प्रधानमंत्री के राष्ट्रवाद से टकराएगा गठबंधन के नेता फौजी तेज बहादुर - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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मंगलवार, 30 अप्रैल 2019

प्रधानमंत्री के राष्ट्रवाद से टकराएगा गठबंधन के नेता फौजी तेज बहादुर

प्रधानमंत्री के राष्ट्रवाद से टकराएगा गठबंधन के नेता  फौजी तेज बहादुर


फौजी तेज बहादुर यादव (फाइल फोटो)
फौजी तेज बहादुर यादव (फाइल फोटो)
बनारस के विनोद कुमार दूबे मडुवाडीह में रहते हैं। उन्हें गठबंधन के प्रत्याशी तेज बहादुर भाने लगे हैं। कांग्रेसी मिजाज के दूबे का कहना है कि केन्द्र सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक और आपरेशन बालाकोट के बहाने सेना का राजनीतिकरण कर दिया। अब प्रधानमंत्री के खिलाफ एक सीमा पर तैनात रहा फौजी ही सवाल उठा रहा है। दूबे कहते हैं कि अब बनारस की जनता तय करेगी कि असली राष्ट्रवादी कौन है? दूबे के इस सवाल को भाजपा नेता सिंटू सिंह हवा में उड़ा देते हैं। सिंटू सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी बनारस से करीब पांच लाख वोटों से जीत रहे हैं। बनारस में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद हैं। स्वामी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर के कांसेप्ट से नाराज हैं। उनके चेले अभय शंकर का कहना है कि इस कॉरिडोर के कारण बाबा विश्वनाथ के आसपास की प्राचीनता नष्ट हो गई। यही प्राचीनता दुनिया के सबसे पुरानी धार्मिक नगरी की निशानी है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के समर्थक भी तेज बहादुर यादव के समर्थन में उतर रहे हैं। अभय शंकर का कहना है कि अब फौजी के मुकाबले में प्रधानमंत्री हैं। फौजी के सवालों का जवाब दें। छात्र नेता संजय सिंह को भी लग रहा है कि छटवें चरण का मतदान होते-होते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रवाद से तेजबहादुर यादव का फौजीवाद टकराने लगेगा।

बनारस के वकील विनोद सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री जब बनारस में नामांकन करने आए थे तो बनारस की सड़कों पर गुलाब की पंखुडिय़ों की परत चढ़ गई थी। भीड़ तो कई राज्यों के लोगों की लग रही थी। सबकुछ ठीक था, लेकिन दो दिन जिस तरह से, जिस अंदाज में प्रधानमंत्री टीवी पर दिखाई दिए, मीडिया में छाए रहे, वह मतदाताओं को भीतर-भीतर नाराज कर रहा है। लेकिन बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय की प्राध्यापिका मीनाक्षी सिंह को प्रधानमंत्री मोदी में देश का भविष्य दिखाई दे रहा है। मीनाक्षी सिंह इतिहास की प्रोफेसर हैं। उनका कहना है कि बनारस में युवाओं में मोदी जी का क्रेज है। लड़कियों और लड़कों में उत्साह है। हालांकि मीनाक्षी का मानना है कि 2014 के मुकाबले थोड़ा मोदी की छवि फीकी पड़ी है।

गोदौलिया चौराहे पर मुन्ना के पान की दुकान पर चुनावी चर्चा होती है। हरिश्चंद्र कालेज के गेट के पास चाय-पान की दुकान पर चर्चा आम है। इसी तरह की स्थिति बीएचयू गेट से आगे बढऩे पर संकट मोचन मोड़ पर और अस्सी भदैनी के रास्ते की चाय की दुकानों पर होती है। इन चर्चाओं में प्रधानमंत्री पर चर्चा का कोई तोड़ नहीं है, लेकिन बनारसी अंदाज में प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार पर सवाल भी उठ रहे हैं।

अजय राय जमानत बचा लें बस

कांग्रेस के प्रत्याशी अजय राय के बारे में बनारसियों की राय पुरानी है। उनका कहना है कि सवा से डेढ़ लाख वोट बनारस में भूमिहारों का है, लेकिन अजय राय जमानत बचा लें तो बड़ी बात। हालांकि लोगों को उम्मीद है कि प्रियंका गांधी वाड्रा आखिरी चरण में बनारस आएंगी। प्रियंका के आने पर राजनीति का पारा चरम पर रहेगा, लेकिन इसका फायदा अजय राय को मिलने की उम्मीदें कम है। बनारस के लोगों को एक आशंका और है। उन्हें लग रहा है कि आखिरी समय में कांग्रेस भी गठबंधन के प्रत्याशी तेजबहादुर यादव को समर्थन देने का निर्णय ले सकती है। ऐसा हुआ तो लड़ाई थोड़ा दिखने लगेगी।

प्रियंका बटोर रही है तारीफ

बनारस में राजनीतिक चर्चा में कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी करीब-करीब हर जगह तारीफ बटोर ले रही है। राहुल गांधी को लेकर सवाल हैं और मायावती को समझौता वादी नेता करार दे दिया जा रहा है। बनारस में कचहरी के आस-पास की चाय की दुकान, नदेसर और कैंट पर शंकर प्रताप ने दिनभर लोगों की राय जानने के लिए प्रयास किया। शंकर प्रताप का सवाल था कि बनारस से प्रियंका गांधी क्यों प्रत्याशी नहीं बन सकी। बतौर शंकर प्रताप दर्जन भर जगहों पर बहुसंख्या में लोगों ने इसका दोष बसपा प्रमुख मायावती पर मढ़ दिया। लोगों का कहना है कि मायावती ने दबाव में या अपनी अकड़ में प्रियंका को उम्मीदवार नहीं बनने दिया। सपा के अखिलेश के पास मायावती की इस ना को रोक पाने की ताकत नहीं थी।

लड़ाई तगड़ी हो जाती

चंदौली के अखिलेश दूबे लोहटिया बाजार में रहते हैं। दूबे बनारस में राजनीति में बड़ी दिलचस्पी लेते हैं। डा. मुरली मनोहर जोशी जब बनारस के लोकसभा उम्मीदवार थे तो होटल के मालिक अजय सिंह और अखिलेश दूबे ने कड़ी मेहनत की थी। अखिलेश का मानना है कि यदि प्रियंका गांधी बनारस में कांग्रेस की उम्मीदवार होती तो लड़ाई तगड़ी हो जाती। बनारस के सांसद राजेश मिश्रा के पूर्व सहयोगी दयालू हैं। दयालू राजेश मिश्रा का दाहिना हाथ माने जाते थे। अब वह भाजपा में हैं। दयालू के दाहिने हाथ का कहना है कि प्रियंका गांधी के मैदान में उतरने के बाद जरूर लड़ाई तगड़ी हो जाती। लेकिन जीतते मोदी ही। बस हार-जीत का अंतर थोड़ा कम हो जाता। दयालू के करीबी के इस आंकलन बनारस की राजनीति में दिलचस्पी लेने वाले तमाम भाजपा के खेमे के नेता सहमत हैं। लेकिन सभी का मानना है कि प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी के मुकाबले कोई नहीं है।

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