एनडीए-2 की लय बनाता बजट : सरकार के लिए डिजिटलीकरण प्राथमिकता
बजट 2019, निर्मला सीतारमण - फोटो : bharat rajneeti
आम आदमी के जीवन की गुणवत्ता को ऊंचा उठाने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए 2019 के बजट में ऐसे कार्यक्रमों की निरंतरता बनाए रखी गई है, जिनसे सभी भारतीयों की बुनियादी सुविधाओं तक 2022 तक पहुंच सुनिश्चित हो सके।
देश की पहली पूर्णकालिक वित्त मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का जो पहला बजट पेश किया है, उसमें जीवन-यापन की परिस्थितियों को बेहतर बनाने के लिए उल्लेखनीय खर्च के प्रावधान किए गए हैं। इसमें आवास, पानी, बिजली, स्वास्थ्य, गैस स्टोव, स्वच्छता आदि पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है। इसके साथ ही अगले पांच वर्षों के दौरान आधारभूत ढांचे को बेहतर बनाने के लिए सौ लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। एनडीए सरकार के शासन के मंत्र 'रिफॉर्म, परफॉर्म ऐंड ट्रांसफॉर्म इंडिया' (सुधार, प्रदर्शन और रूपांतरण) के मद्देनजर ये महत्वपूर्ण उद्यम हैं। इस बजट में उच्च शिक्षा पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है, जिस पर गौर किया जाना चाहिए। प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत की अग्रणी प्रतिभाओं को तराशने और उन्हें देश में रहकर ही सेवा करने के लिए प्रेरित करने का काम करेगी। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध और नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना बिलकुल समय के साथ की गई है। मुख्यतः पर्याप्त गुणवत्तायुक्त अनुसंधान उत्पादन की कमी के कारण पिछले वर्षों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में खास प्रगति नहीं हुई है। संस्थाओं में और अधिक स्वायत्तता लाने के लिए उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना से बेहतर अकादमिक नतीजे हासिल करने में मदद मिलेगी। निर्मला सीतारमण ने अपने पहले बजट में जो व्यापक सुधार प्रस्तुत किए हैं, उनमें सबसे अधिक ध्यान वित्तीय क्षेत्र की ओर केंद्रित किया गया है, जो कि महत्वपूर्ण है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंदी का जो परिदृष्य है, उसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 70,000 करोड़ रुपये की मजबूत पूंजी दी गई है। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) की जमा संपत्ति खरीदने के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान कुल एक लाख करोड़ रुपये की राशि के लिए सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 10 फीसदी तक के नुकसान पर एक बार छह महीने की आंशिक क्रेडिट गारंटी प्रदान करेगी। इससे पिछले वर्ष एनबीएफसी पर छाए संकट के कारण छोटे कारोबारों को कर्ज लेने में आ रही बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी।
विशाल कॉर्पोरट बांड मार्केट का निर्माण कम लागत वाली पूंजी तक पहुंच बढ़ाएगा जिससे निवेश आधारित विकास को गति मिलेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि एनबीएफसी को रिजर्व बैंक नियंत्रित करता है, इसके बावजूद इसका इस क्षेत्र पर सीमित अधिकार है। इसलिए एनबीएफसी को लेकर वित्त विधेयक में रिजर्व बैंक के नियामक प्राधिकार को मजबूत करने के लिए उचित प्रस्ताव रखे जा रहे हैं। एक साहसिक और प्रभावशाली कदम उठाते हुए वित्त मंत्री बाह्य बाजारों में बाहरी मुद्राओं से एक संप्रभु उधार कार्यक्रम शुरू करेंगी, जिससे बाजार में बहुत जरूरी तरलता आएगी और खपत बढ़ेगी।
विमानन, मीडिया और बीमा क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए आसान मानदंड और एफपीआई (फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट) के लिए केवाईसी प्रक्रिया को सरल बनाना विनिवेश के अवसरों और बाहरी पूंजी के प्रवाह को बढ़ाने के लिए बहुत आवश्यक था। व्यापारिक लेनदेन में रिकॉर्ड में दर्ज किए बिना किए जाने वाले नकद भुगतान पर अंकुश लगाने के प्रयास के साथ, एनडीए सरकार के लिए डिजिटलीकरण प्राथमिकता बना हुआ है।
हालांकि एक विरोधाभास यह भी है कि सरकार ने एक ओर तो कर भुगतान में बेईमानी करने वालों को हतोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया है, वहीं दो और पांच करोड़ रुपये की आय वाले ईमानदार करदाताओं पर क्रमशः दस फीसदी और पंद्रह फीसदी का सरचार्ज लगाकर एक तरह से उन्हें दंडित करने का काम भी किया है। एक महत्वपूर्ण क्षेत्र जिस पर बजट में और अधिक ध्यान केंद्रित किए जाने की जरूरत थी वह है गुणवत्ता युक्त रोजगार का सृजन।
रोजगार सृजन और देश के किसानों की आय बढ़ाना निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। हालांकि इसके साथ ही भारत के जनसांख्यिकी रुझान को समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जिसकी रूपरेखा दो दिन पहले आई आर्थिक समीक्षा में दी गई है। सुदृढ़ विकास दिखाने वाले क्षेत्रों में अच्छी गुणवत्ता, दीर्घकालिक नौकरियों का विकास किया जाएगा। फोकस भारत की बड़ी कंपनियों को बढ़ाने और नए जमाने के 'टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स' को प्रोत्साहित किए जाने पर होना चाहिए। एजेंल टैक्स एक उत्पीड़न ही था, वित्त मंत्री ने इसे एआईएफ (अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड) कैटेगरी एक और दो निवेशकों पर से इसे हटाने की प्रतिबद्धता जताई थी। हालांकि इस उत्पीड़न को हटाए जाने को स्टार्टअप्स के लाभ के तौर पर नहीं देखा जा सकता। स्टार्टअप के निवेश और वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। ऐसे उच्च जोखिम और कम तरलता वाले निवेशकों पर शेयर बाजार के निवेशकों की तरह का कर नहीं लगाया जा सकता, जो कि कम जोखिम और उच्च तरलता की स्थिति का लाभ उठाते हैं। ऐसे निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ को 20 फीसद से 10 फीसद तक नीचे लाने से स्टार्टअप्स के लिए एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को बढ़ावा मिलेगा और बेहतर भुगतान, दीर्घकालिक रोजगार पैदा होगा। इस उपाय की अनदेखी की गई है। सरकार 44 श्रम कानूनों से उत्पन्न जटिलताओं को दूर करने के लिए इन्हें चार व्यापक श्रम संहिता के रूप में समायोजित करने जा रही है। इससे व्यवसायों द्वारा अनुपालन लागतों को कम करने और श्रम की औपचारिकता में सुधार करने में मदद मिलेगी, जिससे वेतन में समरूपता आ सकेगी। यह बजट निर्मला सीतारमण द्वारा किया गया सराहनीय प्रयास है, जिसमें सभी सुधारों पर विचार किया गया है और उन्होंने उन सारे मुद्दों पर ध्यान दिया है, जिनका सामना आज भारत कर रहा है।