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सोमवार, 28 जनवरी 2019

Shivsena-BJP साथ लड़ सकते हैं Lok Sabha चुनाव, सीट बंटवारे का होगा पुराना फॉर्मूला(Formula)

Shivsena-BJP साथ लड़ सकते हैं Lok Sabha चुनाव, सीट बंटवारे का होगा पुराना फॉर्मूला(Formula)


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अमित शाह, उद्धव ठाकरे
भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना से उसके संबंध सुधर रहे हैं। भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं का मानना है कि दो महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में दोनों दल फिर साथ आ सकते हैं। उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव भी लोकसभा के साथ कराए जाने के संकेत दिए। उन्होंने दावा किया कि दोनों दलों के बीच चुनावी गठबंधन को लेकर बातचीत भी शुरू हो गई है।


शिवसेना का भाजपा के साथ तीस साल पुराना गठबंधन है। देनों दल मुंबई नगर महापालिका के अलावा महाराष्ट्र और केंद्र दोनों सरकारों में साझीदार हैं। फिर भी शिवसेना पिछले एक वर्ष से विपक्ष की तरह बर्ताव कर रही है। न केवल उसने अगला चुनाव भाजपा से अलग लड़ने का एलान किया था, बल्कि हाल ही में उद्धव ठाकरे ने राहुल गांधी के नारे ‘चौकीदार चोर है’ को भी एक जनसभा में दोहराया था।

विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर हुआ था विवाद

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों में विवाद हो गया था। लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर भाजपा ने ज्यादा सीटें मांगी थी। शिवसेना का मानना था कि दोनों में दशकों से सहमति थी कि लोकसभा चुनाव में भाजपा ज्यादा सीटें लड़ेगी (42 में से 26) और विधानसभा में शिवसेना (288 में से 162) और उन्हें अपने समझौते पर कायम रहना चाहिए।

भाजपा का कहना था कि मोदी लहर के कारण शिवसेना को 22 में से 18 सीटें मिलीं, जबकि भाजपा को 26 में से 23 सीटें मिलीं। अत: विधानसभा में भी इसी आधार पर सीटों का बंटवारा होना चाहिए। तब समझौता नहीं हो पाया और दोनों दल अलग-अलग लड़े। चुनाव में भाजपा को 122 सीटें मिलीं और शिवसेना को 62। तभी 41 सीटों वाली राकांपा ने सरकार बनाने के लिए भाजपा को समर्थन का एलान कर दिया। शिवसेना को मजबूरन भाजपा के साथ सरकार बनानी पड़ी। शिवसेना यह ‘अपमान’ भुला नहीं पाई और प्रहार भी करती रही और सरकार में हिस्सेदारी भी।

क्या है समझौता
सूत्रों के अनुसार, दोनों दल लोकसभा चुनाव में भाजपा को 26 और शिवसेना को 22 सीटों के बंटवारे पर सहमत हैं। पिछली बार की तरह विधानसभा सीटों के बंटवारे पर असहमति है। शिवसेना की मांग है कि दोनों दलों को 144-144 सीटों पर लड़ना चाहिए। गठबंधन बचाने के लिए भाजपा ने संकेत दिए हैं कि वह इस फॉर्मूले पर सहमत हो सकती है। 


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