संसद सत्र आज से, कल पेश होगा बजट, RAFALE पर CAG रिपोर्ट की रणनीति तैयार
लोक सभा
गुरूवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र में सरकार और विपक्ष के बीच वार पलटवार की सियासी जमीन तैयार हो गई है। वर्तमान लोकसभा के अंतिम सत्र में जहां सरकार ने राफेल सौदे पर सीएजी की रिपोर्ट पेश कर विपक्ष पर पलटवार करने की रणनीति बनाई है। वहीं विपक्ष नोटबंदी के कारण देश में कथि्ज्ञत बेरोजगारी बढने संबंधी रिपोर्ट को दबाने के विरोध में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो सदस्यों के इस्तीफे, विश्वविद्यालयों में नियुक्ति के लिए विभाग को मानक तय किए जाने संबंधी रोस्टर पर सरकार पर हमला करने की रणनीति बनाई है।
सत्र में खासतौर पर एक फरवरी को पेश होने वाले बजट पर सरकार और विपक्ष के बीच तलवारें खींची है। सरकार जहां चुनाव पूर्व अंतिम बजट में महज अनुदान मांगे स्वीकृत कराने के बदले ताबड़तोड़ अहम घोषणाओं की तैयारी में जुटी है। वहीं विपक्ष सरकार को पुरानी परंपराओं का हवाला देते हुए महज अंतरिम बजट ही पेश करने की दुहाई दे रही है। सत्र में ठीक चुनाव से पहले अयोध्या मुद्दे से जुड़ी गैरविवादित भूमि को उसकेमालिकों को सौंपने केलिए सरकार द्वारा मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका पर भी सरकार और विपक्ष में तनातनी के आसार हैं। इसके अलावा सरकार के इस सत्र में पेश किए जाने वाले तीन तलाक, नागरिकता संशोधन बिल पर भी हंगाम तय है।
राफेल पर पलटवार की तैयारी
फ्रांस से हुए राफेल सौदे पर सरकार कैग रिपोर्ट केजरिए विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस पर दोहरा पलटवार की तैयारी में है। इस मुद्दे पर हमलावर कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट ने सौदे को क्लीन चिट दे कर पहला झटका दिया था। अब सरकार की योजना कैग रिपोर्ट संसद में पेश कर कांग्रेस को झटका देने की है। बताया जा रहा है कि कैग ने अपनी रिपोर्ट नियमानुसार मामले से जुड़े रक्षा मंत्रालय को भेजा है। अगर कैग रिपोर्ट में भी सरकार को क्लीन चिट दी गई तो कांग्रेस को इस मुद्दे पर दोहरा झटका लगेगा। गौतरलब है कि बुधवार को भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूर्व रक्षा मंत्री और गोवा के सीएम मनोहर परिकर से मुलाकात के बाद उनके हवाले से दावा किया कि सौदे में किए गए बदलाव की उन्हें जानकारी नहीं दी गई। हालांकि परिकर ने इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष पर झूठ बोलने का आरोप लगाया।
अंतरिम बजट बनाम पूर्ण बजट का बवाल
आम तौर पर आम चुनाव से ठीक पहले सरकारें अंतरिम बजट पेश कर नई सरकार के गठन तक जरूरी अनुदान मांगे स्वीकृत कराती रही हैं। इसमें भविष्य के लिए कोई भी घोषणा करने से सरकारें बचती रही हैं। यही कारण है कि इसे अंतरिम बजट कहा जाता है। मगर इस बार सरकार की योजना किसान, मध्यम वर्ग, व्यापारी सहित कई वर्गों के लिए कई अहम घोषणा करने की है। सरकार केसूत्रों का दावा है कि संविधान में कहीं भी अंतरिम बजट का कोई उल्लेख नहीं है। फिर जब नई सरकार को पुरानी सरकारों के फैसलों पर रोक का अधिकार है तो इस पर बिना वजह विवाद खड़ा किया जा रहा है। जबकि विपक्ष का कहना है कि सरकार पूर्ण बजट पेश करने की स्थिति में ही ऐसी घोषणा कर सकती है। यह संवैधानिक और परंपरा दोनों ही दृष्टि से अनुचित है।
विवि नियुक्ति केलिए नए रोस्टर पर बवाल
सत्र में विश्वविद्यालायों में नियुक्ति केलिए विभाग को ही मानक माने जाने संबंधी इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी के बाद इस विवाद की छाया सत्र पर पडनी तय है। विपक्ष ही नहीं सरकार के सहयोगी दलों लोजपा, अपना दल, आरपीआई ने सरकार से संविधान संशोधन के जरिए इस फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। इनका आरोप है कि इस फैसले के कारण नियुक्ति में आरक्षण के सिद्घांत का पालन नहीं होगा। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इस मामले में बीच का रास्ता निकालने के लिए लगातार माथापच्ची की है। पीएमओ ने संविधान संशोधन के विकल्प पर भी विचार किया है।
तीन तलाक-नागरिकता बिल पर भी हंगामा तय
तीन तलाक मामले में दो बार अध्यादेश जारी कर चुकी सरकार की योजना इससे जुड़े बिल के साथ ही नागरिकता संशोधन बिल को इस सत्र में फिर से पेश करने की है। ये दोनों बिल विपक्ष की आपत्तियों केकारण बीते सत्रों में कानूनी जामा पहनने के लिए जरूरी राज्यसभा की देहड़ी नहीं लांघ पाए। सरकार की योजना इन बिलों के जरिए अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं और बहुसंख्यक समाज को साधने की है।