काशी के ‘रुद्राक्ष’ की जी-20 सम्मेलन में गूंज, जापान सरकार खर्च कर रही 140 करोड़ रुपये
शिंजो आबे और पीएम मोदी। - फोटो : bharat rajneeti
काशी में बन रहे रुद्राक्ष की गूंज जापान में भी सुनाई दी। जापान के ओसाका में आयोजित जी-20 सम्मेलन में गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी और जापान के पीएम शिंजो आबे के बीच बनारस में बन रहे कन्वेंशन सेंटर पर संक्षित चर्चा हुई। नगर निगम प्रेक्षागृह के स्थान पर रुद्राक्ष के नाम से कन्वेंशन सेंटर बनाया जा रहा है। इसकी डिजाइन भी रुद्राक्ष के आधार पर बनाई गई है।
दो मंजिला भवन का ऊपरी हिस्सा शिवलिंग और अरघे के रूप में दिखेगा। जापान सरकार इस पर 140 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। सेंटर का डिजाइन जायका (जापान इंटरनेशन कोऑपरेशन एजेंसी) की इंटीरियर डिजाइनर यूको सासा के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम ने तैयार किया है। बड़ोदरा में डिजाइन का प्रजेंटेशन जापानी पीएम शिंजो आबे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने हुआ था।
गुरुवार को जी-20 सम्मेलन के दौरान दोनों देश के प्रधानमंत्रियों ने रुद्राक्ष पर संक्षिप्त चर्चा की। इस वैश्विक आयोजन में कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर बडे़ देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच मंथन होना है। जापान के पीएम शिंजो अबे के वाराणसी दौरे के एक दिन पूर्व 12 दिसंबर 2015 को रुद्राक्ष की रुपरेखा तय हो गई थी।
उस समय नगर निगम की ओर से तत्कालीन मेयर राम गोपाल मोहले और जापानी दल की ओर से डीपीआर तय होने के बाद इसका निर्माण शुरू कर दिया गया। नगर निगम परिसर में बन रहे इस कन्वेंशन सेंटर का टेंडर जापान की फ्यूजिता कंपनी को दिया गया है। जापान में ही केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की सहमति से वाराणसी में इस कंपनी को काम का जिम्मा सौंप दिया गया था।
काशी की परंपराएं होंगी जीवंत
कन्वेंशन सेंटर रुद्राक्ष में काशी की परंपराओं को भी सहेजा जाएगा। इसमें काशी की परंपरागत धरोहर, कला संस्कृति को एक नए स्वरूप में प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम भी आयोजित हो सकेंगे। रुद्राक्ष का काम पूरा होने के बाद इसका प्रबंधन व रखरखाव का जिम्मा नगर निगम ही उठाएगा।
ये सुविधाएं मिलेंगी :
दो मंजिला भवन 1200 लोगों की क्षमता वाला होगा। चारों ओर गैलरी बनायी जाएगी। बीच में सभागार में होगा। जिसमें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आदि कार्यक्रम हो सकेंगे। अलग से म्यूजिक कन्सर्ट बनाया जाएगा। जिसकी खासियत होगी कि किसी भी थियेटर, ड्रामा, म्यूजिक प्रोग्राम के लिए बाहर से म्यूजिक सिस्टम नहीं लाना पड़ेगा। गैलरी को खासतौर पर आर्ट व एग्जिबिशन के लिए बनाया गया है। वहीं सभागार को जरूरत के हिसाब से दो से ज्यादा हिस्सों में बांटा जा सकता है।