केंद्र सरकार ने Supreme Court में दायर किया नया मुकदमा : Rafale सौदा - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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शनिवार, 4 मई 2019

केंद्र सरकार ने Supreme Court में दायर किया नया मुकदमा : Rafale सौदा

Rafale सौदा: केंद्र सरकार ने Supreme Court में दायर किया नया हलफनामा


राफेल लड़ाकू विमान (फाइल फोटो)
राफेल लड़ाकू विमान (फाइल फोटो)
केंद्र सराकर ने उच्चतम न्यायालय में राफेल की पुनर्विचार याचिका पर ताजा हलफनामा दायर किया है। 14 दिसंबर को, 2018 को दिए अपने आदेश में अदालत ने 36 लड़ाकू विमानों की खरीद को सही पाते हुए बरकरार रखा था। अदालत ने कहा था कि मीडिया रिपोर्ट और फाइलों की आतंरिक नोटिंग के हिस्से को जानबूझकर सिलेक्टिव तरीके से पेश करना समीक्षा का आधार नहीं बन सकता है।  

इससे पहले 29 अप्रैल को केंद्र सरकार ने ताजा हलफनामा दायर करने के लिए अदालत से समय मांगा था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष केंद्र सरकार के वकील ने इस मामले का उल्लेख करते हुए संबंधित पक्षकारों में पत्र वितरित करने की अनुमति मांगी थी। 

पीठ ने केंद्र को पुनर्विचार याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं सहित सभी पक्षकारों में इसे वितरित करने की अनुमति प्रदान कर दी। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण के अलावा एक अन्य अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने राफेल सौदे के बारे में शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार याचिकायें दायर की हुई हैं।

अदालत ने इस फैसले में फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे को चुनौती देने वाली सारी याचिकाएं खारिज कर दी थीं। शीर्ष अदालत ने 10 अप्रैल को इस सौदे से संबंधित लीक हुए कुछ दस्तावेजों पर आधारित करने वाली अर्जियां स्वीकार कर लीं पुनर्विचार याचिका पर केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों को अस्वीकार कर दिया जिससे केंद्र को झटका लगा। केंद्र ने इन दस्तावेजों पर विशेषाधिकार का दावा किया था।

केंद्र का तर्क था कि ये तीन दस्तावेज अनधिकृत तरीके से रक्षा मंत्रालय से निकाले गए हैं और याचिकाकर्ताओं ने 14 दिसंबर, 2018 के शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ अपनी पुनर्विचार याचिकाओं के समर्थन में इनका इस्तेमाल किया है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि ये दस्तावेज ‘सार्वजनिक’ हैं और एक प्रमुख समाचार पत्र द्वारा इनका प्रकाशन संविधान में प्रदत्त बोलने की आजादी के सांविधानिक अधिकार के अनुरूप है। 



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