आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी आज 05 जुलाई, दिन सोमवार को है। इस एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु की कृपा से भक्त के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। सभी सुखों को भोगकर अंत में मनुष्य मुक्ति पा जाता है।
भगवान श्रीहरि के आशीर्वाद से भक्त की मनोकामना पूरी होने की भी मान्यता है। मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर होता है। कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से घर में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
योगिनी एकादशी का महत्व-
योगिनी एकादशी का विशेष महत्व होता है। इस एकादशी के बाद ही देवशयनी एकादशी मनाई जाती है। देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु 4 महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान सृष्टि का संचान भगवान शिव करते हैं। कहा जाता है कि इन 4 महीनों तक मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है।
एकादशी व्रत नियम-
निर्जला एकादशी व्रत में जल का त्याग करना होता है। इस व्रत में व्रती पानी का सेवन नहीं कर सकता है। व्रत का पारण करने के बाद ही व्रती जल का सेवन कर सकता है।
एकादशी के दिन क्या करें और क्या नहीं-
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
- इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए और मांस- मदिरा के सेवन से दूर रहें। एकादशी के पावन दिन चावल का सेवन न करें।
- इस दिन किसी के प्रति अपशब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस पावन दिन ब्रह्मचर्य का पालन भी करें।
- धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन दान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन दान- पुण्य करें।
- एकादशी के पावन दिन भगवान विष्णु को भोग जरूर लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूरी शामिल करें। भगवान को सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं।