इसरो चेयरमैन बोले: छह दिन बाद चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 के 20 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने और सात सितंबर को इसके चंद्र सतह पर उतरने की उम्मीद है। चंद्रयान 2 ने इस दौरान स्पेसक्राफ्ट का लिक्विड इंजन 1,203 सेकंड के लिए फायर किया, जिससे 22 दिन तक धरती की कक्षा में चक्कर काटने के बाद अपनी लॉन्चिंग के 23वें दिन यह चांद की ओर निकल पड़ा।
चांद के नजदीक पहुंचने पर चंद्रयान 2 की प्रणाली प्रॉपल्शन सिस्टम एक बार फिर फायर होगा, इससे उसकी गति कुछ धीमी पड़ जाएगी। इसके माध्यम से यह चांद की प्रारंभिक कक्षा में ही रुक जाएगा। इसके बाद चांद की सतह से करीब 100 किमी की ऊंचाई पर चंद्रयान 2 चक्कर काटेगा। इसी प्रॉपल्शन सिस्टम के जरिए धीरे—धीरे यान की कक्षा को कम किया जाएगा। इसके बाद लैंडर विक्रम ऑर्बिटर से अलग होगा और चांद की कक्षा में दाखिल हो जाएगा। लैंडर के 6 सितंबर को 30 किमी की दूरी पर पहुंचने के साथ ही चांद की सतह पर उतरने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी।
इसरो अब तक ‘चंद्रयान-2’ को पृथ्वी की कक्षा में ऊपर उठाने के पांच प्रक्रिया चरणों को अंजाम दे चुका है। पांचवें प्रक्रिया चरण को छह अगस्त को अंजाम दिया गया था। इसरो ने कहा कि 22 जुलाई को इसके प्रक्षेपण से लेकर अब तक चंद्रयान-2 की सभी प्रणालियां सामान्य रूप से काम कर रही हैं।
उसने बताया कि ‘चंद्रयान-2’ 20 अगस्त को चंद्रमा पर पहुंचेगा और इसे चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कराने के लिए फिर से लिक्विड इंजन का उपयोग किया जाएगा।
इसरो के सबसे शक्तिशाली तीन चरण वाले रॉकेट जीएसएलवी-एमके तृतीय-एम1 ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से 22 जुलाई को चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया था। इसरो के अनुसार 13 दिन बाद लैंडर ‘विक्रम’ अलग हो जाएगा और कुछ दिनों बाद सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। चांद के इस हिस्से पर अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है।
इस अभियान की सफलता के बाद रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा।