Lok Sabha चुनावः सिद्धू Modi के मुरीद थे, PM Modi भी कर चुके हैं उनके लिए - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

.

अन्य विधानसभा क्षेत्र

बेहट नकुड़ सहारनपुर नगर सहारनपुर देवबंद रामपुर मनिहारन गंगोह कैराना थानाभवन शामली बुढ़ाना चरथावल पुरकाजी मुजफ्फरनगर खतौली मीरापुर नजीबाबाद नगीना बढ़ापुर धामपुर नहटौर बिजनौर चांदपुर नूरपुर कांठ ठाकुरद्वारा मुरादाबाद ग्रामीण कुंदरकी मुरादाबाद नगर बिलारी चंदौसी असमोली संभल स्वार चमरौआ बिलासपुर रामपुर मिलक धनौरा नौगावां सादात

शनिवार, 20 अप्रैल 2019

Lok Sabha चुनावः सिद्धू Modi के मुरीद थे, PM Modi भी कर चुके हैं उनके लिए

Lok Sabha चुनावः सिद्धू Modi के मुरीद थे, PM Modi भी कर चुके हैं उनके लिए रैली, जानिए क्यों आईं दूरियां


नवजोत सिद्धू, नरेंद्र मोदी
नवजोत सिद्धू, नरेंद्र मोदी 
नवजोत सिद्धू कभी नरेंद्र मोदी के मुरीद हुआ करते थे। मोदी भी उनके लिए रैली कर चुके थे, उसके बावजूद दोनों के बीच दूरियां आ गई। नवजोत सिद्धू ने 2013 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रचार करने के लिए बिग बॉस-6 को बीच में छोड़ दिया था। तब सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत सिद्धू ने कहा था कि नरेंद्र मोदी का फोन आया है, चुनाव प्रचार में उनकी जरूरत है। इसलिए वह बिग बॉस में जाकर सिद्धू को बहार निकालने के लिए आग्रह करेंगी। बिग बॉस ने भी सिद्धू के इस आग्रह को स्वीकार कर लिया था। 2004 में भाजपा में शामिल होने के बाद सिद्धू ने वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए प्रचार किया था। यही नहीं 2009 के लोकसभा चुनाव में जब सिद्धू का मुकाबला विधायक ओम प्रकाश सोनी के साथ था, तब नरेंद्र मोदी ने गुरु नगरी में एक चुनावी रैली कर सिद्धू के लिए वोट मांगें थे। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले राज्यसभा से भाजपा सांसद के पद से सिद्धू ने इस्तीफा दे दिया। उसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए।

तब से अब तक सिद्धू दंपती पीएम बने नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनावी रैलियों में जिस भाषा का प्रयोग कर रहें है, उसके पीछे बड़ा कारण है अकाली दल और भाजपा के संबंध। सिद्धू ने मोदी पर अकाली दल से भाजपा के संबंधों को तोड़ने का दबाव डाला था, जिसे उन्होंने नहीं माना। कभी सुखबीर बादल व बिक्रम मजीठिया के साथ एक ही गाड़ी में सिद्धू सफर करते देखे जाते थे। जब बिक्रम मजीठिया पर नशा तस्करी के आरोप लगे, तब सिद्धू को उम्मीद थी कि इन विरोधियों के विरुद्ध मोदी सरकार ठोस कदम उठाएगी, लेकिन सिद्धू को निराशा हाथ लगी।

सिद्धू अब मोदी को गोधरा कांड पर घेर रहें हैं

दूसरी तरफ मजीठिया और बादल परिवार ने सिद्धू को अलग-थलग करने के लिए कुछ स्थानीय भाजपा विधायकों व मंत्रियों को अपने साथ शामिल कर लिया। विधायक होने के बावजूद तत्कालीन सीएम बादल ने उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर के हलके में कोई भी विकास कार्य नहीं कराए। डॉ. सिद्धू ने अपनी ही सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल भी की। गुरु नगरी आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को डॉ. सिद्धू ने दस्तावेज सौंप कर बताया कि किस प्रकार अकाली भाजपा का आधार खत्म कर रहे हैं।

डॉ. सिद्धू की इस दलील का कोई प्रभाव भाजपा नेताओं पर नहीं पड़ा। भाजपा हाईकमान ने अकाली दल के साथ अपने सियासी संबंध बनाए रखे। जिस कारण सिद्धू दंपति में भाजपा के प्रति विरोध की चिंगारी सुलगती रही। भाजपा को अलविदा कहने के बाद सिद्धू अब मोदी को गोधरा कांड पर घेर रहें हैं। बता दें कि जब सिद्धू ने गुजरात विधानसभा के लिए पहला प्रचार किया था, तब गोधरा कांड हो चुका था।  

पहले थे गुजरात मॉडल के समर्थक, अब विरोधी
विकास के गुजरात मॉडल पर मोदी पर कटाक्ष करने वाले सिद्धू कभी इसी मॉडल के मुरीद थे। गुरु नगरी के विकास लिए उन्होंने पहले खुद नरेंद्र मोदी से गुजरात मॉडल समझा, फिर अधिकारियों की एक टीम भेजी। विकास के गुजरात मॉडल को चुनाव प्रचार का मुद्दा बनाने वाले सिद्धू ने अमृतसर संसदीय हलके से चुनाव प्रचार के दौरान इसका जमकर इस्तेमाल किया था।

सिद्धू के प्रोजेक्टों पर बादल परिवार ने कोई ध्यान नहीं दिया

अकाली-भाजपा की सरकार के बावजूद तत्कालीन सीएम प्रकाश सिंह बादल सिद्धू के प्रोजेक्टों पर काम नहीं कर रहे थे। सिद्धू के भीतर असंतोष पैदा हुआ। इसी ने सिद्धू व बिक्रम सिंह मजीठिया के बीच राजनीतिक टकराव की नींव रखी। इस टकराव को रोकने के लिए सुखबीर बादल ने भूमिका निभाई।

2009 के लोकसभा चुनाव में सुखबीर बादल ने बिक्रम मजीठिया को सिद्धू के लिए चुनाव प्रमुख नियुक्त किया। उस समय मजीठिया अपनी बहन हरसिमरत बादल के चुनाव प्रचार में व्यस्त थे। बिक्रम मजीठिया ने अंतिम दिनों में सिद्धू का प्रचार किया। मजीठिया विधानसभा हलके से सिद्धू को बढ़त मिली और वह उस चुनाव में लगभग सात हजार वोटों से जीत हासिल कर सके।

सिद्धू ने तब अकाली दल की प्रशंसा के पुल बांधे थे। 2012 के नगर निगम चुनाव में दोनों के बीच टिकट के बंटवारे को लेकर इतना टकराव बढ़ गया कि अकाली दल व सिद्धू फिर कभी भी एक जुट न हो सके।

Loan calculator for Instant Online Loan, Home Loan, Personal Loan, Credit Card Loan, Education loan

Loan Calculator

Amount
Interest Rate
Tenure (in months)

Loan EMI

123

Total Interest Payable

1234

Total Amount

12345