गुजरात: क्या प्रभात सिंह को मिलेगा पंचमहल में हैट्रिक का चांस? - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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बुधवार, 30 जनवरी 2019

गुजरात: क्या प्रभात सिंह को मिलेगा पंचमहल में हैट्रिक का चांस?

Panchmahal loksabha seat पंचमहल लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1957 में हुआ और यहां से कांग्रेस के मांगालाल गांधी ने जीत दर्ज की. 1962 में हुए दूसरे चुनाव में जीवन दहियाभाई नायक ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की.




पंचमहल वह लोकसभा क्षेत्र है, जो गुजरात व देश की राजनीति में काफी अहम रहा है. 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट वजूद में आई, उससे पहले यह इलाका गोधरा लोकसभा क्षेत्र के तहत आता था. गोधरा गुजरात दंगों का सबसे बड़ा केंद्र रहा है. फिलहाल यह सीट भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में है. हालांकि, आजादी के बाद शुरुआती दो चुनाव भी पंचमहल सीट के नाम से हुए. इसके बाद यह गोधरा सीट बन गई.

राजनीति पृष्ठभूमि

पंचमहल लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1957 में हुआ और यहां से कांग्रेस के मांगालाल गांधी ने जीत दर्ज की. 1962 में हुए दूसरे चुनाव में जीवन दहियाभाई नायक ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की. इसके बाद पंचमहल सीट पर 2009 में चुनाव हुए और भारतीय जनता पार्टी के प्रभात सिंह चौहान ने बाजी मारी. 2014 का आम चुनाव भी बीजेपी के नाम रहा और लगातार दूसरी बार प्रभात सिंह चौहान यहां से सांसद निर्वाचित हुए.

इससे पहले गोधरा सीट के रूप में भी यहां से बीजेपी को जीत मिलती रही. 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के भूपेंद्र सिंह सोलंकी ने यहां से लगातार दो बार बाजी मारी. गुजरात के वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला भी इस सीट से सांसद बने. उन्होंने 1991 के आम चुनाव में बीजेपी के टिकट पर यहां से जीत दर्ज की.

सामाजिक ताना-बाना
पंचमहल लोकसभा सीट पर मुस्लिम वोटर चुनाव नतीजों को काफी प्रभावित करता है. 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार की हार की वजह छोटे दलों से चुनाव लड़े मुस्लिम उम्मीदवार को बताया गया. कांग्रेस के शंकर सिंह वाघेला महज 2 हजार मतों से हार गए थे. जबकि लोजपा के मुस्लिम उम्मीदवार कलीम अब्दुल लतीफ को 23 हजार वोट मिले और भारतीय मानव सेवा दल के प्रत्याशी मुख्तार मंसूरी को 10 हजार वोट मिले. चुनाव विश्लेषकों ने इन दोनों उम्मीदवारों के बेहतर प्रदर्शन को ही वाघेला की हार का कारण माना.

यहां खनिज पाए जाते हैं और कृषि की भी की जाती है. बावजूद इसके इस क्षेत्र की माली हालत गुजरात के बाकी इलाकों की तुलना में काफी कमजोर है. यही वजह है कि पिछड़े क्षेत्र के लिए चलाई जाने वाली स्पेशल स्कीम का लाभ दिया जाता है.

पंचमहल लोकसभा क्षेत्र दाहोद, खेड़ा और पंचमहल जिलों के अंतर्गत आता है. 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां की कुल आबादी 24,08,808 है. इसमें 85.8% ग्रामीम 14.2% शहरी आबादी है. अनुसूचित जाति (SC) की संख्या 5.17% और अनुसूचित जनजाति(ST) की आबादी 14.59% है. 2018 की वोटर लिस्ट के मुताबिक, यहां कुल वोटरों की संख्या 17,05,236 है.

इस सीट के अंतर्गत थासरा, शेहरा, कलोल, बालासिनोर, मोरवा-हदफ, लुणावाडा और गोधरा विधानसभा सीट शामिल हैं. मोरवा-हदफ सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. 2017 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो लुणावाला सीट से निर्दलीय, शेहरा से बीजेपी, मोरवा-हदफ से निर्दलीय, गोधरा से बीजेपी, कलोल से बीजेपी, थासरा से कांग्रेस और बालासिनोर सीट से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. यानी दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे और तीन पर बीजेपी और दो पर कांग्रेस ने बाजी मारी थी.

विधानसभा चुनाव से पहले 2016 में प्रभात सिंह चौहान के बेटे प्रवीन सिंह चौहान ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया था. शंकर सिंह वाघेला की मौजूदगी में वह कांग्रेस का हिस्सा बने थे. प्रवीन सिंह ने गोधरा से 2012 में बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गए थे.

2014 का जनादेश

  • प्रभात सिंह चौहान, बीजेपी- 508,274 वोट (54.5%)
  • रामसिंह परमार, कांग्रेस- 337,678 (36.2%)
  • 2014 चुनाव का वोटिंग पैटर्न
  • कुल मतदाता- 15,76,667
  • पुरुष मतदाता- 8,20,230
  • महिला मतदाता- 7,56,437
  • मतदान- 9,33,461 (59.2%)

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

प्रभात सिंह उम्र के 75वें पड़ाव को पार कर चुके हैं. स्कूल तक पढ़ाई करने वाले प्रभात सिंह लंबे समय तक सरपंच रहे हैं. 1980 से 1990 और 1995 से 2007 तक कुल पांच बार विधायक रहने वाले प्रभात सिंह चौहान गुजरात सरकार में मंत्री भी रहे. 2009 में वह पहली बार लोकसभा सांसद बने और 2014 में दूसरी बार उन्होंने लोकसभा चुनाव जीता.

लोकसभा में उपस्थिती की बात की जाए तो उनकी मौजूदगी 91 फीसदी रही है, जो कि औसत से बेहतर है. जबकि बहस के मामले में उनका प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 3 बार बहस में हिस्सा लिया. सवाल पूछने के मामले में उनका प्रदर्शन न के बराबर रहा.उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कुल 9 सवाल पूछे हैं.

सांसद निधि से खर्च के मामले में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा है. उनकी निधि से जारी 23.72 करोड़ रुपये का वह लगभग 98 प्रतिशत विकास कार्यों पर खर्च करने में कामयाब रहे हैं. संपत्ति की बात की जाए तो एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी कुल संपत्ति 1 करोड़ रूपये से ज्यादा की है. इसमें 15 लाख से ज्यादा चल संपत्ति और 89 लाख रूपये से ज्यादा की अचल संपत्ति है.

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