राजधानी दिल्ली की इकलौती आरक्षित सीट उत्तर पश्चिम दिल्ली में अबकी बार चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प है। एक ओर यहां भाजपा, आप और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय टक्कर है। इस क्षेत्र में बाहरी बनाम लोकल फैक्टर भी जनता की जुबान पर है। उम्मीदवारों को टिकट न देने को लेकर भी ये सीट पिछले दिनों पूरे देश की सुर्खियों में भी रही है। भाजपा ने जहां वर्तमान सांसद डॉ. उदित राज पर भरोसा नहीं जताया है तो कांग्रेस ने भी राजकुमार चौहान को किनारे कर दिया है। इससे नाराज डॉ. उदित राज और चौहान के समर्थकों ने काफी हंगामा भी किया था। उदित राज तो कांग्रेस में जा पहुंचे। साल 2014 का चुनाव कांग्रेस के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था। तो भाजपा दोहरी जीत का दावा कर रही है। अब तक इस सीट से दो सांसद ही चुने गए हैं एक कांग्रेस और दूसरा भाजपा, इस पर आप का दावा है कि तीसरा आम आदमी होगा। दिल्ली में सबसे ज्यादा मतदाताओं वाली सीट होने के कारण यहां सभी पार्टियों ने जीत के लिए पूरा जोर लगा दिया है। सेलिब्रिटी हंसराज हंस को भाजपा चुनाव में लाई है तो कांग्रेस ने राजेश लिलौटिया को मैदान में उतारा है। कांग्रेस और भाजपा के बीच इस टक्कर को कड़ा बनाने के लिए आम आदमी पार्टी ने भाजपा के ही पूर्व विधायक गुग्गन सिंह को टिकट देकर चुनाव लडने का मौका दिया है।
स्थानीय नेता होने के कारण गुग्गन सिंह अपने समर्थकों की मौजूदा संख्या में वृद्घि करने में जुटे हैं तो हंसराज हंस मोदी नाम पर सूफी भजनों के साथ वोट मांगा। इतना ही नहीं राजेश लिलौटिया के लिए जनसमर्थन के अलावा पार्टी की भीतरी कलह से निपटना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। स्थानीय नेता राजकुमार चौहान का नाम काटकर कांग्रेस ने राजेश लिलौटिया को चुनाव लडने का मौका दिया है। इसे लेकर चौहान के समर्थक पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के घर के बाहर प्रदर्शन कर चुके हैं। जानकारों की मानें तो उत्तर पश्चिम क्षेत्र में कांग्रेस के नेताओं के बीच भी गुटबंदी चल रही है। दो दिन पहले रोहिणी सेक्टर 20-21 में एक जनसभा में तीन घंटे देरी से पहुंचने के कारण भी कुछ विवाद सियासी गलियारों में चर्चा में रहा।
दिल्ली से सटे हरियाणा और यूपी बॉर्डर तक को कवर करने वाली इस लोकसभा सीट में अबकी बार चुनावी मुद्दे भी कुछ और ही नजर आ रहे हैं। दावों और नारों के शोर में स्थानीय मुद्दे यहां कम ही सुनाई पड़ रहे हैं। भाजपा जहां राष्ट्रवाद और सुशासन के नाम पर समर्थन जुटा रही है तो वहीं कांग्रेस ने किसानों की आत्महत्या, नोटबंदी और जीएसटी की मार को मुद्दा बनाया है। इनके बीच आप पार्टी के गुग्गन सिंह ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के अलावा बाहरी गांवों को दिल्ली की मुख्य धारा से जोडने का मुद्दा भी उठाया है। यहां की क्षेत्रीय समस्याओं पर गौर करें तो साफ पानी के अलावा परिवहन सबसे बड़ा मुद्दा है। मेट्रो से लेकर डीटीसी बस सेवाएं अभी भी कई इलाकों से अछूती हैं। फिलहाल दिल्ली में दलित और ओबीसी वर्ग की पहचान वाली इस सीट पर कब्जा करना सभी पार्टियों का सपना है।
एक-दूसरे के गढ़ पर भी बोल रहे धावा
उत्तर पश्चिम सीट के कुछ इलाके ऐसे हैं जो कांग्रेस के गढ़ माने जाते हैं। इनमें किराड़ी, मंगोलपुरी, सुल्तानपुरी के अलावा जाट बहुल गांव शामिल है। आप पार्टी के प्रत्याशी गुग्गन सिंह ने कांग्रेस के इसी गढ़ पर धावा बोल दिया है। वे लगातार इन इलाकों में सभाएं और स्थानीय मुद्दों पर दावे कर रहे हैं। 24 घंटे कभी भी मदद के लिए तैयार रहने का दावा भी जनता के बीच चर्चाओं में है।
