- संजय राउत- मैं सरकार का हिस्सा नहीं, विपक्ष की तरह हूं
- 'शरद पवार के पास महाविकास अघाड़ी का कंट्रोल नहीं'
पुणे में एक कार्यक्रम में संजय राउत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारे देश के अब तक के सबसे लोकप्रिय नेता हैं. उनके लिए मेरे दिल में बेहद इज्जत है. उन्होंने कहा, 'मैं अब तक इस सरकार का हिस्सा नहीं हूं, इस तरह से मैं भी विपक्ष की तरह ही हूं.'
संजय राउत ने यह भी कहा कि शरद पवार के पास महाविकास अघाड़ी (उद्धव ठाकरे सरकार) का रिमोट कंट्रोल नहीं है. उन्होंने कहा, 'मैं शरद पवार में अगाध श्रद्धा और विश्वास रखता हूं. शरद पवार और उद्धव ठाकरे ही ऐसे नेता हैं जो महाराष्ट्र को विकास की ओर ले जा सकते हैं.'
'नतीजों से पहले ही फैसला'
महाराष्ट्र में 3 दलों की मिली-जुली सरकार के गठन पर संजय राउत ने कहा कि यह वक्त की जरूरत है कि तीनों दल एक साथ आए और मिलकर सरकार का गठन किया. वर्तमान सरकार एक टेस्ट ट्यूब बेबी नहीं है. यह एक सुनियोजित बेबी है और हमने इसका नामकरण संस्कार भी कर दिया है.उन्होंने आगे कहा कि हमने 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले तीन दलों के साथ मिलकर ऐसी सरकार बनाने की योजना बनाई थी. हमें 2019 के संसदीय चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी के अड़ियल बर्ताव का अंदाजा लग गया था. उसी समय से हमने फैसला कर लिया था कि 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद हम मिलजुलकर सरकार बनाएंगे.
'बीजेपी ने तोड़ने की कोशिश की'
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि महा विकास अघाड़ी सरकार के गठन को लेकर कई लोगों ने कड़ी मेहनत की है. यह सरकार सुपरहिट सिनेमा की तरह है और बहुत से कलाकारों ने इसके गठन में काम किया है. सरकार के गठन में बीजेपी के कुछ नेताओं का भी योगदान रहा है.उन्होंने कहा कि बीजेपी ने हमारी महा विकास अघाड़ी के नट बोल्ट (अजित पवार) को तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें (बीजेपी) पता नहीं था कि वे स्टेपनी के टायर के साथ डिलिंग कर रहे हैं, जबकि दूसरे टायर बरकरार थे. अब अजित पवार हमारी कार के 4 मुख्य पहियों में से एक पहिया हैं.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि यदि बीजेपी महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद अपना वादा निभाती तो महाराष्ट्र की तस्वीर अलग होती.
जेएनयू में छात्रों के हिंसक प्रदर्शन पर संजय राउत ने कहा, 'मैं जेएनयू के छात्रों के साथ सहमत नहीं हो सकता हूं, लेकिन मैं जेएनयू के छात्रों से मिलने जा रहा हूं. हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि वे हमारे छात्र हैं कि किस तरह से इन छात्रों के साथ बर्बरता की गई.'
बतौर सामना के संपादन का काम करने को लेकर संजय राउत ने कहा, 'मैं बहुत खुश और संतुष्ट हूं कि सामना न केवल बड़ी संख्या में लोगों द्वारा पढ़ा जाता है बल्कि एक ही समय में समाना अखबार टेलीविजन चैनलों के स्क्रीन पर देखा जाता है