- पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में तो कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई।
- पुडुचेरी विधानसभा चुनावों में एनडीए को जीत मिली और कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई।
- मेघालय में कांग्रेस के 18 में से 12 विधायकों ने तृणमूल का दामन थाम लिया।
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सोमवार, 3 जनवरी 2022
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Politics news from India by congress :- 2021 ने कांग्रेस को दिए न भूलने वाले दर्द, मेघालय में हुआ ‘खेल’ तो बंगाल में सूपड़ा साफ
Politics news from India by congress :- 2021 ने कांग्रेस को दिए न भूलने वाले दर्द, मेघालय में हुआ ‘खेल’ तो बंगाल में सूपड़ा साफ
2021 में असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हुए और इनमें से अधिकांश चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा।
Politics news from India HIGHLIGHTS
देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस ने 28 दिसंबर 2021 को अपना 137वां स्थापना दिवस मनाया। इस मौके पर कांग्रेस मुख्यालय में उस समय असहज स्थिति पैदा हो गई जब पार्टी का ध्वज स्तंभ से नीचे गिर गया। उस समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पार्टी का ध्वज फहराने की कोशिश कर रही थीं। इसके बाद सोनिया ने पार्टी कोषाध्यक्ष पवन बंसल और महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ झंडा तुरंत अपने हाथों में ले लिया। बाद में झंडारोहण हुआ और सोनिया ने पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए संदेश भी जारी किया।
सोशल मीडिया पर चल निकला चर्चाओं का दौर (The round of discussions started on social media)
कई बार स्तंभ पर सही से न लगे होने के कारण ध्वज नीचे गिर जाते हैं। ऐसी घटनाएं होती रहती हैं, और कभी भी हो सकती हैं, लेकिन सोशल मीडिया (social media) के दौर में तमाम लोगों ने इसे कांग्रेस की वर्तमान स्थिति से जोड़ दिया। कुछ लोग बचाव में भी आगे आए, लेकिन उनकी दलीलें मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में हुई घटना को उसकी वर्तमान दुर्दशा के एक रूपक के तौर पर लेने से नहीं रोक सकीं। यह सच है कि कांग्रेस पिछले कई सालों से संघर्ष करती दिखाई दे रही है। कई लोगों का मानना है कि यह धीरे-धीरे अंत की ओर बढ़ रही है। लेकिन क्या सच में ऐसा है?
2021 में भी अधूरा रहा कांग्रेस की तरक्की का ख्वाब (Congress's dream of progress remained incomplete even in 2021)
साल 2021 कांग्रेस के लिए अच्छी से ज्यादा बुरी खबरें ही लेकर आया। 2021 में असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हुए और इनमें से अधिकांश चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा। इनमें से सिर्फ तमिलनाडु में ही कांग्रेस जूनियर पार्टनर के तौर पर सरकार में शामिल हुई। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में तो कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई। वहीं, पुडुचेरी में एनडीए ने उसे सत्ता से बाहर कर दिया। ऐसे में जिन लोगों ने 2021 में कांग्रेस के लिए कुछ बेहतर होने का ख्वाब देखा था, उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
मेघालय, असम, पंजाब समेत कई राज्यों लगी चोट (Injuries to many states including Meghalaya, Assam, Punjab)
2021 में भी कांग्रेस को गुटबाजी से राहत नहीं मिली। जी-23 के नेताओं ने जहां कई मौकों पर पार्टी हाईकमान से अलग सुर में बात की, वहीं पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से भी आपसी खींचतान की खबरें लगातार आती रहीं। पंजाब में तो नवजोत सिंह सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष बनने के कुछ ही दिन बाद अमरिंदर ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और अब वह एक नई पार्टी के साथ चुनाव मैदान में हैं। वहीं, मेघालय में कांग्रेस के 18 में से 12 विधायकों ने तृणमूल का दामन थाम लिया और पार्टी वहां मुख्य विपक्षी दल भी न रही। असम, गोवा, मध्य प्रदेश, मणिपुर समेत कई राज्यों में पार्टी के विधायकों ने पाला बदला। इन घटनाओं को देखकर कांग्रेस के भविष्य पर सवाल तो उठेंगे ही।
आजादी के आंदोलन में निभाई अहम भूमिका (The party has been in power for a long time)
थोड़ी देर के लिए आपको इतिहास के सफर पर लेकर चलते हैं। कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश राज के दौरान 28 दिसंबर 1885 में हुई थी। इसके संस्थापकों में एलेन ओक्टेवियन ह्यूम, दादाभाई नौरोजी और दिनशा वाचा शामिल थे। कांग्रेस ने 19वीं सदी के आखिर से लेकर 20वीं सदी के मध्य तक, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका अदा की थी। आंदोलन के दौरान एक समय कांग्रेस के 1.5 करोड़ से ज्यादा सदस्य और 7 करोड़ से ज्यादा प्रतिभागी थे। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि तब के भारत में इसे आमजन में कितनी स्वीकार्यता हासिल थी।
लंबे समय तक सत्ता पर काबिज रही है पार्टी (The party has been in power for a long time)
1947 में देश को आजादी मिली और कांग्रेस एक प्रमुख राजनीतिक दल (political party) के रूप में उभरकर सामने आई। देश के पहले आम चुनावों से लेकर अब तक, 17 आम चुनावों में कांग्रेस ने 7 में पूर्ण बहुमत हासिल किया और 3 में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया। इस तरह केंद्र में कुल 54 साल से भी ज्यादा अवधि तक कांग्रेस की सरकार रही है। कांग्रेस ने देश को 6 प्रधानमंत्री दिए, जिनमें जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह शामिल हैं। इनके अलावा गुलजारी लाल नंदा भी दो मौकों पर कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे।
चुनौतियों के बावजूद उम्मीद अभी बाकी है (Despite the challenges, there is still hope)
1951-52 के आम चुनावों को हुए 70 साल हो चुके हैं, और उन चुनावों में 489 में से 364 सीटें जीतने वाली कांग्रेस के आज लोकसभा में सिर्फ 53 सांसद हैं। बीते 70 सालों में कांग्रेस अपने गौरवशाली अतीत की परछाईं बनकर रह गई है। आज सिर्फ राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब में कांग्रेस की सरकारें हैं, जबकि कभी देश के तमाम राज्यों में पार्टी का शासन हुआ करता था। हालांकि यह भी एक तथ्य है कि कांग्रेस अभी भी देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और 2019 में निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद उसे लगभग 20 फीसदी वोट मिले थे। कांग्रेस ने यदि वर्तमान को सही से साध लिया, और पिछली गलतियों को न दोहराया, तो पार्टी फिर से ट्रैक पर आ सकती है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि ममता बनर्जी, हिमंत बिस्व सरमा और जगन रेड्डी जैसे नेता, जो कि विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री हैं, कभी कांग्रेस के सिपाही हुआ करते थे।
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