स्थानीय नेता होने के कारण गुग्गन सिंह अपने समर्थकों की मौजूदा संख्या में वृद्घि करने में जुटे हैं तो हंसराज हंस मोदी नाम पर सूफी भजनों के साथ वोट मांगा। इतना ही नहीं राजेश लिलौटिया के लिए जनसमर्थन के अलावा पार्टी की भीतरी कलह से निपटना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। स्थानीय नेता राजकुमार चौहान का नाम काटकर कांग्रेस ने राजेश लिलौटिया को चुनाव लडने का मौका दिया है। इसे लेकर चौहान के समर्थक पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के घर के बाहर प्रदर्शन कर चुके हैं। जानकारों की मानें तो उत्तर पश्चिम क्षेत्र में कांग्रेस के नेताओं के बीच भी गुटबंदी चल रही है। दो दिन पहले रोहिणी सेक्टर 20-21 में एक जनसभा में तीन घंटे देरी से पहुंचने के कारण भी कुछ विवाद सियासी गलियारों में चर्चा में रहा।
दिल्ली से सटे हरियाणा और यूपी बॉर्डर तक को कवर करने वाली इस लोकसभा सीट में अबकी बार चुनावी मुद्दे भी कुछ और ही नजर आ रहे हैं। दावों और नारों के शोर में स्थानीय मुद्दे यहां कम ही सुनाई पड़ रहे हैं। भाजपा जहां राष्ट्रवाद और सुशासन के नाम पर समर्थन जुटा रही है तो वहीं कांग्रेस ने किसानों की आत्महत्या, नोटबंदी और जीएसटी की मार को मुद्दा बनाया है। इनके बीच आप पार्टी के गुग्गन सिंह ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के अलावा बाहरी गांवों को दिल्ली की मुख्य धारा से जोडने का मुद्दा भी उठाया है। यहां की क्षेत्रीय समस्याओं पर गौर करें तो साफ पानी के अलावा परिवहन सबसे बड़ा मुद्दा है। मेट्रो से लेकर डीटीसी बस सेवाएं अभी भी कई इलाकों से अछूती हैं। फिलहाल दिल्ली में दलित और ओबीसी वर्ग की पहचान वाली इस सीट पर कब्जा करना सभी पार्टियों का सपना है।
एक-दूसरे के गढ़ पर भी बोल रहे धावा
उत्तर पश्चिम सीट के कुछ इलाके ऐसे हैं जो कांग्रेस के गढ़ माने जाते हैं। इनमें किराड़ी, मंगोलपुरी, सुल्तानपुरी के अलावा जाट बहुल गांव शामिल है। आप पार्टी के प्रत्याशी गुग्गन सिंह ने कांग्रेस के इसी गढ़ पर धावा बोल दिया है। वे लगातार इन इलाकों में सभाएं और स्थानीय मुद्दों पर दावे कर रहे हैं। 24 घंटे कभी भी मदद के लिए तैयार रहने का दावा भी जनता के बीच चर्चाओं में है।
कोई सांसद तो कोई आप से नाराज, कांग्रेस पर भरोसा भी कम
लोगों के चुनावी मिजाज को जानने के लिए जब हम बवाना, नांगलोई जाट, रोहिणी और रिठाला विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचे तो ज्यादात्तर लोग अलग अलग गुट में बंटे नजर आ रहे हैं। कोई वर्तमान सांसद से नाखुश है तो कोई आप से। किसी को तो कांग्रेस पर भरोसा ही नहीं रहा। रोहिणी सेक्टर 21 निवासी पंकज वत्स का कहना है कि अब तक कांग्रेस और भाजपा के ही दो सांसद इस सीट को मिले हैं, दोनों का कार्यकाल लगभग एक जैसा ही रहा है। वहीं बवाना में चौधरी देवप्रकाश हुक्का पीते हुए कहते हैं कि स्थानीय नेता ही हमेशा काम आता है। गाने-बजाने वाले और करोड़पति नेता जनता के लिए नहीं होते। मुबारकपुर डबास में पहुंचने पर पता चला कि लोगों में वर्तमान सांसद के लिए खासा नाराजगी देखने को मिली। यहां के आनंद डबास कहते हैं कि विकास के नाम पर अब तक सिर्फ जातिवाद ही देखने को मिला है। इस सीट पर हमेशा नेता दलितों की बातें करते रहते हैं। वहीं इसी गांव के महेश डबास की मानें तो अब कांग्रेस पहले जैसी नही रही, नए चेहरों पर भरोसा किया जा सकता है। इन सभी इलाकों में एक बात समान थी कि लोग चुनाव में स्थानीय मुद्दे पिछडने से नाराज हैं।
