मतुआ कुलमाता के परिवार में ही तय होगी जीत-हार: सत्ता संग्राम
mamta banerjee, amit shah
बंगाल के उत्तर 24-परगना जिले में बांग्लादेश से सटी बनगांव संसदीय सीट की लड़ाई काफी दिलचस्प हो गई है। परिसीमन के बाद वर्ष 2009 में वजूद में आई इस सीट पर शुरू से ही तृणमूल कांग्रेस का कब्जा रहा है। यहां मतुआ समुदाय के वोट निर्णायक हैं। मतुआ समुदाय की कुलमाता कही जाने वाली वीणापाणि देवी का आदेश यहां पत्थर की लकीर साबित होता था। लेकिन बीते दिनों उनकी मौत के बाद अब पारिवारिक मतभेद सतह पर आ गए हैं और मतुआ वोटों के विभाजन का खतरा पैदा हो गया है। वीणापाणि देवी के परिवार के ही दो लोग तृणमूल कांग्रेस व भाजपा के टिकट पर यहां तलवारें भांज रहे हैं। मतुआ समुदाय मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) का रहने वाला है। ये लोग विभाजन के बाद वहां धार्मिक शोषण से तंग आकर 1950 की शुरुआत में यहां आए थे। राज्य में उनकी आबादी 70 लाख से ज्यादा है और नदिया, उत्तर और दक्षिण 24-परगना जिलों की कम से कम सात लोकसभा सीटों पर उनके वोट निर्णायक हैं। यही वजह है कि मोदी ने फरवरी की अपनी रैली के दौरान वीणापाणि देवी से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया था। यह समुदाय पहले लेफ्ट को समर्थन देता था और बाद में वह ममता बनर्जी के समर्थन में आ गया।
वर्ष 2009 में मतुआ समुदाय के समर्थन से टीएमसी ने यह सीट जीती थी। वर्ष 2014 में वीणापाणि देवी के पुत्र कपिल कृष्ण ठाकुर टीएमसी से जीते थे। उनके निधन के बाद 2015 में हुए उपचुनाव में वीणापाणि देवी की पुत्रवधू ममता बाला ठाकुर जीतीं। वे फिर मैदान में हैं। दूसरी ओर, भाजपा ने यहां वीणापाणि के छोटे पुत्र मंजुल कृष्ण ठाकुर के बेटे शांतनु ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है। इससे पारिवारिक लड़ाई सड़कों पर उतर आई है।