विशेष अदालत के निर्णय को निलंबित रखने की भी मांग की है।
डॉन अखबार की खबर के अनुसार लाहौर उच्च न्यायालय ने मुशर्रफ की याचिकाओं पर सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इन याचिकाओं में उन्हें देशद्रोह का गुनहगार ठहराने, उन्हें दोषी ठहराने वाली विशेष अदालत के गठन, उनके खिलाफ सरकार द्वारा देशद्रोह की जांच दर्ज करने समेत विभिन्न कार्रवाइयों को चुनौती दी गई है।