कांग्रेस में भी उठने लगी है 'मार्गदर्शक मंडल' बनाने की मांग ?

लोकसभा चुनाव में इतनी भारी शिकस्त मिलने का अंदेशा खुद कांग्रेस पार्टी को भी नहीं था। हार की क्या वजह रही, इस पर चर्चा करने के लिए शनिवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्लूसी) की बैठक हुई। इसमें एक बात साफ हो गई है कि भाजपा के मार्गदर्शक मंडल जैसी संस्था के गठन की मांग अब कांग्रेस पार्टी में भी उठने लगी है। सीडब्लूसी की बैठक में भाग लेने वाले एक नेता का दावा है कि इस बात पर पार्टी गंभीरता से विचार करेगी। पार्टी में सत्तर साल से ज्यादा आयु के नेताओं को अब विश्राम पर यानी मार्गदर्शक मंडल जैसी भूमिका में भेजा जा सकता है।
दूसरी ओर, राहुल गांधी के आसपास दिखने वाली मंडली के सदस्यों के कामकाज की भी गहन समीक्षा होगी। बैठक में भाग ले रही कांग्रेस पार्टी की दो पीढ़ियां 'यूथ और बुजुर्ग' के बीच कई बातों को लेकर मतभेद सामने आया। बता दें कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को उतनी सीटें भी नहीं मिलीं, जितना पार्टी ने अनुमान लगाया था। अपने आंतरिक सर्वे, बूथ रिपोर्ट और दूसरे माध्यमों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस को यह उम्मीद थी कि उसे 130 से ज्यादा सीटें मिल सकती हैं, लेकिन नतीजे इसके विपरित आए।
चुनावी रिजल्ट के विश्लेषण में तीन बातें निकल कर सामने आई हैं, जिसे पार्टी नहीं भांप सकी। इनमें साइलेंट वोटर, राष्ट्रवाद और 72 हजार रुपये वाली न्याय योजना, शामिल है। पार्टी को यह बताया गया कि भाजपा का वोटर तो बोल रहा है। वह चुप नहीं रह सकता। बाकी के वोटर जो साइलेंट हैं, उनके वोट गैर-भाजपा दलों को मिल रहे हैं। इसका बड़ा हिस्सा कांग्रेस के खाते में जा रहा है। इसके अलावा कांग्रेस ने चुनाव प्रचार में राफेल, नोटबंदी, जीएसटी और आरबीआई जैसे कई अहम मुद्दे उठाए। पार्टी को भरोसा था कि ये मुद्दे कांग्रेस के पक्ष में वोट के रूप में तबदील हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
उत्तरप्रदेश से संबंधित एक नेता ने बैठक में सवाल उठा दिया कि मुद्दों को भांपने या उनकी मारक क्षमता जांचने की जिम्मेदारी जिन नेताओं को दी गई थी, उनसे जवाब तलब किया जाए। करीब साढ़े तीन घंटे चली सीडब्लूसी की बैठक में पहली बार कांग्रेस की दो पीढ़ियों के बीच खिंचाव दिखाई पड़ा। सीडब्लूसी के दूसरे सदस्यों ने भी इस बाबत कोई मापदंड तैयार करने की बात कही।
दूसरी ओर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को यह शिकायत रही कि कांग्रेस अध्यक्ष के आसपास जो यूथ लॉबी चल रही है, वह पार्टी की विचारधारा को पीछे छोड़ती जा रही है।
इस चुनाव में ऐसे अनेकों उदाहरण हैं, जिनमें पार्टी ने अपनी मूल विचारधारा से हटकर काम किया और उसका खामियाजा अब चुनाव परिणाम में भुगतना पड़ रहा है। वरिष्ठ नेताओं की राय थी कि कांग्रेस को हिंदूत्व की ओर जाना चाहिए।
कांग्रेस पार्टी के ये नेता हैं, जिनके लिए मार्गदर्शक मंडल बनाने की मांग उठी कांग्रेस पार्टी में डॉ. मनमोहन सिंह, एके एंटनी, शीला दीक्षित, अंबिका सोनी, गुलाम नबी आजाद, मीरा कुमार, सीतारमैया, हरीश रावत, वीरभद्र सिंह, सुखराम, मोतीलाल वोरा और पी चिदंबरम सहित कई अन्य ऐसे चेहरे हैं, जो मार्गदर्शक मंडल में जाने की योग्यताएं पूरी कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक शहजाद पूनावाला कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी को यह समझना होगा कि न्यू इंडिया अब परिवारों की राजनीति को पसंद नहीं करता। पार्टी में आज प्रतिभावान चेहरे पीछे हैं, जबकि चापलूस आगे की पंक्ति में चल रहे हैं। ये लोग आज कांग्रेस में शेयर होल्डर और डीलर की तरह काम कर रहे हैं।
पूनावाला ने सीडब्लूसी बैठक को गांधी परिवार के हितों को संरक्षित करने का एक स्थान बताया है। इनका कहना है कि कांग्रेस पार्टी को रणनीति तय करने और विचारधारा को वक्त के मुताबिक बदलने के लिए पार्टी के वरिष्ठ जो 70 साल से ऊपर की आयु में पहुंच चुके हैं, उन्हें अब विश्राम देना होगा। सीडब्लूसी बैठक में जो प्रस्ताव पास हुए हैं, उनमें राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष के तौर पर अधिकृत किया गया है कि वे पार्टी को नए सिरे से खड़ा करें। इसके मद्देनजर अगले माह पार्टी में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है।