दिल्ली की उत्तर पश्चिम सीट का अहम परिचय
इस सीट के राजनैतिक परिदृश्य पर नजर डालें तो 10 विधानसभाएं इस लोकसभा क्षेत्र में आती हैं, जिनमें से केवल एक ही विधायक भाजपा के हैं। बाकी सभी विधानसभा पर आप पार्टी का कब्जा है। दिल्ली नगर निगम के 47 वार्ड भी इसी लोकसभा सीट का हिस्सा हैं। साल 2008 में अस्तित्व में आई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट पर पहली बार आम चुनाव साल 2009 में हुआ। जिसमें कांग्रेस की कृष्णा तीरथ को जनता का भारी समर्थन मिला। कृष्णा तीरथ ने भाजपा की मीरा कांवरिया को करीब 1 लाख 91 हजार 456 वोट के अंतर से मात दी थी। साल 2014 के आम चुनाव में मोदी लहर का सामना करने के लिए कांग्रेस ने कृष्णा तीरथ को ही मैदान में उतारा था, लेकिन पहली बार चुनावी रण में उतरी आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का सियासी गणित ही बिगाड़ कर रख दिया। भाजपा के डॉ. उदित राज ने 46.45 फीसदी जनसमर्थन हासिल कर जीत हासिल की थी। वहीं नंबर पर दो पर आप प्रत्याशी राखी बिड़लान 38.57 फीसदी वोट के साथ रहीं। डॉ. उदित राज ने 1 लाख 6 हजार 802 वोट से राखी बिड़लान को हराया था। इस पूरे चुनाव में नुकसान सबसे ज्यादा कांग्रेस का हुआ। लाखों लोगों का समर्थन पाने वाली कृष्णा तीरथ को महज 11 फीसदी वोट ही मिल पाए थे।
वर्तमान मतदाताओं की स्थिति
23,77,604 कुल वोटर
13,04,555 पुरुष वोटर
10,72,891 महिला वोटर
158 थर्डजेंडर वोटर
2014 में ये थी स्थिति
2014 में कुल वोट पड़े 13,56,404
भाजपा के उदित राज को मिले थे 6,29,860 (46.45 फीसदी)
आप की राखी बिड़लान को मिले थे 5,23,058 (38.57 फीसदी)
कांग्रेस की कृष्णा तीरथ को मिले थे 1,57,468 (11.61 फीसदी)
2009 में ये थी स्थिति
2009 में कुल वोट पड़े 8,57,543
कांग्रेस की कृष्णा तीरथ को मिले थे 4,87,404 (56.84 फीसदी)
भाजपा की मीरा कांवरिया को मिले थे 3,02,971 (35.33 फीसदी)
बसपा के राकेश हंस को मिले थे 44,615 (5.20 फीसदी)
वर्तमान मतदाताओं की स्थिति
23,77,604 कुल वोटर
13,04,555 पुरुष वोटर
10,72,891 महिला वोटर
158 थर्डजेंडर वोटर
2014 में ये थी स्थिति
2014 में कुल वोट पड़े 13,56,404
भाजपा के उदित राज को मिले थे 6,29,860 (46.45 फीसदी)
आप की राखी बिड़लान को मिले थे 5,23,058 (38.57 फीसदी)
कांग्रेस की कृष्णा तीरथ को मिले थे 1,57,468 (11.61 फीसदी)
2009 में ये थी स्थिति
2009 में कुल वोट पड़े 8,57,543
कांग्रेस की कृष्णा तीरथ को मिले थे 4,87,404 (56.84 फीसदी)
भाजपा की मीरा कांवरिया को मिले थे 3,02,971 (35.33 फीसदी)
बसपा के राकेश हंस को मिले थे 44,615 (5.20 फीसदी)
उत्तर पश्चिम लोकसभा में ये हैं विधानसभा
उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र में नरेला, बादली, रिठाला, बवाना, मुंडका, किराड़ी, सुल्तान पुर माजरा, नांगलोई जाट, मंगोलपुरी और रोहिणी। इनमें से रोहिणी विधानसभा सीट ही एकमात्र भाजपा के पास है। यहां के विधायक विजेंद्र गुप्ता दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में है। और इनदिनों यही चेहरा हंसराज हंस के साथ हर सभा में दिखाई भी दे रहा है।
जातीय समीकरण
21 फीसदी दलित, 20 फीसदी ओबीसी, 16 फीसदी जाट, 12 फीसदी ब्राह्मण, 10 फीसदी वैश्य और 8 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं का फैक्टर उम्मीदवारों की हार-जीत में अहम भूमिका निभाता है।
जातीय समीकरण
21 फीसदी दलित, 20 फीसदी ओबीसी, 16 फीसदी जाट, 12 फीसदी ब्राह्मण, 10 फीसदी वैश्य और 8 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं का फैक्टर उम्मीदवारों की हार-जीत में अहम भूमिका निभाता है।