यूनिटेक का प्रबंधन दूसरे को देने की तैयारी में केंद्र सरकार, कंपनी की याचिका खारिज

खास बातें
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा कि अगर यूनिटेक का प्रबंधन किसी और को दिया जाता है तो अधूरे प्रोजेक्टों को कैसे पूरा किया जाएगा। साथ ही इन प्रोजेक्ट के पूरा होने में कितना वक्त लगेगा। पीठ ने सरकार को इस पर अपना प्रपोजल देने के लिए कहा है।
वहीं खरीदारों की ओर से पेश वकील एमएल लाहौटी ने पीठ से कहा कि एनबीसीसी अगर यूनिटेक का प्रबंधन अपने हाथ में लेकर अधूरे प्रोजेक्टों को पूरा करता है तो उन्हें कोई परेशानी नहीं है, बशर्ते केंद्र फंड मुहैया कराए।
ऐसी स्थिति में जब प्रोजेक्ट पूरा होगा तो अनसोल्ड प्रॉपर्टी को बेचकर फंड की वसूली की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार फंड मुहैया नहीं कराती है तो जैसे आम्रपाली मामले में हुआ है, वैसा ही कुछ इस मामले में भी हो सकता है।
सुनवाई के दौरान यूनिटेक की ओर से पेश वकील ने कहा कि प्रोजेक्ट का काफी काम पूरा हो चुका है। करीब 550 फ्लैट तैयार हो गए हैं लेकिन लाहौटी ने फोटोग्राफ दिखाकर कहा कि अभी भी काफी काम बचा हुआ है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एमाइक्स क्यूरी से कहा कि यूनिटेक की ओर से जो रकम सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा है, उसमें से 60 वर्ष से अधिक उम्र के खरीदारों के रिफंड के बारे में विचार करें। मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी।